कुछ रिश्ते टाई की तरह होते हैं
कुछ रिश्ते टाई की तरह होते हैं अक्सर इन रिश्तों के निशान टाई पर न होकर शर्ट पर होते हैं । टाई जब सही बंधी हो समझो की बहुत ग़लत हो रहा है ,जैसे ही जश्न ख़त्म और आदमी अकेला होता है वह अपनी टाई निकलता है तो पहले उसके आकार को परिवर्तित कर उसे थोड़ा व्यापक कर देता है फ़िर तेज़ी से खींचता है और तुंरत बन्धनों से मुक्त टाई सीधी और सपाट हो जाती है ,उस पर न पुराने वक्त की सिलवटें हैं न चहरे पर कुछ खोने का गम , सब कुछ सामान्य सा दिखाई देता है । मगर कमीज़ के कालर पर निशान अक्सर छुट जाते हैं ,कुछ छोटे तो कुछ लंबे जैसे किसी ने पीठ पर हंटर चलायें हों ,लेकिन जब टाई सही नही बंधी हो तो अक्सर आसानी से नही छूटती और इसी कशमकश में वह गले का स्पर्श भी कर लेती है और जब खुलती है तो उसके सीने पर फ्रेंडशिप बैंड बंधे होते हैं ,जो कुछ पागलपन भरे रिश्तों की शुरुआत लिए होते हैं ।अब सवाल है की क्या टाई कभी इतनी सख्त हो सकती है की वह किसी की जान ले सके ,अभी तक ऐसे हादसों की ख़बर अखबारों में छपी नही ,चॅनल वालों को मालूम नही । आस पड़ोस की महिलाओं और बुजुर्गों को ये टाई का किस्सा समझ नही आया । वाकई क्या हम इतने आधुनिक हों गए है की परम्पराओं मैं दम घुटने लगे । मगर नही कल ही मैंने शव यात्रा में लाश को खामोश और खली हाथ जाते हुए देखा है ।
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ठीक कहा दोस्त ओर बहुत सटीक अंदाज में ...
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