चाँदी के वरक में लपटा भारत

लवाइयों ने हमें एकाधिक स्वादों से तो परिचित कराया है, वे मिठाई बनने के बाद उसे सुंदर बनने के लिए उसपर चांदी का एक वरक चढा देते हैं और ये ही वरक मिठाई को कृत्रिम रूप से ताज़ा दिखाने में भी इस्तेमालहोता है . बहुत दीनो बाद कल डाक घर जाने का मौका मिला, डाक घर अब नया हो चुका है, नई कुर्सियाँ , दीवारों पर नया पैंट और बाबुओं के काउंटर का रंग भी बदल गया है . कुर्सियाँ चाँदी के रंग मैं हैं और काउंटरों का रंगलाल है . दरअसल सिर्फ़ इतना ही बदला है , कार्य करने की गति और तरीके में कोई ख़ासा फ़र्क नहीआया है । खैरमैं ये कहना चाहता हूँ की आज हमारा भारत जितना विकसित है उससे ज़्यादा उसपर चाँदी की वरक चड़ा कर दिखाजा रहा है . पुरानी इमारतों में उपर से सनबोर्ड लगाकर नया रूप तो दे दिया जाता है पर असल में बदलता कुछ नहीहै .हमारी सरकार ही नही हम खुद ही अपने आप को इस धोके से बाहर नही निकालने चाहते . हम भारतीयों कोचमक ने हमेशा से अपनी और आकर्षित किया है , हम आज भी हर चमकती हुई चीज़ को सोना मानने से नहीचूकते ।
चु नाव हमे बदलाव का सबसे बड़ा रास्ता नज़र आते हैं जिसे लोकतंत्र का उत्सव भी कहा जाता था . पर हमबदलना क्या चाहते हैं सरकार,क्या करेगी नई सरकार भी आ कर , लोग तो घुमा फिरा कर वो ही हैं ना . मुझे सागर निज़ामी की एक नज़्म के मध्यम से अपनी बात आगे बढ़ना अच्छा लगेगा . धन्यवाद


उठो और उठ के निज़ामे जहाँ बदल डालो ,
ये आसमान ये ज़मीन ये मकां बदल डालो ।
ये बिजलियाँ हैं पुरानी ये बिजलियाँ फूंको ,
ये आशियाँ है कदिम आशियाँ बदल डालो ।
गुलों के रंग मैं आग पंखुड़ी में शराब ,
कुछ इस तरह रविशे गुलसिताँ बदल डालो ।
मिज़ाज़--काफिला बदला तो क्या कमाल किया ,
मिज़ाज़--रहबारे कारवाँ बदल डालो ।
'हयात' कोई कहानी नही हक़ीकत है,
इस एक लफ्ज़ से कुल दास्ताँ बदल डालो ।

बिना स्पेस दिए रोमन टेक्स्ट हिन्दी मैं बदलें

एक कमेन्ट के माध्यम से दिनेशराय जी ने ये जानने में उत्सुकता ज़ाहिर की थी के यदि सामग्री रोमन में लिखीहो तो उसे यूनिकोड में कनवर्ट करने के लिए बिना बार बार स्पेस दिए कोई तरीका है , मुझे एक तरीका मिल गयाहै , सब से साझा कर रहा हूँ , कभी भी ज़रूरत पड़ने पर इस्तेमाल कर सकते है
<span title=

विधी - अपनी पहले से ही टाइप किया हुई सामग्री को अपने ब्लोगर के पोस्ट एडिटर बॉक्स में पेस्ट करें जोकुछ ऐसी दिखेगी
vidhi - apni pehle se hi tipe ki hui samagri ko apne post editor box main paste karein jo kuch aisi dikhegi
इसके बाद उस पूरे टाइप किए हुए मैटर को सेलेक्ट कर लें और Ctrl+G दबाएँ , आपका टेक्स्ट तुंरत परिवर्तित होजाएगा और नया हिन्दी मैं लिखा हुआ मैटर जाएगा ,
है ना आसान.. बार बार स्पेस दबाना और कुछ ...
प्रयोग कर के बताएं कैसा रहा


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ब्लोगिंग शब्दावली

इस पोस्ट के माध्यम से हमारा प्रयास ब्लॉग और ब्लागिंग से जुडी कुछ शब्दावली हिंदी में समझने का है. दरअसल मेरा मानना है की जब व्यक्ति को उसके कार्य का अर्थ पता होता है तो उस कार्य को करने में उसकी उर्जा बढ़ जाती है ,
निचे लिखे सभी शब्द आम ब्लोगिंग सन्दर्भों में प्रयोग किये जाते हैं , आपको कोई नए शब्द सूझें या कोई सुधर हो तो ज़रूर बताएं , इस पोस्ट के सन्दर्भ में शब्दकोष का प्रयोग सही नहीं लगता पर इस पोस्ट के माध्यम से एक ऐसा हिंदी शब्दकोष बनाने की भूमिका रखना चाहता हूँ .

ब्लोगिंग / चिट्ठाकारिता

* वेबलॉग -एक ऑनलाइन डायरी जिसमे किसी विषय पर या कई विषयों पर लेख लगातार प्रकाशित होते रहते हैं ।
* ब्लॉग - वेबलॉग का लघु( छोटा ) रूप
* ब्लोगिंग - ब्लॉग पर सामग्री प्रकाशित करने का कार्य
* ब्लोगर - वो व्यक्ति जो ब्लोगिंग करता है
* ब्लोगोस्फेयर - अन्तर जाल पर ब्लॉग समाज

ब्लोगिंग के रूप

* फोटो ब्लोगिंग - ऐसा ब्लॉग जो मुख्यतः फोटो प्रकाशित करता है ,ये फोटो ब्लोगेर्स और चित्रों पर ध्यान देता है- इसे चलने वाले अक्सर फोटो ब्लोगर कहलाते हैं ।
* पॉडकास्टिंग -एक ऐसा तरीका जिससे हम अपनी दृश्य और श्रव्य कृतियाँ प्रस्तुत करते हैं और दर्शक या श्रोता उसे ऑनलाइन स्ट्रीम या अपने कम्प्यूटर पर डाउनलोड कर देख सकता है । पोडकास्ट करने वाले अक्सर पॉडकास्टर कहलाते हैं
* ऑटोकास्टिंग - ये पोड कास्टिंग का एक स्वचालित रूप है ।
* ब्लॉगकास्टिंग - जब ब्लॉग और पोडकास्ट एक ही ब्लॉग पर होते हैं तो उसे ब्लॉग कास्टिंग कहते हैं
* व्लोगिंग - इसे विडियो ब्लोगिंग भी कहते हैं , विडियो इसकी एक मात्र सामग्री होती है । इसे व्लोग भी कहा जाता है
* ऑडियो ब्लोगिंग - इसमे mp3 और अन्य म्यूजिक सामग्री शब्दों की जगह उपयोग में लायी जाती है, इसे ऑडियो ब्लॉग , MP3 ब्लॉग भी कहते हैं
* मोब्लोगिंग - इन्हे मो-ब्लॉग भी कहते हैं इन ब्लोग्स पर कंटेंट अक्सर मोबाइल से पोस्ट किया जाता है ।

bitter-sweet-blog-lg podcasting
And

ब्लॉग के घटक सुर उनके कार्य

* इंडेक्स पेज - ब्लॉग का मुख्य प्रष्ट
* हेडर - ब्लॉग का सबसे उपरी हिस्सा , जिसपर आमतौर पर ब्लॉग का नाम , ब्यौरा और कोई चित्र होता है
* फूटर - ब्लॉग का सबसे निचला हिस्सा जिसको आमतौर पर नैविगेशन और कॉपीराइट निर्देशों को दिखने के लिए किया जाता है
* साइडबार - ब्लॉग पर मुख्या परमा लिंक आलावा एक या उससे अधिक कालम,जिसमे ब्लॉग फीड और विज्ञापन आदि लगाये जाते हैं
* लेबल/चिप्पियाँ - किसी एक विषय से जुड़े हुए लेखों का संग्रह
* पोस्ट , एंट्री,लेख - लेख ,जिससे ब्लॉग बनता है
* कमेंट्स टिप्पणियां - पाठकों के उस लेख या पोस्ट के बारे में विचार
* Captcha - “Completely Automated Public Turing test to tell Computers and Humans Apart” के लिए छोटा शब्द, ऐसा चित्र जो शब्दों के रूप में परिभाषित होता है ,और मानव और मचिनों को पहचानने में मदद करता है , ये स्पैम रोकने में काम आता है।
* पिंग - "Packet Internet Grouper" . ये अन्य ब्लॉग ढूँढने वाले तंत्रों को सूचित करता है, जब भी कोई नेइ सामग्री , टिप्पणियों या हवालों में परिवर्तन होता है ।
* ट्रैक बेक (हवाले ) - एक ऐसा तंत्र जिससे ये संदेश जाता है की आपका ये लेख इस चिट्ठे पर प्रकाशित है और लिंक उस चिट्ठे पर उपलब्ध है ।
* पिंग बेक - ट्रैक बेक देखें ।
* परमा लिंक - किसे लेख की लिंक ।
* टेग्स - एक जैसी पोस्ट को जोड़ने वाले शब्द,जो वर्गीकरण भी करते हैं ।
* टैग क्लाउड - चिप्पियों/ लेबल/या खोजशब्दों का समूह प्रदर्शन ।
* ब्लोगरोल - आपके पसंदीदा चिट्ठों की सूची , sidebar में ।
* साईडब्लॉग - एक छोटा ब्लॉग जो आपके सिदेबर में हो ,वहीं उसमें नए कंटेंट आयें ।
* टेम्पलेट - ब्लॉग के प्रदर्शन का तरीका ।
* ब्लॉग थिस - इस सुविधा से आप जिस ब्लॉग-पोस्ट को पड़ रहे हैं उसे ब्लॉग कर सकते हैं ।
* प्लगइन्स - ऐसी फाइल या फीचर जिसे अपने ब्लॉग पर लगा कर उपयोगिता या नई सुविधाएं जोड़ सकते हैं ।
* देशबोर्ड - जब आप अपने ब्लोगिंग पेज पर साइनइन करते हैं ,तो वोह पहला पेज जिसपर सभी टूल और विकल्प होते हैं ।
* Archives/अभिलेखागार - पुरानी पोस्ट की एक सूचि ,ये माह वार,दिन वार , या सालन कैसा भी हो सकता है ।
* Expandable post summaries /विस्तार योग्य पोस्ट सारांश - का प्रमुख भाग प्रथम पेज पर दिखाना ,शेष का लिंक देना ,जिस पर क्लिक कर पाठक पूरी पोस्ट देख सकता है ।
* FTP - file transfer protocol के लिए शार्टकट ।

वेब फीड्स

* वेब फीड - ऑनलाइन मिलने वाली एक ऐसी सदस्यता जिससे पाठक नया अद्यतन होने वाली सामग्री तुंरत प् सकता है ।
* RSS - अंतर्जाल समूहन के लिए उपयोग होने वाला एक वेब फीड फॉर्मेट । Really Simple Syndication (RSS 2.0) के लिए लघु रूप ( short form) Rich Site Summary (RSS 0.91, RSS 1.0) , RDF Site Summary (RSS 0.9 and 1.0). Wordpress generates RSS 2.0
* XML - eXtensible Markup Language के लिए लघु रूप . ब्लॉग सिंडिकेशन के लिए एक आम रूप से उपयोग होने वाली फीड ।
* RDF - Resource Description Framework के लिए लघु रूप . web content syndication का एक रूप ।
* Atom - एक और ब्लॉग फीड का रूप . Blogger आम तौर पर इसी में होती हैं ।
* OPML - Outline Processor Markup Language के लिए लघु रूप . ये एक XML फॉर्मेट फाइल है जो कई वेबसाइट सदस्यता और aggregator के बीच सद्स्य्स्ता आयत निर्यात का काम करता है ।
* Photofeed- एक ऐसी फीड जिसमे फोटो लगी हो ।

ब्लोगिंग सॉफ्टवेर / सेवा प्रदाता

* Blogger - गूगल द्वारा एक मुफ्त ब्लॉगिंग प्लेटफार्म.
* Blogspot -name.blogspot.com में मुफ्त ब्लॉगर होस्टिंग ब्लॉग
* LiveJournal - SixApart द्वारा एक मुफ्त ब्लॉगिंग प्लेटफार्म.
* Movable Type - SixApart की सशुल्क ब्लोगिंग सेवा
* Typepad - SixApart की सशुल्क ब्लोगिंग सेवा
* Wordpress.org- निशुल्क . ब्लोगिंग सेवा
* Wordpress.com - निशुल्क वर्डप्रेस ब्लॉग
* Radio Userland - एक और ब्लॉग पब्लिशिंग सॉफ्टवेर
* Windows live Writer - माइक्रोसॉफ्ट का ब्लॉग लेखन सॉफ्टवेर

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ब्लोग्स के प्रकार

* ग्रुप ब्लॉग - ऐसा ब्लॉग जिसमे एक से ज्यादा ब्लोगेर योगदान देते हों ।
* इवेंट ब्लॉग - किसी एक घटना या वृत्तान्त पर केंद्रित ब्लॉग।
* Celeblog - सलेब्रिटिस पर फोकस ब्लॉग ।
* सलेब्रिब्लोग Celebriblog - सेलेब्रिटी द्वारा संचालित ब्लॉग ।
* Indi Blog - भारतीय भाषा या भारत में लिखा गया ब्लॉग ।
* Plog - निजी ब्लॉग ।
* Movlogs - मोबाइल विडियो ब्लॉग ।
* Splog- स्पैम ब्लॉग ।
* Tech blog - तकनीकी विषय पर केंद्रित ब्लॉग ।
* Anonoblog - एक गुमनाम ब्लॉगर द्वारा ।
* Linguablog - भाषाविज्ञान, अनुवाद आदि के बारे में ब्लॉग ।
* Metablog - ब्लोगिंग के बारे में ब्लॉग ।
* Milblog - मिलिट्री ब्लॉग ।
* Blawg - वकील द्वारा संचालित ब्लॉग / कानूनी सामान से संबंधित ब्लॉग ।
* Edu-blog - सिक्षा सम्बन्धी ब्लॉग ।

* Progblog - एक प्रगतिशील ब्लॉग ।
* Shocklog - चौकाने वाली सामग्री पोस्ट कर चर्चा भड़काने वाला ब्लॉग ।
* Klog - ज्ञान वर्धन से सम्बंधित ब्लॉग ।
* Blogsite - एक ऐसी साईट जो कई ब्लोगों की सामग्री जोड़ती है ।
* Dark Blog- ऐसा ब्लॉग जो आम लोगों के लिए बंद है ।
* Photocast- फोटो ब्लॉग जो नई फोटोस के अपलोड होने पर स्वतः अद्यतन हो जाए ।

ब्लोगेर्स की आदतें

* Metablogging - ब्लोगिंग के बारे में लेख लिखना ।
* Blogstipation - लगातार ब्लॉग लिखने में असमर्थ , क्या लिखें समझ नही आता ?
* Blogathy - में आज पोस्ट नही करूँगा , मुझे इससे फरक नही पड़ता !
* Blogopotamus - बहुत लम्बी ब्लॉग पोस्ट ।
* Blogorrhea - लेख का असामान्य रूप से अधिक हो जाना ।
* Bleg - सहायता पाने के लिए ब्लोगिंग करना ।
* Hitnosis - अपने ब्लॉग को बार बार रिफ्रेश करना,ये देखने के लिए के हिट्स कितने बड़े या कॉमेंट्स कितने बड़े । !!
* GAD - Google Adsense Disorder. बार बार अपने एडसेंस अकाउंट को चेक करना की कितना पैसा बड़ा ।
* Blego - Blog+Ego. ब्लॉग की कीमत जानना , अलग अलग वेबसाइट पर जाकर , अपने ब्लॉग पर दिखाना ।
* Blog hopping - एक ब्लॉग से दूसरे ब्लॉग पर जाना ।
* Blogroach - ऐसे टिप्पणीकार जो पोस्ट की गई सामग्री से बुरी तरह से असहमत हैं ।
* Blogoholic - ब्लोगिंग का नशा होना ।
* Blogorific = ऐसी सामग्री जिसे ब्लागर कमल की बताएं ।
* Blogsit - ऐसा ब्लॉग चलाना जिसका प्राथमिक ब्लोगर छुट्टी पर हो या ब्लोगिंग न कर रहा हो ।
* Blogvertising - ब्लॉग पर विज्ञापन करना ।
* Blurker - ऐसा पाठक जो सिर्फ़ लेख पढता है , कमेन्ट नही करता।
* Blogathon - ब्लॉग को हर आधे घंटे में अद्यतन करना ।
* Blogiversary - ब्लॉग का जन्मदिन ।
* Blog Carnival - किसी विशेष विषय के लेखों की लिंक देना ।
* Multiblog - कई ब्लोग्स चलाना ।
* Blog Tipping - नए ब्लोग्स को या अन्य ब्लोग्स को बधाई देना ।
* Blogger bash - ब्लोगर्स की पार्टी ।
* Commenter - जो टिपण्णी करे ।
* Reciprocal Links - तुम मुझे लिंक करो,में तुम्हे लिंक करूँगा, और हम दोनों की रंकिंग बढ़ने लगेगी
* Linkbaiting - अच्छा कंटेंट लिखना ,इस आशय से की कई ब्लोग्स या साईट से मुझे लिंक करेंगे ।
* Blogstorm - किसी विवाद के कारण अधिक ब्लॉग गतिविधि इसे blog swarm. भी कहते हैं ।
* Blogsnob - गैर मित्रों को टिपण्णी पर प्रतिक्रिया न करना ।
* Doppelblogger - .किसी अन्य ब्लॉग से सामग्री चोरी कर प्रकाशित करना , ब्लॉग चोर ।
* Blogophobia - ब्लॉग एयर ब्लोगिंग का डर ।
* Bloggerel - एक ही राय ब्लॉग पर दोबारा प्रकाशित करना ।

ब्लोगर्स के प्रकार

* Problogger - पेशेवर ब्लोगर
* Blognoscenti - विशिष्ठ ज्ञानी ब्लोगर
* Blogebrity - एक प्रसिद्ध ब्लोगर
* Blogerati - ब्लॉग जगत के बुद्धिजीवी
* Commentariat - टिप्पणियों छोड़ने वालों का समुदाय.
* Dooced - ब्लॉग प्रविष्टियों की वजह से एक नौकरी खोना ।
* Blogther - एक साथी ब्लॉगर ।
* A-List- ब्लॉग जगत के शीर्ष ब्लोगर ।
* Blogstar- एक लोकप्रिय ब्लॉग चलाने वाला ब्लागर ।

अन्य ब्लोगिंग शब्द

* Bloggies- सालाना ब्लोगिंग अवार्ड ।
* MSM - Mainstream Media,मुख्यधारा का मीडिया ।
* BSM - Blogstream media. सबसे ज्यादा पाठकों वाले ब्लॉग से ।
* Blog Day - 31 August. ३१ अगस्त
* Blaudience - आपके ब्लॉग पाठक ।
* Blargon - Blogssary भी कहा जाता है . ये जो आप पढ़ रहे हैं ।
* Blogiverse - ब्लॉग जगत , चिटठा जगत ।
* XFN - XHTML के लिए लघु रूप , मित्रों का समूह, हाइपरलिंक के मध्यम से बताया जा सकता है ।
* Blogonomics - blogging conference on a Blog Cruise in 2006.
* EFF - Electronic Frontier Foundation के लिए लघु रूप . ब्लोगर्स के अधिकारों के लिए एक गैर मभ्कारी संस्था ।
* Blog of Note - a सिफारिशी ब्लॉग . ब्लोगेर द्वारा घोषित ।
* Navbar - एक नैविगेशन बार , आम तौर पर ब्लोगेर ब्लोग्स के ऊपर देखा जाता है ।
* Blook - ब्लॉग से बनाये गए एक पुस्तक ।
* Hat Tip- जहाँ से सामग्री ली है उसे श्रेय देना ।
* Spomments-स्पैम टिप्पणियाँ ।
* Blammer- ब्लॉग स्पमेर ।
* Blogiday- ब्लॉग से थक कर छुट्टी लेना ।

ब्लोगिंग उपकरण और सेवाएं

* Bloglines, Rojo, Newsgator, Kinja, ब्लागवाणी ,चिट्ठाजगत , हिन्दिब्लोग्स.कॉम , टेक्नोराटी , ये सभी ब्लॉग अग्रीगेटर हैं , ये सदस्य ब्लोग्स से पिंग के मध्यम से फीड इकट्ठी करता है और दिखता है, साथ ही जिन लोगों ने किसी विशेष ब्लॉग की सदस्यता ली है उन तक नया माल भी पहुंचाते हैं ।
* Pageflakes, Newsvine - एक ही पेज पर कई वेबसाइट्स को पिंग करने का माध्यम ।
* Odeo, Podnova - ये पोड फेचर कहलाते हैं,जो नया पॉडकास्ट कंटेंट आते ही खींचते हैं , और दिखता है ।
* Feedburner - ये गूगल की एक फीड मैनेजमेंट प्रणाली ।
* Pingomatic, Pingoat - एक ही पेज पर कई वेबसाइट्स को पिंग करने का माध्यम ।
* Feedblitz, Zokooda - ये एक फीड मैनेजमेंट प्रणाली , पाठकों तक ईमेल भी पहुंचती है ।
* Technorati - एक सर्च इंजन जो ब्लॉग जगत में की हो रहा है , बताता रहता है ।
* Adsense, Adbrite, CJ, Chitka, Blogads - ऐसे साइट्स या बोलग जो अलग अलग कार्यक्रमों के माध्यम से पैसा कमाने का मौका देते हैं ।
* Sphere, Icerocket - ब्लॉग सर्च इंजन ।
* Live Bookmarks - फायर फॉक्स की सुविधा , जो नई सामग्री आने पर अपने आप ही अपडेट हो जाती है ।
* Creative Commons - "कुछ अधिकार रक्षित" के दृष्टिकोण से ,ब्लॉग लेखकों को अपनी सामग्री की सुरक्षा और स्वतंत्रता प्रदान करने का अधिकार ।
* CoComment - विभिन्न ब्लोग्स पर की गई टिपण्णी को इकठ्ठा करने और उनकी प्रतिक्रिया जानने का माध्यम ।
* WBloggar, Ecto, Qumanna - desktop blog publishing tools
* Mint, Mybloglog, Measuremap, Analytics ,statcounter,histats - ट्राफिक पता लगाने के उपकरण ।
* Haloscan- निशुल्क trackback सेवा ।
* YouTube, Rapidshare- ब्लॉग पर विडियो लगायें ।
* Flickr, Imageshack, photobucket - तस्वीरें साझा करने के लिए सेवा , अपने ब्लॉग की तसवीरें इन पर होस्ट कर सकते हैं ।
* Del.icio.us, furl, spurl - सोशल बुकमार्क साझा करने के लिए ।
* Bloggoggle - पेशेवर ब्लॉगिंग की निर्देशिका ।
* BlogHer - महिलाओं का सबसे बड़ा ब्लॉग ।

कुछ और शब्द-छूट न जायें

* Digged - digg.com से ट्राफिक अपने ब्लॉग पर ला सकते हैं,लिंक पोस्ट करके
* Slashdotted - slashdot.org से ट्राफिक अपने ब्लॉग पर ला सकते हैं,लिंक पोस्ट करके ।
* Instalanche - instapundit.com से ट्राफिक अपने ब्लॉग पर ला सकते हैं ,लिंक पोस्ट करके ।
* Farked - fark.com से ट्राफिक अपने ब्लॉग पर ला सकते हैं ,लिंक पोस्ट करके
* Boing Boinged - boingboing.net link posted on ,लिंक पोस्ट करके

अन्तिम विविध ब्लोगिंग शब्द

* Ajax - Asynchronous JavaScript and XML के लिए लघु रूप , ब्लॉग पर अतिरिक्त functanality के लिए ।
* Greasemonkey - a firefox web browser extension जो किसी भी वेबसाइट की फुन्क्ट्नालिटी में परिवर्तन कर सकता है ।
* SEO - search engine optimization. सर्च रंकिंग बढाने के लिए ।
* Page Rank - गूगल पेज की महत्ता के हिसाब से पेज रेंक निर्धारित करता है ।
इस पोस्ट में ब्लोगिंग से जुड़े कई शब्द हिन्दी में समझाने की कोशिश की गई है फ़िर भी कुछ छूट सकता है , इस पोस्ट में हिन्दी भाषा में त्रुटियां ज़रूर हैं, कुछ नए शब्द मिलें तो बताएं , हमें उन्हें शामिल करने और बदलने मैं खुशी होगी ।

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शर्म आने लगी है ऐसे भेड़ियों को चुनने में

पंद्रहवें आम चुनाव के लिए हो रहे चुनाव प्रचार में राजनेताओं का जो वाकयुद्ध हो रहा है उसमें विचारधारा, नीतियॉंऔर आम आदमी के मुद्दे नदारद हैं। यहॉं तो बस सड़कछाप गुण्डों की तरह लड़ाई छिड़ी दिख रही है। जो बीच बाज़ारएक-दूसरे को गाली दिए जा रहे हैं, बिना इस बात की चिंता किए कि सड़क से गुजरने वाले दूसरे लोग उन्हें क्याबोलेंगे। आडवाणी कह रहे हैं कि मनमोहन कमजोर प्रधानमंत्री हैं और सोनिया कह रही हैं आडवाणी आरएसएस केगुलाम हैं। एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए जिससे जो संभव हो रहा है वो कर रहा है और कह रहा है। किसीकोइस बात की चिंता नहीं है कि देश की जनता को इसी कमजोर प्रधानमंत्री और आरएसएस के गुलाम में से किसीएक को देश की बागडोर सौंपनी है। चाहे कांग्रेस हो या भाजपा या तीसरे मोर्चे के नेता। किसी को इस बात की फिकरनहीं है कि आजादी के परवानों ने इस देश में एक ऐसे लोकतंत्र की नींव रखी है जिसमें जनता ही जनार्दन है। लेकिन बरस बाद लगता है कि हमारे नेताओं को लोकतंत्र की अवधारणा याद नहीं रह गई है। लोकतंत्र का दिल लोकसेवा है। लेकिन अब तो नेताओं के भाषण और उनकी करतूतें देखकर लग रहा है कि ये सब राजसत्ता के भूखे भेड़िए हैं। इन्हें देश की जनता के ईमान से कोई सरोकार नहीं। सब के सब एक-दूसरे को नीचा दिखाने में लगे हैं।सब दूसरे की थाली में छेद ढूंढ रहे हैं। देश की तरक्की का खाका किसी के पास नहीं है। किसी को 62 सालों के इसआजाद दौर की परवाह नहीं। इस बात पर किसी को शर्म नहीं आ रही है कि इतने सालों बाद भी हम कहॉं खड़े हैं।राजनीतिक दलों के ऐजेण्डे लोकलुभावन वादे से अटे पड़े हैं। कोई कह रहा है हम 2 रुपए किलों खाद्यान्न देंगे तोकोई एक रुपए किलो देने की बात कह रहा है। लेकिन इनको इस बात की कोई परवाह नहीं कि अभी तक आप जो रुपए और 4 रुपए किलो दे रहे थे क्या वो उन जरुरतमंदों तक सही अनुपात और समय पर पहुँच पाया। अगरनहीं पहुँच पाया तो कौन है इसके लिए जिम्मेदार। सत्ता सुंदरी के साथ शयन करने की इनकी कामना ने इन्हें अंधाबना दिया है। इनके आक्षेप के केन्द्र में विचारधाराएं और सिद्धांत नहीं `बुढ़िया´ और `गुड़िया´ आ गई है। बेहतर होगा यदि नेता अपनी बयानबाजियों से लोकतंत्र के सवा अरब नुमाइंदों को शर्मिंदा न करें। क्योंकि इनकी बात सुनकर अब हमें इस बात पर शर्म आने लगी है कि हम इस लोकतंत्र के लोक हैं, जो ऐसे भूखे भेडियों को अपने मतसे चुनकद संसद और विधानमंडलों तक भेजते हैं। ऐसे भेड़िए जिन्हें अपनी कुर्सी के आगे देश की अस्मिता और गरिमा सब कमतर लगे।

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पोस्ट का पहला अक्षर बड़ा बनाएं

इस पोस्ट में आपने कुछ अलग नोटिस किया ,जी हाँ पहला अक्षर ,इस पोस्ट का पहला अक्षर बड़ा है , बहुतदिनों से अपने ब्लॉग की स्टाइल शीत पर कोई काम नही किया था, वडनेरकर जी के सफर में पोस्ट के शुरुआतहमेशा बड़े अक्षर से ही होती है , बचपन से अखबार की सम्पादकीय में भी ऐसा ही कुछ देखते रहे हैं सोचा क्यों अपने ब्लॉग पर लगाया जाए

Drop Caps - जी हाँ यही कहते हैं इसे , हम इसे बरसों से अपने वर्ड डाक्यूमेंट सुंदर बनने के लिए कर ही रहे हैं , और यदि आप वर्ड पर लिख सीधे किसी सॉफ्टवेर से प्रकाशित करते हों तो आप जानते ही होंगे


कैसे - इसको अपने ब्लॉग पर लगना कोई कठिन काम नही है , चूँकि हमारा ब्लॉग को css style sheet से हीसमझता है , तो हमें पहले ब्लॉग को ये बताना होगा, फ़िर वोह ख़ुद--ख़ुद सिर्फ़ एक बार में समझ लिया करेगा तो ज्यादा समय नही लेते हुए विधि पर आते हैं

Step 1 - अपने ब्लॉग के edit HTML सेक्शन में जायें .
Photobucket

Step 2 - यहाँ आपके कोड लिखे दिखेंगे यहाँ CTRL+F की सहायता से

]]</b:skin>

को ढूंढें

Step 3- ]]</b:skin> के ठीक ऊपर निचे दिया हुआ कोड पेस्ट कर दें
.post aad {
float:left; color:
headerBgColor;
font-size:100px;
line-height:80px;
padding-top:1px;
padding-right:5px; }

अब निचे दिए हुए सेव टेम्पलेट पर क्लिक करें - आपका काम हो चुका है

अपनी पोस्ट पर आकर पहले अक्षर को एडिट एच टी एम् एल पर आकर इस कोड में बंद कर लें <aad>अ</aad>


लगातार
उपयोग के लिए

सेटिंग में जा कर - फॉरमेटिंग पर क्लिक कर सबसे निचे पोस्ट टेम्पलेट में इस तरह से कोड पेस्ट कर दें और सेवकर लें इस से आपको ये कोड याद रखने में
दिक्कत नही होगी
http://www.blogger.com/blog-formatting.g?blogID=1003205703605241903

अब जब भी आप नई पोस्ट लिखेंगे तो आपको ये पहले से ही वहां मिलेगा , आपको सिर्फ़ बीच में जगह पर अपनीपोस्ट का पहला अक्षर लिखना है

ये पोस्ट कैसी लगी , ज़रूर बताइए

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लोकलज्जा भंग होने का प्रतीक है जरनैल का जूता

बड़ा ही अहम सवाल है कि क्या जरनैल जैसे पत्रकारों का एक जूता भारतीय राजनीति की दिशा को बदल सकताहै? इस जूते के कई मायने हैं। एक तो ये कि क्या एक पत्रकार के लिए ऐसा करना ठीक है ? दूसरा ये कि क्या एकजुता भारतीय राजनीति में किसी की टिकट कटा सकता है। निसंदेह जरनैल के जूते ने भारतीय राजनीति, पत्रकारिता और ब्लागर्स के मध्य एक नई बहस को जन्म दिया है। लेकिन थोड़ा सा सापेक्ष होकर सोचें तो क्या यहसही नहीं है कि ये जरनैल के जूते का ही असर है कि सिक्ख दंगों के लिए दोषी टाइटलर और सज्जन के हाथ सेकांग्रेस की टिकट फिसल गई।
थोड़ा सा और गहरे में जाएं तो क्या ये भी सही नहीं है कि 60 साल के लोकतंत्र की हालत अब भी इस कदर कमजोर है कि एक पत्रकार का जूता इसमें हिलोरें पैदा कर सकता है। सवाल जरनैल के जूते से सज्जन और टाइटलर के टिकट काटकर जन भावनाओं के सम्मान का नहीं है (जैसा कांग्रेस कह रही है) यदि हिंदुस्तान के राजनीतिक दलों को जनभावनाओं की इतनी ही कदर है तो फिर दोषी ठहराए जाने के बावजूद सज्जन और टाइटलर आज इस मुकाम पर कैसे पहुंचे । यहाँ तो राजनीतिक पार्टियों का ये एक सूत्रीय ऐजेंडा है सत्ता सुख का भोग। चाहे उसके लिए उन्हें कुछ करना पड़े। इस आम चुनाव में कौनसा ऐसा मुद्दा है जो आम आदमी से सीधा जुड़ा है। यदि सिक्ख दंगों के लिए दोषी ठहराए जाने के बावजूद सज्जन और टाइटलर को टिकट मिल रही थी तो शर्म आना चाहिए हमारे लोकतंत्र के पुराधाओं को , हम बहस इस विषय पर कर रहे हैं कि जरनैल का चिंदबरम पर जूता उछालना कितना जायज है। हम ये नहीं जानना चाहते कि भारतीय राजनीति में ऐसे न जाने कितने टाइटलर और सज्जन हैं जिन्होंने अपनी पार्टी के फायदे के लिए क्या-क्या नहीं किया। इसीलिए तो अब लोकतंत्र में लोकलज्जा भंग हो रही है।
जरनैल का एक पत्रकार होते हुए चिदंबरम पर जूता उछालना इसी बात का प्रमाण है। चाहे कोई किसी पेशे में हो लेकिन सबसे पहले वह एक इंसान है। इंसान के भीतर उसके अपनी संवेदनाएं है। यदि जरनैल का मामला प्लांटेड नहीं हुआ तब तो ये पूरी राजनीतिक बिरादरी पर फेंका गया एक जुता है। यदि इस जूते ने कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी के निर्णय को प्रभावित किया है तब तो निश्चित रुप से जरनैल का कृत्य काबिले तारीफ है। इराक में जार्ज़बुश पर फेंके गए जैदी के जूते की इसीलिए वहॉं जय-जयकार हुई थी। दरअसल ये जूता नहीं जनभावनाओं का प्रतीक है।

अब आपके लिए भी ये एक जूता छोडे जा रहे हैं , मन चाहे पत्रकारों पर मारें, मन चाहे हमारी राजनीती पर मारें , या चाहें तो उस पर क्लिक करें और हमें गरिया दें या कमेन्ट दे दें


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गूगल एनालिटिक्स पर रजिस्टर करें-रिपोर्ट्स का विवरण अगली पोस्ट मैं

र ब्लॉगर के लिए आज ये जानना ज़रूरी हो गया है की उसके पाठक कौन हैं कहाँ से आते हैं , कितना समय वेबसाइट पर बिताते हैं और किन किन लेखों को ज्यादा तवज्जो देते हैं । दरअसल इन आंकडो से एक ब्लॉगर को दिशा मिल सकती है की वो किस ओर अपनी उर्जा लगाये की उसका पाठक आधार और मजबूत हो , साथ ही ये भी पता चलता है की किस क्षेत्र में और काम किया जा सकता है , पर कैसे ? इसके लिए इन्टरनेट पर तमाम उपाय मौजूद हैं , जैसे www.statcounter.com , www.histats.com और भी कई । इनसे अलग गूगल का एक उत्पाद है जो इस तरह के तकनीकी अनालिसिस में आपकी मदद कर सकता है । google.com/analytics
इस पोस्ट मैं सिर्फ़ गूगल एनालिटिक्स मैं रजिस्टर कैसे करें है और अगली पोस्ट कैसे इस्तेमाल करें इस पर आधारित होगी क्योंकि जब आपके पास डाटा होगा तब ही तो आप उसका इस्तेमाल करेंगे और गूगल एनालिटिक्स
मैं डाटा इकट्ठे होने मैं एक दिन का समय लगता है । गूगल एनालिटिक्स मैं तमाम तरह की सुविधाएं हैं और advanced reports देखी जा सकती हैं ।

तो देखें कैसे रजिस्टर करें
  1. google.com/analytics पर क्लिक करें और रजिस्टर करें । इस पर रजिस्टर करने के लिए आपके पास सिर्फ़ एक गूगल खता और एक ब्लॉग का होना ज़रूरी है .Photobucket
  2. रजिस्टर करने के बाद दूसरी कड़ी अपने चिट्ठे के बारे में अनालिस्टिक को बताना होता है । यहाँ सिर्फ़ चिट्ठे का नाम , url और अपने देश का नाम देना होता है । डिटेल देने के बाद continue पर क्लिक करें । Photobucket
  3. तीसरी स्टेप में अपनी निजी जानकारी जिससे अनाल्य्स्टिक आपको पहचानेगा डालें और continue करें । Photobucket
  4. अगली कड़ी में गूगल की सेवा शर्तों को मानें क्योंकि बिना उसके हम आगे नही जा सकते . Photobucket
  5. निचे डाटा शरिंग लिंक पर क्लिक करें और अपने हिसाब से तय करें की आप अपना डाटा किसी के साथ शेयर करना चाहते हैं या नही , मेरे ब्लॉग पर तो जो भी है बाँटने के लिए ही है इसलिए मैंने इस प्रकार शेयर किया है । इस स्टेप के बाद निचे create new account पर क्लिक करें । Photobucket
  6. अब आप इस पेज पर आ जायेंगे , यहाँ दो तेबों में दो दो कोड दिए हुए हैं New Tracking Code(ga.js) और Legacy Tracking Code (urchin.js) । हमें एक एक करके दोनों का इस्तेमाल करना है , एक दूसरी विंडो में ब्लॉगर खोल लें Photobucket
कॉपी किया हुआ कोड ब्लॉगर में </body> टैग के ठीक ऊपर पेस्ट कर दें । </body> को ढूँढने के लिए इस तरह layout में जा कर edit html पर क्लिक करें और ctrl+f कर ढूंढेंPhotobucket




जहाँ कोड पेस्ट करें उसके ठीक निचे urchin.js का कोड पेस्ट कर दें । urchin.js कोड के लिए दिए हुए चित्र की तरह दिए हुए कोड को कॉपी कर पेस्ट कर दें । Photobucket
आपके ब्लॉग पर दूसरा कोड कुछ ऐसा दिखेगा . अब save template पर क्लिक करें । Photobucket
7. जब कोड सेव कर लें , दोबारा अनाल्य्स्टिक की वेबसाइट पर जा कर continue पर क्लिक करें ।
Photobucket

आपका कार्य हो चुका है , आधे घंटे बाद दोबारा गूगल एनालिटिक्स को एक्सेस करें आपको ये सही का निशान दिख जाएगा
https://www.google.com/analytics/settings/?et=reset&hl=en-US

एक बार आपका अकाउंट बन जाए आप इस सेवा से कई रिपोर्ट्स देख सकते हैं ,

अब रिपोर्ट्स कैसे देखें और क्या रिपोर्ट्स हैं इसे पढने और समझने के लिए अगली पोस्ट पढ़ें , जो शीघ्र ही प्रकाशित होगी । मैं यहाँ बताना चाहता हूँ की ये रिपोर्ट ब्लोग्गेर्स से ज्यादा उन वेबसाइट्स जो इन्टरनेट व्यापार आदि कार्यों मैं लगी हैं के काम का है । तो अगली पोस्ट का इंतज़ार करें ।


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श्रीलंका-तमिल संघर्ष पर एक नज़र " और हम "

श्रीलंका में क्या घट रहा है ,हम सभी शायद इससे अनभिग्य भी हों पर कुछ करते भी नही , स्वयं को जिम्मेदार समझने वाली हमारी मीडिया भी चुप्पी सी सधी हुई है , यहाँ मैं इन्टरनेट पर उपलब्ध दो लेख जो इस विषय को थोड़ा-थोड़ा समझाते हैं दे रहा हूँ साथ ही कुछ तस्वीरें हैं जो वहां हो रही विभत्सक हत्याओं पर ध्यान दिलाती हैं एक मित्र के मेल से ये तस्वीरें मिलीं , इतनी हिंसक हैं की ब्लॉग पर प्रकाशित नही कर सकता इसलिए इनकी सिर्फ़ लिंक देख रहा हूँ आप इसे क्लिक कर देख सकते हैं
फिलहाल श्रीलंका में स्थिति इतनी ख़राब है की उसे हिटलर की दोबारा वापसी कहना अतिशयोक्ति नही होगी , श्रीलंकन आर्मी आम तमिल निवासियों के बीच बम गिरा रही है ,हालत सचमुच बहुत ख़राब हैं । बच्चे गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों किसी को नही छोडा जा रहा । संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार 4000 से ज्यादा तमिलों को पिछले तीन महीनों में मारा है जिसमे 900 से ज्यादा तो बच्चे ही हैं । संयुक्त राष्ट्र ,अमेरिका और भारत जैसे देश क्या कर रहे हैं ,कब तक श्रीलंका इसे अपना अंदरूनी मामला कह कर और बचता फिरेगा ।

मेरी नाराज़गी हमारे नागरिकों से भी है , हम में से कुछ लोग इराक के राष्ट्रपति - सद्दाम हुसैन को फांसी देने का विरोध करते हैं और श्रीलंका में मारे जा रहे नागरिकों के लिए कुछ नही कर सकते ? जरुरत है हम अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पर प्रेशर बनाएं , मानव अधिकारों की बात करने वाले आगे आयें , कोई सिर्फ़ आतंकवाद या अतिवाद से निपटने के लिए इतना बर्बर कैसे हो सकता है॥

पढें और देखें
स्वीरें - श्रीलंका में नरसंहार
क्या
है श्रीलंका का तमिल संकट-साभार-शांत प्रकाश
कौन हैं श्रीलंका के तमिल?

श्रीलंका में देश के उत्तर और पूर्वी भाग में तमिल अल्पसंख्यक बरसों से रह रहे हैं. बाद में अंग्रेज़ों ने भी चाय और कॉफ़ी की खेती के लिए तमिलों को यहाँ बसाना शुरू किया.

विवाद की शुरूआत कैसे हुई?

श्रीलंका में सिंहला समुदाय के लोगों की आबादी सबसे अधिक है और ये लोग बौद्ध धर्म को मानते हैं. ब्रिटिश राज के दौरान सिंहला लोगों में ये असंतोष घर करने लगा कि ब्रिटिश शासक देश में तमिलों को बढ़ावा दे रहे हैं जो मुख्य रूप से हिंदू हैं. बात बढ़ने लगी और 1948 में श्रीलंका की आज़ादी के बाद सिंहला राष्ट्रवाद ने ज़ोर पकड़ना
शुरू किया.

तमिल क्यों भड़के?

स्वतंत्रता के बाद सत्ता सिंहला समुदाय के हाथ आई और उसने सिंहला हितों को बढ़ावा देना शुरू किया. सिंहला भाषा को देश की राष्ट्रीय भाषा बनाया गया. नौकरियों में सबसे अच्छे पद सिंहला आबादी के लिए आरक्षित कर दिए गए. 1972 में श्रीलंका में बौद्ध धर्म को देश का प्राथमिक धर्म मान लिया गया. साथ ही विश्वविद्यालयों में तमिलों के लिए सीटों की संख्या भी घटा दी गई.

तमिलों ने क्या किया?

तमिल विद्रोहियों ने देश के उत्तरी हिस्से पर अपना प्रभाव बनाया हुआ है
सिंहला शासकों की नीति के कारण तमिलों में नाराज़गी बढ़ी और उन्होंने देश के उत्तर और पूर्वी हिस्सों में स्वायत्तता की माँग करनी शुरू कर दी. वे अपने अलग और स्वतंत्र देश की माँग करने लगे. आँदोलन ने हिंसक रूप लिया और तमिल क्षेत्रों में सिंहला सुरक्षाबलों और तमिलों के बीच झड़पें होने लगीं. 1976 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल इलम (एलटीटीई) अस्तित्व में आया.

सरकार का क्या रूख रहा?

1977 में जूनियस रिचर्ड जयवर्धने सत्ता में आए. उनकी सरकार ने तमिल क्षेत्रों में तमिल भाषा को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिया. उन्होंने स्थानीय सरकारों में तमिलों को ज़्यादा अधिकार भी दिए. मगर हिंसा बढ़ती गई.

बात कैसे बिगड़ी?

1983 में तमिल विद्रोही संगठन, एलटीटीई के अलगाववादियों ने सेना के एक गश्ती दल पर हमला कर 13 सैनिकों को मार डाला. इसके बाद सिंहला लोग उग्र हो उठे और उन्होंने दो दिनों तक जमकर हमले किए. हज़ारों तमिल मारे गए और संपत्ति की बड़े पैमाने पर लूट हुई. यहाँ से बात बिगड़ गई. तमिल उत्तर की ओर तमिल प्रभाव वाले इलाक़ों में जाने लगे और सिंहला लोग जाफ़ना के तमिल क्षेत्रों से बाहर निकलने लगे.

भारत ने कब दखल दिया?

राष्ट्रपति प्रेमदासा की 1993 में हत्या हुई
1985 तक श्रीलंका में तो 50,000 शरणार्थी थे ही, वहाँ से लगभग एक लाख तमिल शरणार्थी भारत भी गए. 1987 में दोनों देशों में समझौता हुआ कि श्रीलंका सरकार पीछे हटेगी और देश के उत्तरी इलाकों में भारतीय शांति सेना क़ानून और व्यवस्था पर नज़र रखेगी. इस समझौते का श्रीलंका की सिंहला और मुस्लिम आबादी ने जमकर विरोध किया जिसके बाद दंगे भी हुए.

शांतिसेना कैसे लौटी?
1989 में श्रीलंका के दक्षिणी हिस्सों में सिंहला आबादी ने विद्रोह कर दिया और वहाँ के मार्क्सवादी गुट जेवीपी ने भी हड़ताल और हिंसा तेज़ कर दी. सरकार ने जेवीपी से बातचीत की मगर वार्ता नाक़ाम रहने के बाद सरकार ने जेवीपी के लोगों को मरवाना शुरू किया. हज़ारों लोग मारे गए. भारतीय शांति सेना 1990 में वापस गई.

हिंसा कैसे बढ़ी?

भारतीय शांति सेना जब श्रीलंका में थी तो एलटीटीई संघर्षविराम के लिए तैयार हो गई थी मगर उसके एक गुट ने एकरफ़ा तौर पर स्वतंत्र राष्ट्र का एलान कर दिया जिसके बाद हिंसा भड़क उठी.शांति सेना के वापस आने के बाद 1991 में राजीव गांधी की हत्या हुई. दो साल बाद 1993 में श्रीलंका के राष्ट्रपति प्रेमदासा को भी मार डाला गया.

संघर्षविराम और शांति के प्रयासों का क्या हुआ?

कुमारतुंगा पर एक चुनावी रैली में बम हमला हुआ जिसमें उनकी एक आँख चली गई
चंद्रिका कुमारतुंगा 1994 में देश की प्रधानमंत्री और 1995 में देश की राष्ट्रपति बनीं. कुमारतुंगा ने तमिलों के साथ शांतिवार्ता शुरू की. मगर सफलता नहीं मिली. 1995 में एलटीटीई संघर्षविराम से पीछे हटा और इसके बाद दोनों पक्षों के बीच हिंसा का नया दौर शुरू हुआ. 1999 में एक सभा में बम हमला कर कुमारतुंगा को मारने का भी प्रयास किया गया.कुमारतुंगा फिर राष्ट्रपति चुनी गईं.

नॉर्वे की क्या भूमिका है?

नॉर्वे सन् 2000 में मध्यस्थ की भूमिका निभाने आया. मगर बात बनी 2002 में जाकर जब तमिल विद्रोहियों और सरकार के बीच एक स्थायी संघर्षविराम पर सहमति हुई. इसी वर्ष सरकार ने एलटीटीई पर लगा प्रतिबंध भी हटा लिया जो कि तमिलों की एक प्रमुख माँग थी. इसी वर्ष थाईलैंड में बातचीत का पहला दौर शुरू हुआ. तब से मार्च 2003 तक बातचीत के छह दौर हो चुके हैं. बातचीत की प्रक्रिया चल रही है और तमिल विद्रोही अलग राज्य की अपनी माँग छोड़कर और क्षेत्रीय स्वायत्तता पर सहमत होने के लिए तैयार हो गए हैं.



श्रीलंका में युद्ध का मूक आतंक- साभार-NVO

श्रीलंका में जो आतंक बढ़ रहा है वह आस पास की चुप्पी की वजह से संभव हुआ है. इसमें भारतीय मुख्य मीडिया में लगभग कोई रिपोर्ट नहीं की गई है - या वास्तव में अंतरराष्ट्रीय प्रेस में भी - इस के बारे में की वहाँ क्या हो रहा है. यह क्यों हो रहा है? ये गंभीर चिंता का विषय है. जो थोडी बहुत जानकारी निस्पंदित हुई है इससे पता चलता है की हालांकि श्रीलंकाई सरकारआतंकवाद पर युद्धका प्रचार कर रही है लेकिन उसका बेईमान उपयोग हो रहा है देश में लोकतंत्र को विघटित करने के लिए, और तमिल लोगों के खिलाफ अकथ्य अपराध को अंजाम देने के लिए. इस सिद्धांत पर कार्यवाही हो रही है कि हर एक तमिल, जब तक वह अन्यथा साबित कर सके, आतंकवादी है. असैनिक क्षेत्रों, अस्पतालों और आश्रयों में बमबारी की जा रही है और इन्हें एक युद्ध क्षेत्र में बदल दिया गया है. विश्वसनीय अनुमान है की 200,000 से ज्यादा की तादात में नागरिक फंसे हुए हैं. श्रीलंका की सेना, टैंकों और लड़ाकू विमानों से सज्ज आगे बढ़ रही है. इस बीच, वहाँ आधिकारिक रिपोर्ट है कि विस्थापितों को आश्रय देने के लिए वावुनिया और मन्नार जिलों में कईकल्याण गावंबनाये गए है. डेली टेलीग्राफ में एक रिपोर्ट (फ़रवरी 14, 2009) के अनुसार, “ये गावं सभी लड़ाकू और भगेडू नागरिकों के लिए अनिवार्य अवलंबन केंद्र है”. क्या यह सकेंद्रित नजरबंद क्षेत्र के लिए अच्छे शब्दों का प्रयोग है? श्रीलंका के पूर्व विदेश मंत्री, मंगला समरवीरा ने डेली टेलीग्राफ से कहा है की: ”कुछ महीने पहले सरकार ने इस आधार पर कोलंबो में सभी तमिलों का पंजीकरण शुरू किया कि वे देश की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते हें, लेकिन इसका इस्तेमाल 1930 के दशक में नाजियों की तरह अन्य उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है. वे मूलतः पूरी असैनिक तमिल आबादी को संभवित आतंकवादियों के रूप में पेश करना चाहते हें. तमिल व्याध्रों (एल टी टी ) को समाप्त करने के अपने घोषित उद्देश्य, नागरिकों और आतंकवादियों के इस द्रोही पतन को देखते दिखाई पड़ता है की श्रीलंका की सरकार नरसंहार के कगार पर है. संयुक्त राष्ट्र के एक अनुमान के अनुसार कई हजार लोगों को पहले ही मार दिया गया है. और हजारों अधिक गंभीर रूप से घायल हैं. जो कुछ प्रत्यक्षदर्शी रिपोर्ट बाहर गए हैं वह नरक से एक डरावनी हकीकत का वर्णन है. हम जो देख रहे हैं, या हमें कहना चाहिए की जो श्रीलंका में हो रहा है वह बहुत प्रभावी ढंग से सार्वजनिक जांच से छुपाया जा रहा, एक खुलेआम बेशर्म जातिवाद युद्ध है. जिस दंडभाव से श्रीलंकाई सरकार यह अपराध कर रही है ,ये गहरा दीर्घस्थायी जातिवाद पक्षपात है जो श्रीलंका के तमिलों को अधिकारहीन और अलग कर रहा है. यह नस्लवाद का एक लंबा इतिहास रहा है, सामाजिक भेदभाव, आर्थिक पाबन्दी , और अत्याचार का. अहिंसक शांतिपूर्ण विरोध के रूप में शुरू हुए दशकों लंबे चले गृहयुद्ध के क्रूर स्वभाव ने जिसमें अपनी जड़ें की है. यह मौन क्यों है? एक और मुलाकात में मंगला समरवीरा ने कहा की , असल में श्रीलंका में स्वतंत्र मीडिया गैर वर्तमान है. समरवीरामौत दस्तोंऔरसफेद वैन अपहरणके बारे में बातें बताते है की जिसकी वजह से समाज डर से ठिठुर गया है. कई पत्रकारों के सहित इनके खिलाफ विरोध की आवाज उठाने वालो का अपहरण किया गया है और हत्या की गयी है. अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार संघठन के पत्रकारों ने श्रीलंका की सरकार पर पत्रकारों को खामोश करने के लिए आतंकवाद विरोधी कानून का प्रयोग , गायब करने और हत्या करने के संयोजन का आरोप लगाया. वहाँ व्यथित करने वाला लेकिन अपुष्ट रिपोर्ट है कि भारत सरकार ने श्रीलंका की सरकार को मानवता के खिलाफ इन अपराधों में सामग्री और साजो समर्थन उपलब्ध कराया है. यदि यह सच है, यह घोर अन्याय है. अन्य देशों की सरकारें? पाकिस्तान? चीन? इस स्थिति में मदद या नुकसान क्या कर रहे हैं? तमिलनाडु में श्रीलंका में युद्ध की स्थिति मैं जुनून भड़क उठा है और १० से अधिक लोगों ने स्वयं बलि चढ़ने का मार्ग प्रशस्त किया है. जनता के क्रोध और वेदना, अधिक तौर पर वास्तविक, कुछ स्पष्ट रूप से राजनीतिक छल कपट, एक चुनावी मुद्दा बन गया है. यह असाधारण है कि यह चिंता का विषय भारत के अन्य इलको मैं अभी तक क्यों प्रकाश मैं नहीं आया है . वहाँ क्यों मौन है? वहां कोईसफेद वैन अपहरणका मामला नहीं है - कम से कम नहीं इस मुद्दे पर तो नहीं. जो श्रीलंका में इस पैमाने में हो रहा है इसको देखते हुए यह चुप्पी अक्षम्य है. अतिरिक्त में यह भारतीय सरकार के लंबे लापरवाह दिखावटी इतिहास, “पहले एक ओर और फिर दूसरी ओर”, की वजह से हो रहा है. मेरे साथ हम में से कुछ और भी शामिल है, जो काफी पहले कुछ बोलने चाहिए थे, यदि ये उन्होंने नहीं किया है तो युद्ध के बारे में जानकारी की कमी की वजह से. तो, जबकि हत्या जारी है, दसियों हजारों लोगों को संकेंद्रित शिविरों में बंदी किया गया है. जबकि अधिक २००,००० भुखमरी का सामना कर रहे हैं और एक नरसंहार होने के लिए इंतजार कर रहे है, इस महान देश से पूर्ण मौन है. यह एक बड़ी मानवीय त्रासदी है. दुनिया को अब कदम उठाना होगा. इससे पहले कि बहुत देर हो चुकी हो

हम ब्लागर क्या कर सकते हैं ज़रूर बताएं -हमें कुछ तो करना ही चाहिए
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google trends-गूगल ट्रेंड्स -कौन कहाँ जा रहा है -कितना जा रहा है .

गूगल लेब्स का एक शानदार उत्पाद ' गूगल ट्रेंड्स ' के नाम से उपलब्ध है । इस उत्पाद से आप इन्टरनेट पर क्या कितना सर्च होता है इसे आंकडों मैं देख सकते हैं । इसके आलावा ये भी देख सकते हैं की कब क्या कितना सर्च हुआ है । गूगल ट्रेंड्स बहुत से मजेदार आंकडे दिखता है ।गूगल ट्रेंड रोजाना कितना क्या सर्च हो रहा है इस पर ध्यान रखता है और उसकी एक रपट बना कर दे देता है -- इस सेवा से हम कुछ मजेदार आंकडे तो जान ही सकते हैं, साथ ही कुछ विश्लेषण भी कर सकते हैं आइये इसे उदाहरणों से समझने की किशिश करें ::

कहा जाता है भारत त्योहारों का देश है , ये देखिये हम अपने त्योहारों को इन्टरनेट पर कितना ढूँढने की कोशिश करते हैं । हम दिवाली सिर्फ़ साल मैं एक बार ही ढूंढते हैं ये देखिये वो भी ठीक दिवाली पर

http://www.google.com/trends?q=diwali

देखा आपने दिवाली हमारे लिए कितनी ज़रूरी है
ज़रा होली को देखिये
http://www.google.com/trends?q=holi&ctab=0&geo=all&date=all&sort=0

होली भी वहि साल मैं एक बार देखी जाती है ॥

कुम्भ का मेला तो चार साल में ही लगता है

http://www.google.com/trends?q=kumbh


इस सेवा का एक बड़ा ही मजेदार पक्ष शब्दों की तुलना की सुविधा है : आइये इसे भी समझते हैं -मान लीजिये हमें जानना है की कोका कोला और पेप्सी मैं से ज्यादा कौनसी सर्च होती है तो cocacola,pepsi लिख कर सर्च करें
http://www.google.com/trends?q=coca-cola%2Cpepsi

मुझे तो इससे ये ही समझ आता है कि पेप्सी हमेशा से कोका कोला से ज्यादा पापुलर शब्द रहा है । वैसे मुझे तो कोकाकोला ही पसंद है ।

चलिए हिन्दी ब्लाग और अंग्रेजी ब्लॉग कि आपस मैं तुलना करते हैं कि कब क्या ज्यादा ढूँढा गया

दुनिया भर में

http://www.google.com/trends?q=hindi+blog%2Cenglish+blog&ctab=0&geo=all&date=all&sort=0

सिर्फ़ भारत में

http://www.google.com/trends?q=hindi+blog,english+blog&date=all&geo=ind&ctab=0&sort=0&sa=N

इसके आलावा भी आप कई चीजों को जैसे सोनिया,अडवाणी,पवार,मायावती और प्रकाश करात कि आपस में तुलना कर सकते हैं ।
ये देखिये
भारत भर में
http://www.google.co.in/trends?q=sonia+gandhi%2Clal+krishna+advani%2Csharad+pawar%2Cmayavati%2Cprakash+karat%2C

  1. सोनिया गाँधी 2004 में सरकार में आम चुनाव बाद हुए घटना क्रम से कितनी पब्लिसिटी पा चुकी हैं आप देखसकते हैं
  2. अपने हाई टेक अडवाणी जी काटो कुछ पता ही नही चलता
  3. शरद पवार सिर्फ़ 2006 के अंत में जब बीसीसीआई में आए तब ही चमके हैं
  4. मायावती का पता नही
  5. प्रकाश करात का पता नही
इस रिपोर्ट के मध्यम से हम ये भी देख सकते हैं के कौन कितना किस छेत्र से ढूँढा गया है
http://www.google.co.in/trends?q=sonia+gandhi%2Clal+krishna+advani%2Csharad+pawar%2Cmayavati%2Cprakash+karat%2C&ctab=0&geo=all&date=all&sort=4
यहाँ तक कि किसी देश के विशेष शहरों को भी देख सकते हैं
ये देखिये
http://www.google.co.in/trends?q=sonia+gandhi%2Clal+krishna+advani%2Csharad+pawar%2Cmayavati%2Cprakash+karat%2C&ctab=0&geo=all&date=all&sort=4

कार, ट्रक, बैक, स्कूटर या साइकल
http://www.google.com/trends?q=bike%2Ccar%2Ctruck%2Cscooter%2Ccycle

इसके आलावा भी कई प्रकार के अनालिसिस के लिए है गूगल ट्रेंड ।
अब ये ही देखिये कि इन्टरनेट पर वेब दुनिया ज्यादा प्रचलित है या दैनिक भास्कर
http://www.google.co.in/trends?q=web+dunia%2C+dainik+bhaskar&ctab=0&geo=all&date=all&sort=0

दैनिक भास्कर जहाँ 2004 से ज्यादा प्रचलित है ,वहीं वेब दुनिया 2007 के मध्य से कुछ उभरा है

ये देखिये ऑरकुट और फेसबुक कि तुलना
http://www.google.com/trends?q=orkut%2Cfacebook&ctab=0&geo=all&date=all&sort=0

उम्मीद है जानकारी आपको काम आएगी ।
वैसे ये सेवा मार्केटिंग, विज्ञापन आदि पर सर्च कर रहे लोगों को काफी जमेगी क्योंकि उन्हें कुछ न कुछ सर्वे करते रहना पड़ता है ।
आपने क्या नया ढूँढा ज़रूर बताईएगा

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कुछ काम के लेख
हिन्दी में लिखने के ऑफ़ लाइन टूल
इन्टरनेट स्पीड क्या ? क्यों ? कैसे ?
अब दूर बैठे यार की तकनीकी मुश्किल आसानी से हल करें
किसी भी साईट से लिंक करने से पहले एक बार ज़रूर देखें
गूगल कनेक्ट का सोशल बार लगायें
ब्लॉग में पेज नम्बर ,वाह क्या बात है !