बनारस की होली (रंग बरसे आप झूमे श्रृंखला भाग २ )

तो आइये अपने सफर के दूसरे पड़ाव पर चलते हैं पड़ाव है बनारस,भगवन भोले नाथ की नगरी में . मैं यकीं दिलाता हूँ की ये आनंद अभी और बढता ही जाएगा मील दर मील ,कोस दर कोस तो चलिए बनारस होली मानाने .
वैसे तो बनारस की बात ही निराली है, चाहे बनारसी पान हो, बनारसी साड़ी हो या वहां की गलियां, मंदिर, लंगड़ाआम, गंगा घाट या बनारसी चाई (ठग)- यह सभी बनारस को अनूठेपन से भरने का काम करते हैं। इन सब के बीच काशी की होली का अपना अलग ही महत्व है। फागुन के मौसम का सुहानापन संपूर्ण बनारस को जीवंतता से भर देता है। इस शहर की फिजाओं में रंगो का अहसास बहुत आसानी से किया जा सकता है। वैसे भी रंगों में अपना रंग नहीं होता परंतु काशी के वातावरण में संपूर्ण शहर रंगमय हो जाता है। बाबा विश्वनाथ की इस नगरी में आप फागुनी बयार को देखकर भारतीय संस्कृति का दीदार कर सकते हैं। इस शहर की संकरी गलियों से होली के गीतों की सुरीली धुन अथवा चौराहों पर के होली मिलन समारोह अपने आप में बेजोड़ हैं। बनारस को फागुन में महादेव का भरपूर आशीर्वाद मिलने से गंगा के घाटों पर प्रेम का नशा चढ़ सा जाता है। काशीवासियों के साथ-साथ भारत केअन्य हिस्सों से आये लोगों के अलावा दूर देशों के सेलानियों से काशी संजीदगी से भर उठता है। खास तौर पर होली के दिन काशी की मटका फोड़ होली और संपूर्ण शहर में गाए जाने वाले होली के लोकगीत शहर को उर्जामय और प्रेम से सराबोर कर देते हैं। काशी की विद्वत परंपरा के साथ-साथ हम फाल्गुन में गंगा की लहरों में एक उमंग का दीदार कर सकते हैं। रंगो के मौसम में आप गंगा तट पर खड़े होकर सुबह--बनारस को अपनी आंखों में संजो कर रख सकते हैं। काशी में आप इस मौसम में पाएंगे कि संपूर्ण कायनात आपका स्वागत कर रही है। गंगा की अविरल धारा में आप अतीत की यादों के झरोखे में आसानी से गोते लगा सकते हैं। फाग के इस त्यौहार में बनारस का रंगनिरंतर प्रगाढ़ होता जाता है। बनारस की हवाओं में आप एक सिहरन महसूस कर सकते हैं, जो शहर की विविधताओं का अहसास कराती हैं। इस मौसम में शहर में मिठाई की दुकानों पर दही, लस्सी, लोंगलता और गुजिया की भरमार से वास्ता पड़ने पर इस शहर का स्वाद भी अंतरंग में गहरे उतरता है। विश्व की प्राचीन नगरी को सदैव दैवीय पुण्य मिलता रहा है। इसी कारण इस नगरी में हम रंगों में डूबकर होली के रंगों से खेल पाते हैं . बाबा भोले की नगरी में गंगा-जमुना तहजीब का नजारा बरबस ही दिखने लगता है। मालवीय जी के कर्म क्षेत्र से रौशन यह शहर लोगों के दिलों को एक रंग में रंग देता है, जिसको आसानी से देखा जा सकता है।
वर्तमान दौर में तमाम प्रगतियों के बावजूद लोगों के दिलों की दूरियां बढ़ती जा रही है। ऐसे में अगर शिव के त्रिशूल पर बसे नगर की होली से हम शहर की होली से हम दिलेरी और प्रेम को आत्मसात कर सकें तो शायद हमारी होली भी सही अर्थों में नायाब बन जाए।
कूचा--यार ऐन काशी है।
जोगिए दिल वहां का वासी है ।
वली दकनी जैसे मशहूर शायर की इन पंक्तियों से हम देश की संस्कृति और परंपरा के प्रति त्याग और मोह पैदा कर सकें तो सचमुच मानवता से भरे इस पर्व का रंग सब पर चढ़ेगा और हम प्रेम की अविरल गंगा कहीं भी बहा सकेंगे।
बम बम बोल रहा है कशी तो आप भी बोलिए ब बम बम्ब बम ब बम बम्ब बम बम बम बम और झूम उठिए भोले बाबा के इस गीत के साथ ।
जो बोले भोलेनाथ जय जय विश्वनाथ
रविशंकर सिंह


रंग बरसे ...आप झूमें श्रंखला भाग १

होली रंगो का त्यौहार है। रंग जीवन के विविध रुपों का प्रतीक माने जाते हैं। खुशी और उल्लास के प्रतीक इस पर्व पर हम भी आपके साथ शरीक होना चाहते हैं। रंगों के इस उत्सव को बहुरंगी बनाने के लिए हम एक नई श्रृंखला शुरु कर रहे हैं। इसमें हम कलम के साथ संगीत की भी तान छेड़ेंगे। उम्मीद है हमारी इस महफिल में आप बोर नहीं होंगे।
आज पहला दिन है और शुरुआत अगर राधे के नाम से हो तो आगे आते आते श्री कृष्ण का आना तय माना जा सकता है , अपनी नित्य निकुंज बिहारणी राधा मैया बरसाने वाली है और फिर बरसाने की होली तो वैसे ही प्रसिद्ध है ,आपने कभी बरसाने की होली देखी हो तो आप जानते ही होंगे , जब नंदग्राम के गोपी राधे के गाँव बरसाने जाते हैं और वहां की गोपियाँ उनका स्वागत लट्ठ से करती हैं ,आहा!! फिर क्या है आप बजने दीजिये सुर और ताल और झूमिए श्रीराधे जी का नाम लेकर ,अगले दिन फिर बारी पुरुषों की होती है और होती है रंग और गुलालों की होली . इसी बीच सुंदर संगीत मन को बार बार छू जाता है हमारी कोशिश है ब्रज से दूर बैठे उन लाखों लोगों को श्री राधे रानी से और उनकी होली से जोड़ने की ,आगे हम और भी प्रस्तुतियां देंगे जिसमे कोशिश होगी देशभर की होली के रंग में रंगने की और कुछ मधुर मधुर संगीत प्रेषित करने की तो फिर क्या है श्री राधे का नाम लीजिये
नीचे श्री राधे का एक मधुर गीत है सुनी और कही श्री राधा राधा .....
होली पर यदि आप भी कुछ लिख कर देना चाहें और कुछ गाने सुझाने चाहें तो ज़रूर बताएं .
श्री राधा राधा .....


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यदि फायर फॉक्स पर गाना सुनाई नही दे रहा हो तो इन्टरनेट एक्स्प्लोरर पर देखें

सूरत बदलने के संकल्प के साथ पीपुल्स का आगाज:

पीपुल्स समाचार का आगाज हो चुका है। जन के मन को जीवन बनाने और गण में गुणों की वृद्धि का संकल्प लिए पीपुल्स समाचार राजधानी के पत्रकारिता पटल पर दाखिल हुआ है।

प्रवेशांक में समूह संपादक महेश श्रीवास्तवजी ने दुष्यंत कुमार को उद्धृत करते हुए लिखा है कि हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, कोशिश है ये सूरत बदलनी चाहिए। पहले तीन अंकों के आधार पर कुछ ज्यादा कहना ठीक नहीं होगा। सूरत बदलने की कोशिश की दिशा को समझने के लिए अभी थोड़ा इंतजार करना होगा।

ले आऊट और प्रिंटिंग से अखबार की सूरत जरुर निखर सकती है पर समाज की नहीं। समाज और देश की सूरत बदलने के लिए रिपोर्टिंग को धारदार बनाना होगा। हालॉंकि पाठकों तक अखबार पहुँचाने की रणनीति में पीपुल्स शुरुआती दौर में सफल दिख रहा है। अभी बस इतना ही आगे- देखते हैं कहॉं जय होगी, कहॉं पराजय...

प्यासा न बनाते गुरुदत्त ब्लॉगर बन जाते



यदि गुरुदत्त आज होते तो शायद प्यासा न बनाते, क्योंकि तब उस फ़िल्म मैं उनकी नज्में कोई नही छापता था पर अब तो ब्लॉगर है और फिर कुछ इन्टरनेट विज्ञापन दाता भी हैं अब अगर गुरु दत्त को कोई नही छाप रहा होता और वे गरीब भी होते तो भी वे किसी अब्दुल जब्बार के पुराने होते कंप्यूटर पर अपनी कविता टाइप कर पोस्ट ज़रूर कर देते -,वाह, वाह, फिर क्या था टिप्पणियां आती -लगातार, लाइन से दन्न -दन्न "हिन्दी ब्लॉग जगत मैं आपका स्वागत है , लगातार लेखन के लिए धन्यवाद,आप जब हिन्दी मैं लिखते हैं तो अच्छा लगता है । बहुत सुंदर…॥आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं। ‍‍ ‍‍‍ ….. फिर कोई पहले सेव और अब अंगूरों के शहर वाले भइया उन्हें बताते की ब्लॉग से पैसा कैसे कमाया जाए,कुछ गली मोहल्लों मैं उनकी चर्चा होती ,फिर क्या था उनके पास होते इनविटेशन ब्लॉगों पर लिखने के। पता चल रहा है कि भइया पिछले तीन महीने से गुरु दत्त (फ़िल्म किरदार) को उनकी माँ ने देखा ही नही है ,सब जगह उनके भाई भी ढूँढ रहे है की पता नही छोटा भाई कहाँ है,अब तो वो ब्लॉगर हो गया है,और भाभी जी परेशां है कि अभी अगर भइया आ गए और बोलने लगे की मेरी नज्मों वाली फाइल कहां है तो मैं क्या कहूँगी कि वो तो मैंने किसी कबाडी को बेच दी ,वो भी ब्लॉग पोस्टिंग के लिए । फिर कहीं किसी दिन गुरु भइया अपने भतीजे की पकड़ में आ जाते हैं । भतीजा चिल्लाता है दादी वो देखो चाचा जा रहे हैं ,दादी तो देर मैं सुन पाती है पर पहले आस-पास खड़े लोग उनके पीछे हो लेते हैं सब पकड़ लेते हैं कि भइया जरा हमारे ब्लॉग पर कोई कमेन्ट तो दे दो ,अरे ये ही लिख दो की -अच्छा लगा,या ये लिख दो की आपके द्वारा दी गई जानकारी उत्तम लगी,या ये ही लिख दो की एक नया शब्द सीखने को मिला । खैर गुरु साहब ज़रा जल्दी में हैं उन्हें एक ब्लॉगर मीट जो अटेंड करनी है ,मेरठ की ट्रेन पकड़नी है ,शायद अबकी बार कोई भिखारी रस्ते में ठण्ड से ठिठुर भी रहा होगा फिर भी गुरुदत्त साहब अपना कोट निकाल कर उसे नही देंगे क्योंकि सारे ब्लॉगर जो बैठे हैं उधर मेरठ में और फिर बिना कोट के काम कहाँ चलता है ।
खैर इस छोटे से लेख से में सिर्फ़ अपनी उपस्थिति दर्ज करना चाहता हूँ ,अपने ब्लॉग पर क्योंकि ब्लॉग पर पोस्ट न करने की दशा में चिटठा जगत में सक्रियता कम हो जाती है और फिर कोई पढ़े न पढ़े लगना चाहिए कि हम लिख रहे हैं । मैं क्षमा चाहता हूँ जो किसी को बुरा लगा हो मेरा गुरु दत्त जी के जी के बारे में लिखना ,अगर आपत्ति हो बताएं .

वो कहते हैं न कि सब कुछ बच्चा माँ के पेट से सीख कर नही आता अभी हिन्दी ब्लागिंग भी कुछ ऐसी ही स्थिति मैं नज़र आती है, ब्लॉग की मूल अवधारणा अब बदल चुकी है ,ये उन प्रकाशकों और संपादकों के मुँह पर तमाचा मरने की कोशिश करती है जो कई बार नए कवियों की कविता नही छापते और कई बार उन्हें नज़रंदाज़ करते हैं । खैर बहुत कुछ होना अभी बाकी है ,सचमुच बहुत कुछ ,लीजिये आपके लिए एक मधुर सा गाना पेश कर रहा हूँ,गुरुदत्त साहब का ............ ।

श्रमदान के बहाने हम आए हैं फोटू खिचाने


हमारे भोपाल मैं पिछले कई दिनों से फोटो खिंचाओ महोत्स चल रहा है ,जिसमे लोग बड़े तालाब पर सज-धज के आते हैं फावडा तागादी उठाते हैं,थोडी सी मिटटी उठाते निकलते हैं ,फिर मुस्कुराते हुए फोटू खिचाते हैं और निकल जाते हैं ,ऐसा सिलसिला चल रहा है फोटू खिचाने का रोजाना कई वीभागों के ,स्कूल-कॉलेजों के और स्वयं सेवी संस्थाओं के मॉडल आते हैं ,थोड़ा कैट वाक किया और खड़े हो गए पोस देने अब इन तथाकथित मजदूरों को कैसे समझाएँ की भइया यहाँ फोटो खिंचाओ महोत्सव नही श्रमदान उत्सव चल रहा है हमारे शहर के अखबारों को और तथाकथित न्यूज़ चैनलों को भी चैन नही ,लगे हैं फोटो खीचने और शूटिंग करने मैं ,अरे साहब जितना समय इस काम मैं दे रहे हैं उतना अगर श्रमदान मैं देते तो ज़्यादा सार्थक पत्रकारिता होती रोजाना अख़बारों मैं एक फुल पेज श्रमदान के नाम रहता है अलग अलग नामों के सरोकारों से तालाब सोच रहा होगा की अच्छे लोग हैं एक तो मैं बीमार अवस्था मैं हूँ ऊपर से ये मेरी छाती पर मूंग दल रहे हैं क्या ये सब अनुपम मिश्रा देख रहे हैं , शायद नही वरना उनके कदम यहाँ आने के लिए रुकते नही, कोई उन तक पुकार पहुँचा दे तो कुछ बात बने अभी लिखा ही था की पड़ोस से आवाज़ आई ऐ जी सुनती हो तैयार हो जाओ सन्डे है श्रमदान करने चलना है नै सदी पहन लेना वरना फोटो ठीक नही आएगी
एक सुंदर फोटो

संसद की दीवारों से

कहाँ हो सर एडविन लुटियन्स तुम ही थे जिसने हमें ये आकर दिया था क्या तुम जानते थे की तुम्हारी इस आकृति को इतना सम्नानीय स्थान और नाम मिलेगा तुम देख रहे हो की तुम्हारा सृजन आज फिर से सृजित होने का लालायित है पहले तो हम दीवारें कुछ बातों पर ठहाके भी लगा लेती थी ,एक दूसरे की चुटकी भी ले लेती थीं ,मगर जब से लोकतंत्र की पाठशाला मैं प्रवेश लिया हम भी मर्यादित आचरण करने लगी ,इसका ये मतलब नही की हम ठहाके नही लगा सकते थे ,या चुटकी नही ले सकते थे अब जनता के प्रतिनिधि हमारी गोद मैं बैठ कर भारत निर्माण की इबारत लिखने लगे
शुरूआती दौर मैं हमने आज़ादी के उत्साह और सृजन की इक्षा शक्ति से प्रफुल्लित स्वरों को सुना और मनो ऐसा महसूस हो रहा था की हम द्वापर की उस पत्थर रूपी अहिल्या से ज्यादा भाग्यशाली तो नही ,जो की राम की चरण राज लगने पर पुनः नारी बनी ,पर हम कठोर दीवारें उन महान स्वरों की अनुगूंज की टकराहट से अपने आप को भाग्यशाली महसूस करने लगीं थी

समय बढता गया और और स्वरों मैं भी बदलाव आता गया कभी किसानो की दुर्दशा पर स्वर उठे तो कभी कभी उद्योगों के विकास के लिए थपथपाती मेजों ने गला फाड़कर आवाज़ को तीखा किया बरस गुज़रे की स्वरों मैं बदलाव आया ,भाषा के नाम पर ,छेत्र के नाम पर तो हम दीवारों को लगा की देर रात तक दोने की वजह से हम पूरे होश मैं नही है मगर उन स्वरों की निरंतरता ने हमें स्तब्ध कर दिया पर उन दिनों कुछ जन प्रतिनिधियों की आवाज़ हमारे कलेजे को ठंडक देती थीं जिन्हें पक्ष और विपक्ष ध्यान से सुनते थे ,ऐसे प्रतिनिधि 90 के दशक तक आते आते काफी कम हुए उसके बाद साफ़ स्वर सुने आना बंद हो गए ,सिर्फ़ चीखें सुने देती थीं और उन चीखों मैं जनता का दर्द नही आपरी स्वार्थ ज्यादा प्रबल थे बहस शुरू नही होती की अचानक सदस्य सदन से वाकआउट कर के चले जाते ,खैर हम दीवारों को तो इससे राहत होती है,पर क्या ये बात देश को राहत दे सकती है नही चीखों के साथ कभी लत घूँसे चले ,दस्तावेज़ छींटे हुए प्रतिनिधि ,और सुना था एक दिन तो उन स्वरों और चीखों के लिए जनता से पैसे लिए गए हद तो तब हो गई जब हमारे आँगन मैं कुछ सदस्य पैसों से भरे बैग लेकर गए क्या यहाँ संविधान की आत्मा नीलम हो रही थी ,क्या वे गाँधी को दोबारा मार रहे थे या फिर उन लोगों को तमाचा मर रहे थे जिन्होंने उन्हें चुना है

आजकल मैं लोकसभा अधयाखा ने इन्ही के बारे मैं कहा है की "भगवन करे आप लोग हार जायें " अध्यक्ष महोदय की इस बात पर हम दीवारों ने भी मर्यद्दा तोडी और ठहाके लगते हुए कहा की नक्कारों के बीच टूटी का कोई असर नही होता है और यही हुआ अध्यक्ष जी के इस अमृत वचन को मीडियाई लोगों ने शाप बता दिया और कुछ लोगों ने पान ठेलों ,चाय की दुकानों पर 10 मिनट की चर्चा मैं इस विषय को क्लोस कर दिया मगर हम दीवारों को पता चला है की अध्यक्ष जी की इस बात के बाद हमारे चरों स्तम्भ की मौलिक आत्मा गहरे सदमे मैं है और बाहर आने से इनकार कर रही है

कलकत्ता के प्रसिद्ध छोले भटूरे

कभी भोपाल आयें तो छोले भटूरे ज़रूर खाइएगा , वो भी न्यू मार्केट मैं . अरे ख़ास कुछ नही है,वैसे ही है . भाई आप हर चीज़ मैं खास क्यों ढूँढने लगते हैं . खासियत कई हैं पर वो जगह की हैं ,ये न्यू मार्केट की इकलौती जगह है जहाँ भटूरे खाने के लिए लाइन लगती है ,लोग इस कदर दीवाने है की न्यू मार्केट आकर यहाँ के भटूरे और मिश्रा की जलेबी ज़रूर खाते हैं .हनुमान मन्दिर के पीछे भटूरे की लाइन से तीन दुकाने हैं .पंजाब के छोले भटूरे,दिल्ली के छोले भटूरे,और कलकत्ता के छोले भटूरे .

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क्या कहा भटूरे मैं कुछ काला है ,कलकत्ता मैं भटूरे प्रसिद्ध नही ,हाँ भाई लोचा तो ये ही है .दरअसल पहले दिल्ली फिर पंजाब तो तीसरी दूकान वाले ने सोचा मैं क्यों पीछे रहूँ पुरानी ही सही राजधानी का नाम ही रखूँगा और फिर हम कलकत्ता के हैं तो कलकत्ता क्यों नही . तो भाई ऐसे ही aसहा साहब ने अपनी दुकान का नाम कलकत्ता के छोले रखा . DSC02966

बीते दिनों महंगाई के बड़ते ही हमारे भटूरों के रेट भी बढ़ गए ,दिवाली तक 10 रुपए प्लेट आने वाले भटूरे अब 15 रुपए प्लेट हो गए हैं .हाय री मंहगाई मेरे भटूरों को तो छोड़ देती ! कभी मूड बने तो आएये यारों के साथ शाम को 6 के बाद आप खुश किस्मत होंगे की जाते ही बैठने की जगह मिल जाए .

आप देखिये की किस तरह से भटूरे बनते ,कैसे खाते हैं खाने का तरीका सीखिए फिर ही खाने को मिलेगा .बीते कई सालों से तीन दुकाने जम के धूम मच रही है . और फिर हमारा नाम भी सूरमा भोपाली ऐसे ही नही है इसलिए कुछ फोटो भी दे रहे हैं लगाइए ..... चटकारे .

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लिट्टे ने किए कोलम्बो पर हवाई हमले, 2 मरे

तमिल विद्रोहियों ने श्रीलंका की राजधानी कोलंबो पर हवाई हमले किए हैं. हमलों में दो लोगों की मौत हो गई और लगभग 40 लोग घायल हुए हैं जिन्हें अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. श्रीलंकाई सेना का कहना है कि एलटीटीई के दो विमानों ने कोलंबो को निशाना बनाया और इन दोनों को मार गिराया गया.

सेना के मुताबिक विद्रोहियों के एक विमान को शहर में स्थित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास मार गिराया गया है.
इस विमान के पायलट का शव सेना ने बरामद कर लिया है. दूसरा विमान क्षतिग्रस्त होने के बाद राजस्व विभाग के परिसर से टकरा कर ध्वस्त हो गया.
कोलंबो में सेना के एंटी एयरक्राफ़्ट गनों से गोले दागे गए. भारतीय समयानुसार रात लगभग साढ़े नौ बजे अचानक एंटी एयरक्राफ़्ट गनों की आवाज़ों से कोलंबो गूँज उठा.(21-02-09)

ब्रह्मोस का परिक्षण टला

जैसलमेर जिले की पोखरण फायरिंग रेंज में जमीन से जमीन पर वार करने वाली अत्याधुनिक सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस में तकनीकी खामी की वजह से परीक्षण टाल दिया गया। वायुसेना सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ब्रह्मोस के परीक्षण की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं लेकिन प्रक्षेपास्त्र में तकनीकी खामी के कारण परीक्षण नहीं किया गया। परीक्षण की अगली तिथि बाद में तय की जाएगी। इधर, सेना के प्रवक्ता ने कहा कि सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस का परीक्षण होना तय ही नहीं था। जब ब्रह्मोस का परीक्षण होना तय नहीं था तो परीक्षण टालने का प्रश्न कहां आता है। उन्होंने इस बात से भी इनकार किया कि सेनाध्यक्ष दीपक कपूर ब्रह्मोस के परीक्षण के कारण जोधपुर आए हैं।(21-02-09)

शादी की उम्र कम करने का मामला विचाराधीन


विधि और न्याय मंत्री हंसराज भारद्वाज ने कहा कि लड़कों और लड़कियों के विवाह की आयु घटाकर 18 साल करने का मामला समीक्षाधीन ने लोकसभा में रशीद मसूद के प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि विधि आयोग ने सुझाव दिया है कि लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए विवाह योग्य आयु 18 वर्ष निर्धारित की जाए। अभी विवाह कि लिए लड़कियों की आयु 18 और लड़कों की 21 साल निर्धारित है। उन्होंने कहा कि आयोग ने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 और अन्य सहबद्ध विधियों का संशोधन करने के प्रस्ताव पर अपनी 205वीं रिपोर्ट दी है जिसमें अन्य के साथ दोनों के विवाह की आयु 18 साल करने की बात कही गई है।(21-02-09)

दक्षेश में आतंकवाद होगा मुख्य मुद्दा

कोलंबो में प्रस्तावित दक्षेस मंत्रिस्तरीय बैठक में भारत पाकिस्तान से सरहदपार आतंकवाद के खात्मे के लिए दक्षेस संधि के तहत ठोस और ईमानदारी से सहयोग की मांग करेगा।कोलंबो में 27 फरवरी को दक्षेस मंत्रिपरिषद की इस बैठक में विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी हिस्सा लेंगे। उम्मीद की जा रही है कि वह आतंकवाद संबंधी दक्षेस संधि के जल्द अनुमोदन की आवश्यकता पर जोर देंगे।भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, नेपाल, मालदीव, भूटान और मेजबान श्रीलंका के मंत्रियों की इस बैठक से पहले अधिकारियों और विदेश सचिव स्तर की वार्ता होगी।उम्मीद की जा रही है कि बैठक में आतंकवाद से निबटने के लिए क्षेत्रीय स्तर पर एक कार्यबल के गठन पर चर्चा होगी।

तमिलनाडु में देखते ही गोली मारने के आदेश

तमिलनाडु में वकीलों के हिंसक प्रदर्शन के कारण प्रदेश सरकार ने सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले तथा जनता को परेशान करने वाले को देखते ही गोली मारने के आदेश जारी कर दिए हैं। प्रदेश के पुलिस महानिदेशक कार्यालय से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि जिला पुलिस अधीक्षकों को ऐसा करने की शक्ति प्रदान की गई है। इसमें यह भी कहा गया है कि वाहनों को क्षतिग्रस्त करने और अन्य अवैध गतिविधियों में सम्मिलित रहने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।(21-02-09)

सभी सदस्य जीत कर आयें- सोमनाथ


सदन में हंगामा मचाने वाले सदस्यों के आचरण से व्यथित होकर बृहस्पतिवार को उन्हें चुनाव में हार जाने का श्राप देने वाले लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी का हृदय शुक्रवार को पिघल गया तथा उन्होंने सदस्यों को चुनाव में विजयी होने की शुभकामना दी।श्री चटर्जी ने सदन की कार्यवाही के दौरान कहा कि बृहस्पतिवार परेशान होकर उन्होंने सदस्यो के बारे में कुछ टिप्पणियां की थी लेकिन उनकी हार्दिक इच्छा है कि सभी सदस्य जीतकर वापस आएं।जब कुछ सदस्यों ने श्री चटर्जी को भी ऐसी ही शुभकामना दी तो अध्यक्ष ने कहा कि वह तो चुनाव नहीं लड़ेंगे लेकिन सदस्यों को चुनाव में विजयी होने की शुभकामना देते है।लोकसभा अध्यक्ष ने सदस्यों के शोरगुल और हंगामे से क्षुब्ध होकर कल कुछ कटु टिप्पणियां की थीं। उन्होंने कहा था कि उनके आचरण को पूरा देश देख रहा है और इन सदस्यों को चुनाव में नहीं जीतना चाहिए। (20-02-09)

संरक्षणवाद से सावधान रहना होगा- ओबामा


अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में अपनी पहली विदेश यात्रा के दौरान बराक ओबामा ने कनाडा में कहा कि उनका प्रशासन कारोबार, जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद जैसे मुद्दों से निपटने के लिए विभिन्न देशों के साथ मिलकर काम करेगा।बृहस्पतिवार को कनाडाई प्रधानमंत्री स्टीफेन हार्पर के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ओबामा ने कनाडा समेत सारी दुनिया को आश्वासन दिया कि उनके 787 अरब डॉलर के प्रोत्साहन पैकेज में उल्लिखित 'बाय अमेरिकन' प्रावधान का असर अन्य देशों के साथ उसके कारोबार पर नहीं पड़ेगा। ओबामा ने कहा, "मैं चाहता हूं कि कारोबार बढ़े ना कि सिकुड़े।" उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका अपने सबसे बड़े कारोबारी साझेदार कनाडा को नुकसान नहीं पहुंचने देगा।ओबामा ने यह भी कहा, "अब समय आ गया है जब हमें संरक्षणवाद के किसी भी संकेत से बेहद सावधान रहना होगा।"(20-02-09)

घाटी में भूकंप के झटके

जम्मू कश्मीर में शुक्रवार की सुबह भूकंप का हल्का झटका महसूस किया गया। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता ५.५ मापी गई। श्रीनगर और पाकिस्तान की सीमा से लगे इलाकों समेत राज्य के कई हिस्सों में सुबह ९.१९ बजे भूकंप महसूस किया गया। फिलहाल किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है। भूकंप का केंद्र भारत पाक सीमा क्षेत्र में था।(२०-०२-०९)

सीबीआई ने पूर्व मंत्री सुखराम को दोषी पाया


दिल्ली में केंद्रीय जाँच ब्यूरो की एक विशेष अदालत ने पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री सुखराम को आय से अधिक संपत्ति के एक मामले में दोषी पाया है.
इस मामले में सज़ा 24 फ़रवरी को सुनाई जानी है.
हिमाचल प्रदेश के प्रभावशाली नेताओं में गिने जाने वाले 82-वर्षीय सुखराम वर्ष 1991 से लेकर 1996 तक केंद्रीय संचार मंत्री रहे थे.
उनके ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार संबंधी कई आरोप लगे लेकिन हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्र में उन्हें संचार क्रांति के लिए जाना जाता है.
केंद्रीय जाँच ब्यूरो ने वर्ष 1996 में हिमाचल प्रदेश में मंडी शहर और दिल्ली में उनके घरों पर छापे मारे थे.
सीबीआई ने तब उनकी संपत्ति का करोड़ों रुपए में आकलन कर, उनके ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया था.
वर्ष 1997 में भ्रष्टाचार निरोधक क़ानून के तहत उनके ख़िलाफ़ अदालत में चार्जशीट दायर की गई थी. (२०-०२-०९)

पाकिस्तान में बम ब्लास्ट, छः मरे

पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम में स्थित डेरा इस्माइल ख़ान में शुक्रवार को हुए बम धमाके में कम से कम छह लोग मारे गए हैं और कई घायल हुए हैं।
पुलिस के अनुसार धमाका एक शिया व्यक्ति के जनाज़े को निशाना बनाकर किया गया। वहाँ पहले शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक हिंसा होती रही है। स्थानीय लोगों के मुताबिक शहर में तनाव फैल गया है और कुछ जगह पर फ़ायरिंग भी हुई है। कई वाहनों को भी आग लगा दी गई है। पिछले डेढ़ साल में वहाँ आत्मघाती और अन्य हमलों में सैकड़ों लोग मारे गए हैं।

एफ़बीआई ने मुंबई हमले के सबूत सौंपे


मुंबई पुलिस की एक टीम ने वॉशिंगटन जाकर अमरीकी जाँच एजेंसी एफ़बीआई से मुंबई हमलों से जुड़े कई अहम सबूत हासिल किए हैं.
इसमें वो सबूत भी शामिल हैं जिनसे साबित होता हो कि मुंबई हमलों की योजना पाकिस्तान में बनाई गई और इसमें पाकिस्तान के ही लोग शामिल थे.
हालांकि अधिकारी इस बारे में कोई अधिकृत जानकारी नहीं दे रहे हैं लेकिन माना जा रहा है कि एफ़बीआई ने वो सबूत भी मुंबई पुलिस को दिए हैं जो उसने पाकिस्तान जाकर एकत्रित किए हैं.
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष नवंबर में हुए मुंबई के चरमपंथी हमलों में अमरीकी नागरिकों के भी मारे जाने के बाद एफ़बीआई के अधिकारियों ने इन हमलों की ख़ुद भी जाँच की है.(2०-०२-०९)

आईपीएल में नही खेलेंगे पोंटिंग


ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट कप्तान रिकी पोंटिंग ने कहा है कि वो अप्रैल से शुरु हो रहे आईपीएल के दूसरे सत्र में नहीं खेलेंगे और सारा ध्यान राष्ट्रीय टीम पर देंगे.
एक ऑस्ट्रेलियाई अख़बार के लिए लिखे अपने लेख में उन्होंने कहा है कि टी-ट्वेंटी मैचों में ज़्यादा शारीरिक थकावट होती है, इसलिए वो ये फ़ैसला कर रहे हैं. आईपीएल में पोंटिंग का करार कोलकाता नाइट राइडर्स के साथ है.
पोंटिंग का कहना है, "बीच-बीच में मैं कोलकाता नाइट राइडर्स टीम के अपने सदस्यों से बात करता रहा और अंत में यही फ़ैसला किया कि वर्ष 2009 में आईपीएल में नहीं खेलूंगा।"
पोटिंग अभी अपनी टीम के साथ दक्षिण अफ़्रीका के दौरे पर हैं. उन्होंने अपने लेख में इस वर्ष 'छुट्टी' देने के लिए नाइट राइडर्स का धन्यवाद किया है. उन्होंने कहा है कि वो दो हफ़्ते के लिए आईपीएल में खेल सकते थे लेकिन ये नाइट राइडर्स और ऑस्ट्रेलियाई टीम दोनों के साथ नाइंसाफी होती. ऑस्ट्रेलिया कप्तान का कहना है कि इन दो हफ़्तों का समय वो अपने परिवार के साथ बिताना पसंद करेंगे.(२०-०२-०९)

पानी की किल्लत

विदर्भ में अमरावती जिले का एक बाँध। यह बाँध पूरी तरह से सूख चुका है। इसे हजारों एकड़ जमीन की सिंचाई के लिए बनाया गया था। इस वर्ष कम वर्षा की वजह से वहां के लोगों को भा भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। पीने का पानी भी प्रशाशन बमुश्किल उपलब्ध करवा पा रहा है। न जाने कितने ही लोगों की उम्मीद को सावन हर साल यूँ हो तोड़ देता है . उम्मीद जगाता है पर फ़िर खली ही छोड़ देता है

 
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(19.02.09)

गुजरात में हेपेटेटाइटिस से २४ मरे

गुजरात के मोदासा तालुक में बुधवार को हेपेटाइटिस से पांच और लोगों के मरने की खबर है। जिला स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि इससे एक पखवाड़े से कम समय में भी मरने वालों की संख्या 24 हो गई है।साबरकंठा जिले के मुख्य जिला स्वास्थ्य अधिकारी एचएस पटेल ने कहा, 'इस बीमारी के कारण पांच लोगों की मौत हो गई है जिससे हेपेटेटाइटिस के कारण मरने वालों की संख्या 24 हो गई है। बुधवार को जिन लोगों की मौत हुई उनमें तीन का सिविल अस्पताल अहमदाबाद में उपचार चल रहा था जबकि दो मोदासा के सार्वजनिक अस्पताल में थे।पटेल के अनुसार सात नए मामले सामने आए हैं जिससे कुल दर्ज रोगियों की संख्या 77 हो गई है। इनमें 24 की मौत हो चुकी है।(१९-०२-०९)

भारतीय टीम न्यूजीलैंड रवाना




महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में भारतीय क्रिकेट टीम गुरूवार को तड़के न्यूजीलैंड के 47 दिवसीय दौरे के लिए रवाना हुई। इस दौरे में दो ट्वेंटी20 अंतरराष्ट्रीय पांच एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय और तीन टेस्ट मैच खेले जाएंगे। ट्वेंटी20 और एक दिवसीय टीम के सदस्य बृहस्पतिवार को रवाना हुए जबकि टेस्ट टीम के सदस्य खिलाड़ी बाद में जाएंगे।


टीम इस प्रकार है- महेंद्र सिंह धोनी (कप्तान), वीरेंद्र सहवाग (उप कप्तान), गौतम गंभीर, युवराज सिंह, यूसुफ पठान, रोहित शर्मा, हरभजन सिंह, इशांत शर्मा, सुरेश रैना, इरफान पठान, जहीर खान, रविंद्रर जडेजा, मुनाफ पटेल, प्रज्ञान ओझा, प्रवीण कुमार, दिनेश कार्तिक और सचिन तेंदुलकर।(१९-०२-०९)

सांसदों ने किया जनता का अपमान!

लोकसभा में गुरुवार सुबह विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों ने अलग-अलग मुद्दों पर भारी हंगामा किया है। लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ख़ासे नाराज़ हुए और एक समय तो उन्होंने इसे सासंदों का 'निंदनीय बर्ताव' कहा है. वे सांसदों के बर्ताव से इतने व्यथित हुए की उन्होंने इसे जनता का अपमान बता दिया। इस बीच स्पीकर को सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा और दोपहर में जब कार्यवाही दोबारा शुरु हुई तब भी बीच-बीच में शोर के बावजूद ध्वनि मत से रेल बजट को पारित कर दिया गया.(19.02.09)

ख़राब फील्डिंग से होते है धोनी नाराज


मैदान पैर काफी कूल दिखने वाले धोनी कभी कभी बहुत गुस्सा हो जाते हैं, इस गुस्से की वजह है ख़राब फील्डिंग। भारतीय कप्तान धोनी ने एक समारोह में बातचीत के दौरान कहा, "ख़राब क्षेत्ररक्षण से झुंझलाहट होती है लेकिन मैं इस बात का ख़्याल रखता हूँ खिलाड़ियों से मैदान में कुछ न कहूँ। ड्रेसिंग रुम में जाकर मैं खिलाड़ी की ग़लती उसे बता देता हूँ, जिससे उसे मदद मिलती है."
समारोह में टीम इंडिया के छः खिलाड़ी एक दिवसीय मैचों के लिए तैयार की गई पोशाक को पहन कर स्टेज पर आए।
टीम की नई पोशाक गहरे नीले रंग की है। इससे पहले टीम इंडिया आसमानी नीले रंग की पोशाक पहनती आई है।

स्वात घाटी में पत्रकार की हत्या

पाकिस्तान की स्वात घाटी में एक टीवी पत्रकार की हत्या कर दी गई है। मूसा खान खेल नाम के ये पत्रकार सूफी मोहम्मद के काफिले की रिपोर्टिंग के लिए वह गए थे। २८ साल के मूसा खान को तालिबान प्रभावित इलाके में अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मार दी। वे जियो टीवी के लिए मत्ता नमक इलाके में रिपोर्टिंग कर रहे थे.

क्या वेटिंग क्लीअर होगी ?



"नेट प्रेमी " राजनेता ' पी .एम . इन वेटिंग ' याने की लाल कृष्ण अडवाणी का प्रचार अभियान हाई टेक तरीके से शुरू हो चुका है । दो दिन पहले ख़बरों से पता चला की पार्टी लगभग 2 हज़ार वेबसाइटों के मध्यम से अभियान को मजबूती प्रदान करेगी । जिसमे दुनिया भर की लोकप्रिय वेबसाइट शामिल की जाएँगी । प्रचार का काम गूगल एडसेंस को दिया गया है । आपको यह याद दिला दूँ कि भाजपा के दिवंगत नेता प्रमोद महाजन ने भी देश के लोगों को शाइनिंग इंडिया की पञ्च लाइन थमाई थी , हुआ क्या बेचारे अटल जी की गाड़ी को ब्रेक लग गया। अब अडवाणी की बारी है । गौर तलब है की पिछले साल इसी नेता ने अपनी वेबसाइट शुरू की और कुछ ही दिन बाद इन्तेराक्टिवे ब्लॉग भी शुरू कर दिया । यहाँ दिलचस्प बात यह है की दुनिया के सबसे बड़े रेल तंत्र में जहाँ ज्यादातर लोगों की वेटिंग क्लीअर हो जाती है वहां अडवाणी की वेटिंग क्लेअर होगी या नही । वक्त आने दो सब पता चल जाएगा ।


कुछ रिश्ते टाई की तरह होते हैं

कुछ रिश्ते टाई की तरह होते हैं अक्सर इन रिश्तों के निशान टाई पर न होकर शर्ट पर होते हैं । टाई जब सही बंधी हो समझो की बहुत ग़लत हो रहा है ,जैसे ही जश्न ख़त्म और आदमी अकेला होता है वह अपनी टाई निकलता है तो पहले उसके आकार को परिवर्तित कर उसे थोड़ा व्यापक कर देता है फ़िर तेज़ी से खींचता है और तुंरत बन्धनों से मुक्त टाई सीधी और सपाट हो जाती है ,उस पर न पुराने वक्त की सिलवटें हैं न चहरे पर कुछ खोने का गम , सब कुछ सामान्य सा दिखाई देता है । मगर कमीज़ के कालर पर निशान अक्सर छुट जाते हैं ,कुछ छोटे तो कुछ लंबे जैसे किसी ने पीठ पर हंटर चलायें हों ,लेकिन जब टाई सही नही बंधी हो तो अक्सर आसानी से नही छूटती और इसी कशमकश में वह गले का स्पर्श भी कर लेती है और जब खुलती है तो उसके सीने पर फ्रेंडशिप बैंड बंधे होते हैं ,जो कुछ पागलपन भरे रिश्तों की शुरुआत लिए होते हैं ।अब सवाल है की क्या टाई कभी इतनी सख्त हो सकती है की वह किसी की जान ले सके ,अभी तक ऐसे हादसों की ख़बर अखबारों में छपी नही ,चॅनल वालों को मालूम नही । आस पड़ोस की महिलाओं और बुजुर्गों को ये टाई का किस्सा समझ नही आया । वाकई क्या हम इतने आधुनिक हों गए है की परम्पराओं मैं दम घुटने लगे । मगर नही कल ही मैंने शव यात्रा में लाश को खामोश और खली हाथ जाते हुए देखा है ।

पुरानी कविताएँ जो की हेडर पर रह चुकी हैं

यह पोस्ट नियमित रूप से अपडेट होगी उन कविताओं से जो की ऊपर हेडर पर लगी हों

आज की कविता- साथी, सब कुछ सहना होगा!-हरिवंश राय बच्चन

मानव पर जगती का शासन,
जगती पर संसृति का बंधन,
संसृति को भी और किसी के प्रतिबंधों में रहना होगा!
साथी, सब कुछ सहना होगा!

हम क्या हैं जगती के सर में!
जगती क्या, संसृति सागर में!
एक प्रबल धारा में हमको लघु तिनके-सा बहना होगा!
साथी, सब कुछ सहना होगा!

आओ, अपनी लघुता जानें,
अपनी निर्बलता पहचानें,
जैसे जग रहता आया है उसी तरह से रहना होगा!
साथी, सब कुछ सहना होगा!





आज की कविता- मुझे पुकार लो-हरिवंश राय बच्चन

इसीलिए खड़ा रहा कि तुम मुझे पुकार लो!

ज़मीन है न बोलती न आसमान बोलता,
जहान देखकर मुझे नहीं जबान खोलता,
नहीं जगह कहीं जहाँ न अजनबी गिना गया,
कहाँ-कहाँ न फिर चुका दिमाग-दिल टटोलता,
कहाँ मनुष्य है कि जो उमीद छोड़कर जिया,
इसीलिए खड़ा रहा कि तुम मुझे पुकार लो

इसीलिए खड़ा रहा कि तुम मुझे पुकार लो!

तिमिर-समुद्र कर सकी न पार नेत्र की तरी,
विनष्ट स्वप्न से लदी, विषाद याद से भरी,
न कूल भूमि का मिला, न कोर भोर की मिली,
न कट सकी, न घट सकी विरह-घिरी विभावरी,
कहाँ मनुष्य है जिसे कमी खली न प्यार की,
इसीलिए खड़ा रहा कि तुम मुझे दुलार लो!

इसीलिए खड़ा रहा कि तुम मुझे पुकार लो!

उजाड़ से लगा चुका उमीद मैं बहार की,
निदघ से उमीद की बसंत के बयार की,
मरुस्थली मरीचिका सुधामयी मुझे लगी,
अंगार से लगा चुका उमीद मै तुषार की,
कहाँ मनुष्य है जिसे न भूल शूल-सी गड़ी
इसीलिए खड़ा रहा कि भूल तुम सुधार लो!

इसीलिए खड़ा रहा कि तुम मुझे पुकार लो!
पुकार कर दुलार लो, दुलार कर सुधार लो!





आज की कविता-गुलाबी चूड़ियाँ-नागार्जुन

प्राइवेट बस का ड्राइवर है तो क्या हुआ,
सात साल की बच्ची का पिता तो है!
सामने गियर से उपर
हुक से लटका रक्खी हैं
काँच की चार चूड़ियाँ गुलाबी
बस की रफ़्तार के मुताबिक
हिलती रहती हैं…
झुककर मैंने पूछ लिया
खा गया मानो झटका
अधेड़ उम्र का मुच्छड़ रोबीला चेहरा
आहिस्ते से बोला: हाँ सा’ब
लाख कहता हूँ नहीं मानती मुनिया
टाँगे हुए है कई दिनों से
अपनी अमानत
यहाँ अब्बा की नज़रों के सामने
मैं भी सोचता हूँ
क्या बिगाड़ती हैं चूड़ियाँ
किस ज़ुर्म पे हटा दूँ इनको यहाँ से?
और ड्राइवर ने एक नज़र मुझे देखा
और मैंने एक नज़र उसे देखा
छलक रहा था दूधिया वात्सल्य बड़ी-बड़ी आँखों में
तरलता हावी थी सीधे-साधे प्रश्न पर
और अब वे निगाहें फिर से हो गईं सड़क की ओर
और मैंने झुककर कहा -
हाँ भाई, मैं भी पिता हूँ
वो तो बस यूँ ही पूछ लिया आपसे
वर्ना किसे नहीं भाएँगी?
नन्हीं कलाइयों की गुलाबी चूड़ियाँ!


आज की कविता-रिश्तों के पिंजरे-डॉ। जगतार

वह मेरे जिस्म के इस पार झांकी उस पार झांकी और कहने लगी, ‘तुम मेरे बाप जैसे भी नहीं जो दारू की नदी तैर कर डुबो देता है उदासी में घर सारा। तुम मेरे पति जैसे भी नहीं जो मेरी रूह तक पहुंचने से पहले ही बदन में तैर कर नींद में डूब जाता है। तुम मेरे भाई जैसे भी नहीं जो चाहता है कि मैं बेरंग जीवन ही गुज़ारूं मगर फिर भी तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो। मगर क्या नाम रखूं इस रिश्ते का मैंने जो रिश्ते जिए, पिंजरे हैं या कब्रें हैं या खंडहर हैं।

तुम्हारा होना

तुम नहीं हो
तुम्हारी सीट खाली है
दराज में रखा तुम्हारा कप
सोच रहा है कि तुम आओगी
वह तुम्हारा इंतजार कर रहा है
तुम्हारी सीट पर कोई और बैठेगा
तो कप को बहुत खराब लगेगा
शायद वो मना भी करे
या फिर गिरकर टूट ही जाए
अगर कप टूट गया
तो यहां और भी बहुत कुछ टूटेगा...

आई आई ऍम सी की प्रवेश सूचना जारी

भारतीय जनसंचार संस्थान ,दिल्ली की २००९-१० सत्र के लिए प्रवेश सूचना जारी हो चुकी है
भारतीय जनसंचार संस्थान भारत का सबसे प्रतिष्ठित जनसंचार संस्थान है ,ये पत्रकारिता और "विज्ञापन और जन संपर्क "मैं डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित करता है प्रवेश परीक्षा १८ एवं १९ मई को घोषित की गई है .

कार्यक्रम सूचना

आवेदन पत्रों की बिक्री प्रारम्भ - ३ मार्च २००९
आवेदन पत्रों की बिक्री समाप्त - १० अप्रैल २००९
आवेदन जमा करने की आखिरी तिथि - १७ अप्रैल २००९
सभी कोर्स के एंट्रेंस एक्साम्स - १९ मई २००९
उरिया पत्रकारिता का एंट्रेंस एक्साम - १८ मई २००९

आई आई ऍम सी और की दो शाखाएँ हैं ,मुख्या शाखा न्यू देल्ली में ,और एक शाखा धेकनल में भी है ।

कोर्स विवरण

आई आई ऍम सी पत्रकारिता मैं विभिन्न कोर्स और कार्यशालाओं का आयोजन करता रहता है

प्रमुख पाठ्यक्रम इस प्रकार हैं -
हिन्दी पत्रकारिता में स्नातकोतर डिप्लोमा
२ रेडियो और टीवी पत्रकारिता में स्नातकोतर डिप्लोमा
३ उरिया पत्रकारिता में स्नातकोतर डिप्लोमा
अंग्रेजी पत्रकारिता में स्नातकोतर डिप्लोमा
और
५ विज्ञापन और जनसंपर्क में स्नातकोतर डिप्लोमा

पात्रता-

कोई भी स्नातक इस परीक्षा में भाग ले सकता है।

प्रवेश परीक्षा का तरीका
चरण १-लिखित परीक्षा
चरण २-सामूहिक चर्चा
चरण ३-निजी साक्षात्कार

यह संस्थान अपने आप में श्रेष्ठ संस्थान है जिसमे इन पाठ्यक्रमों के लिए देश का सबसे अच्छी अधो संरचना उपलब्ध है । शानदार लाइब्रेरी , कंप्यूटर लैब ,ऑडियो विडियो मिक्सिंग एंड रिकॉर्डिंग रूम जिनमे से एक हैं । यहाँ हॉस्टल की सुविधा लड़कियों तक ही सिमित है . इस संस्थान में देश के सबसे अच्छे मॉस कॉम के जानकर टीचर्स का एक पूरा समूह है जो साल भर में बच्चों को तप कर सोना बनने में सक्षम है । जेएनयू कैम्पस में स्थित इस कैम्पस में पहुचने के लिए बस पूर्वांचल गेट तक जाती है ।

तैयारी कैसे करें

१ प्रवेश परीक्षा में एक लिखित पेपर होता है जो की विषयपरक होती है और कुछ २०० तो कुछ ५०० शब्दों में प्रश्न लिखने को आते हैं ।
२ इस परीक्षा में मुख्या तौर पर ये देखा जाता है की विद्यार्थी कितना सोच सकता है और कितना सटीक लिख सकता है।
३ इस परीक्षा को देने विद्यार्थियों को ये सलाह दी जा सकती है की अपने आप को सामान्य ज्ञान और सामयिकी में अद्यतन करें । हिंदू और जनसत्ता जैसे अखबार पढें और सामायिक ख़बरों पर पकड़ बनाएं रखें .
४ विद्यार्थियों को ये भी सलाह दी जाती है की अपनी आवाज़ ,उच्चारण और प्रस्तुति भी अच्छी करें जो की उन्हें साक्षात्कार में मदद करेगा ।
कुछ पुराने परीक्ष के पेपर यहाँ देखें .
Entrance Examination q Parer 2008
शुभकामनाएं

अब हम भी हैं साथ

पहली पोस्ट लिखते हुए मन में जितना उत्साह है ,भीतर कहीं उतना ही भय भी है । हम जानते हैं ब्लॉग की दुनिया बहुत विराट है । ये भी जानते हैं की यहाँ विराट व्यक्तित्वों की कमी नही है । फ़िर भी बहुत समझ बूझ कर आ गए हैं आप सबके साथ चलने । मंजिल का पता नही है लेकिन रस्ते के पडाव तय कर लिए हैं । अपनी लघुता का एहसास है हमें ,ये भी जानते हैं की ब्लॉग के इस समंदर में एक बूँद भी नही हैं हम। पर युवा दिल है ,इसे कौन रोक पाया है अब तक , जो अब रुकने वाला है । फिलहाल ज्यादा कुछ कहना ठीक नही होगा क्योंकि हम जानते है हम नौसिखिए है । लेकिन थोड़ा बहुत तो तय कर लिया वो ये की यहाँ उल्टा सीधा कुछ नही होगा, न किसी से होड़ होगी । हम अपना रास्ता ख़ुद बनायेंगे

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देल्ली 6

जब किसी बडे बॉलीवुड स्टार की फिल्म प्रर्दशन के लिए तैयार होती है तो उसके हाथ पांव फुलने लगती है। कुछ ऐसा हाल है आजकल छोटे सरकार अभिषेक बच्चन का ........... जैसे-जैसे ‘देहली-6’ की रिलीज की तारीख जितनी नजदीक आने लगी है वे अपने को कुछ ज्यादा ही नर्वस महूसस कर रहे।
राकेश ॐ प्रकाश मेहरा की रंग दे बसंती के बाद इस फ़िल्म से बहुत उम्मीदें जताई जा रही है ।संगीत आर रहमान का है और गीत प्रसून जोशी की ताजगी लिए हुए हैं ,उनका मसक्काली मताक्काली वैसे भी धूम मचा रहा है,इस जगाने के बारे मैं एक फ़िल्म समीक्षक ने सही ही लिखा है की इस से कबूतरों की एक बार फिर वापसी हुई है ,देहली-6 में अभिषेक बच्चन एक अमेरिकी नौजावान रोशन की भुमिका निभा रहे है जो
भारत पहली बार आया है। sonam-abhi-in-delli6-wallpaper
उसके यहां आने का कारण है उसकी दादी, जो बहुत बीमार है और अपना आखिर समय भारत में बिताना चाहती है जहॉ वे पैदा हुई है। रोशन जहां पाश्चात्य जीवनशैली का आदी है....... उसे भारतीय संस्कृति, विश्वास और धर्म के बारे में ज्यादा पता नही हैं। यहां आकर उसे पता चलता है कि भारत के खाने और सुगंध की खासयित है।
भारत आने से पहले वह सोचता है कि क्या उसकी दादी अमेरिका छोड़कर गलती तो नही कर रही है, लेकिन उसे यहॉ कर महसूस होता है कि वह गलत था।
वही सोनम कपूर ने देहली-6 में बिट्टू का किरदार निभा रही है जो अपनी पहचान की तलाश में भटक रही हैं और परंपरा के नाम पर उन बेडियों को तोडना चाहती है...... जिन्होंने उसे जकड़ रख होता है। इसी बीच बिट्टू की मुलाकात होती है रोशन से........ वह रोशन को चाहनी लगती है। रोशन की मुलाकात होती है गोबर यानि अतुल कुलकर्णी, जलेबी यानि दिव्या दत्त और नवाब साहब अली यानि ऋषि कपूर से, जो उसे समझाते है कि वो अपने प्यार बिट्टू को छोड़कर न जाए.......... क्योंकि जिदंगी में प्यार बार-बार नही मिलता है।
फिल्म में दिल्ली के उस हिस्से को दिखाया गया है जिसका पिनकोड 110006। इसलिए फिल्म की कहानी नाम दिया गया है ‘देहली-6’। यह शहर इस फिल्म में एक किरदार की तरह मौजूद है।
क्या ये फिल्म अभिषेक और सोनम के कैरियर में एक वरदान साबित होगी ये तो आना वाला समय ही बताएगा।
कास्ट इस प्रकार है :-
अभिषेक बच्चन...रोशन
शीबा चड्ढा... निर्मला ( लोव्लीन मिश्रा)
दीपक दोब्रियाल ... मांडू
दिव्या दुत्ता ... जलेबी
ऋषि कपूर
सोनम कपूर ...बिट्टू
अतुल कुलकर्णी ... गोबर
पवन मल्होत्रा जय गोपाल
सुप्रिया पाठक...विमला
ॐ पुरी ... मदनगोपाल
वहीदा रहमान ... दादी ।
प्रस्तुति सहयोग
उदित गोयल, दिल्ली।

द स्टोनमैन मर्डर्स ,रिलीज़ से पहले

अरबाज खान बॉलीवुड इंडस्ट्री का एक ऐसा स्टार है जो कि अपनी फिल्मों को लेकर हमेशा से चर्चा में बने रहते है। अपनी फिल्मों में चाहे उनका हंसी भरा किरदार हो या एंग्रीयंग मैन का हर एक किरदार को इन्होंने बढी ही खूबी के साथ निभाया है, तभी हर कोई इनके अभिनय के है। हाल में रिलीज उनकी फिल्म फैशन में उनके अभिनय की तारीफ की गई है अब अरबाज खान चर्चा में हैं अपनी आने वाली फिल्म ‘द स्टोनमैन मर्डर्स’ के लिए……….

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द स्टोनमैन मर्डर्स की कहानी है एक सत्यकथा पर आधारिक है। सितम्बर 1983 में मुबंई में फुटपाथ पर सोने वाले लोगों की रात में कोई हत्या कर देता था। यह सिलसिला लगातार चला। हत्यारा सबूत के तौर पर हर शिकार के पास एक भारी पत्थर छोड देता था। कई बार उसी पत्थर से हत्या भी कर देता था। मीडिया ने स्टोनमैन का नाम दिया था। पुलिस उसे पकडने में नाकाम रही। तभी अचानक उस अनजान हत्यारे ने हत्याऍ करना बंद कर देता है। मुंबई पुलिस आज तक इस रहस्य को सुलझा नही पाई है कि वह कौन था और लोगों की हत्या क्यों कर रहा था। इन बातों से प्रेरित होतक निर्देशक मनीष गुप्ता ने द स्टोनमैन मर्डर्स का निर्माण किया है।

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मुंबई पुलिस के लिए स्टोनमैन का केस पेरशानी का सबक बन गया। संजय शेलार य़ानि के.के. मेनन एक निर्दयी सब इंस्पेक्टर था और यही उसके निलंबन का कारण बना। एआईजी सतम यानि विक्रम गोखले को संजय पर विश्वास है कि स्टोनमैन का पकड लेगा। वे उसे स्टोनमैन का काम सौपते है। इस बात का पता किसी को नही रहता है। संजय के पास पुलिस फोर्स में लौटने का एक बेहतरीन अवसर है।

सब इंस्पेक्टर केदार फड़के यानि अरबाज खान और संजय में प्रतिद्घंदिता है। उसे स्टोनमैन को आफिसल रूप से पकडने का जिम्मा सौपा जाता है और उसे पता नही है कि इस पर संजय भई काम कर रहा है।

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पुलिस फोर्स पूरी ताकत के साथ स्टोनमैन को पकडने की कोशिश कर रही है लेकिन वह उसके कोई भी ठोस जानकारी नही जुटा पाते है। कौन है स्टोनमैन ? क्या उसे पकड़ पाएगी ? अब तो ये जानने के लिए देखना होगा कि द स्टोनमैन मर्डर्स।

फिल्म का संगीत दिया सुहास-सिद्घार्थ ने और निर्माता है बॉबी बेदी। अब तो ये फिल्म की रिलीज बताएगी कि अरबाज खान इस फिल्म में क्या जलवे दिखाएगी।

स्टारकास्ट

कलाकार : केके मेनन, अरबाज खान, विक्रम गोखले, रुखसार, वीरेन्द सक्सेना

संगीत : सुहास-सिद्धार्थ

निर्माता : बॉबी बेदी

निर्देशक : मनीष गुप्ता

प्रस्तुति

उदित गोयल, udit goel



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