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भारतीय लोकतंत्र में चुनाव सुधार - निष्कर्ष एवं सुझाव

आज इस शोध कार्य का निष्कर्ष अंक है , ब्लॉग पर शोध कार्य प्रस्तुत करने का विचार बहुत ही नाज़ुक था और कारण बहुत ही व्यापक, हिन्दी में अन्तर जाल खोजने पर बेहतर परिणाम आएं और उसमें हम भी भागीदार होना चाहते थे ।
इस शोध कार्य के पिछले लेखों की लिंक यहाँ मौजूद है ।
  1. चुनाव प्रक्रिया एवं चुनाव सुधार - शोध कार्य
  2. भारतीय लोकतंत्र की चुनाव प्रक्रिया
  3. भारतीय चुनाव सुधार
आज का ये अंक निष्कर्षों पर आधारित है .
भारत इतना विशाल और विभिन्नताओं से भरा देश है कि यहां एक साथ इतने बड़े पैमाने पर चुनाव कराना एक आश्चर्य है। पहाड़, नदी, रेगिस्तान, जंगल, मौसम आदि कई समस्याएं चुनाव आयोग के सामने आती हैं।
किसी भी व्यवस्था में सुधार या संसोधन उस व्यवस्था को संपूर्णता प्रदान करती है। इस लिहाज से लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव सुधार काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। चुनाव सुधार भी एक सतत चलने वाली लंबी प्रक्रिया है और परिस्थितियों के हिसाब से इसमें लगातार परिवर्तन आते रहेंगे।

भोपाल में " लोकतंत्र की उभरती चुनौतियां और हमारा संविधान " विषय पर अक्षरा बसंत व्याख्यान माला में बोलते हुए वरिष्ठ संविधानविद् श्री सुभाष कश्यप ने कहा कि पिछले 15 लोकसभा चुनाव और सैकड़ों विधानसभा चुनाव की सफलता को भारतीय लोकतंत्र के लिए बड़ी उपलब्धि है। हालांकि वे मानते हैं कि निर्वाचन प्रक्रिया और राजनैतिक दल व्यवस्था में अब भी काफी सुधार की गुंजाइश है।
आज भी जमीनी स्तर पर चुनाव प्रक्रिया को दुरूस्त करना बेहद जरूरी है। लोकसभा के पूर्व महासचिव श्री सीके जैन इसे मिशन के रूप में आगे बढ़ाने की अपेक्षा कर रहे हैं। सबसे बड़ी समस्या है कि अपराधियों को चुनाव लड़ने और संसद एवं विधानसभाओं तक पहुंचने से कैसे रोका जाएर्षोर्षो इसका हल ढूंढने में वक्त लग सकता है लेकिन यह हमारे लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है। इसके अलावा एक बड़ी चुनौती है लगातार महंगे हो रहे चुनावों से निपटने की। एक अनुमान के अनुसार 2009 के आम चुनाव में 2,100 करोड़ रूपये फूंके गये जबकि 2004 के आम चुनाव में 1,300 करोड़ रूपये खर्च हुए थे। चुनाव आयोग को इस ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
वक्त की कमी के कारण चुनाव सुधार संबंधी कुछ सुझाव देकर अपना शोध पूरा करना चाहूंगा।
  • चुनाव के वक्त शराब बांटने की प्रवृत्ति को देखते हुए शराब बिक्री पर लगभग मतदान के 3 दिन पहले से पाबंदीलगाई जाए।
  • वोटिंग सिस्टम में और सुधार की जरूरत है, कई नौजवान अपना वोट नहीं दे पाते क्योंकि अपने काम केसिलसिले में वे किसी अन्य शहर में होते हैं। ऑनलाइन वोटिंग प्रणाली भी शुरू की जानी चाहिए।
  • मतदान को अनिवार्य किया जाना चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा मत पड़ सकें और बेहतर जनप्रतिनिधि चुनकरआ सकें।
  • विधानसभा और लोकसभा चुनाव साथ-साथ हों तो इससे चुनाव पर खर्च होने वाला पैसा और समय दोनों बचायाजा सकता है।
  • आचार संहिता को और ज्यादा कठोर बनाया जाए ताकि किसी भी तरीके के दुरूपयोग को रोका जा सके।
  • चुनाव आयोग को और अधिक अधिकार देने होंगे, साथ ही चुनाव आयोग को गंभीर मसलों पर कड़े कदम उठाने कीआवश्यकता है।
"हर बार सही इस बार तो सुनेगा दिलबर,काश तेरे देश का दिल मेरे देश के जैसा होता "

कैसा लगा ये प्रयास , ज़रूर बताएं । त्रुटियों को चिन्हित करें , हमें खुशी होगी


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