होली पर बढ़ती हुडदंग और चिंता की फ्रिक्वेंसी


हिन्दुस्तान के कुछेक इलाकों की होली के बारे में जानकर कम से कम इतना कहने की स्थिति में तो हैं कि होली एक विशिष्ट पर्व है, रागद्वेष से मुक्त होकर उल्लास और उमंग में डूब जाने का। लेकिन जब हम खुद के भीतर झॉंकते हैं तो पाते हैं कि बदलते दौर के साथ हमने वो सब खो दिया है जिसके मायने हम खोजते रहते हैं। सब कुछ बदल गया है। इतना बदल गया है कि थोड़ी बहुत कोशिश से हम उस स्थिति को फिर वापस नहीं पा सकते। अब तो होली आई तो चंदे के नाम पर हत्या, शराब के नशे में दुर्घटना और ऐसी ही दर्ज़नों खबरों से अखबार रंगे रहते हैं। क्या वाकई मस्ती के इस पर्व में हमें इतना मस्त होने की जरुरत है कि अपनी सुधबुध ही खो जाएं। अभी बीते चार दिनों से भोपाल में होली की तैयारियों को समझने की कोशिश कर रहा हूँ । होली क्या आई। पुलिस के लिए तो जैसे आफत आ गई। पुलिस महकमा हर दिन बैठकें कर होली पर सांप्रदायिक सदभाव बिगड़ने से रोकने की कोशिशों में जुटा हुआ है। ईदमिलादुन्नबी का जुलूस क्या निकला राजधानी की सड़कें छावनी में तब्दील हो गई। पुलिस का भय है कि इसी दिन रात में होलिका दहन है। स्थिति बिगड़ सकती है। दरअसल ऊपर लिखी पूरी बात को मैं यहॉं सम्बद्ध करना चाहता हूँ कि दो धर्मों के परस्पर त्यौहार किसी स्थिति बिगड़ने का प्रतीक कैसे बने। हमने ऐसा क्या कर दिया कि अब प्रशासन को इस बात की चिंता करनी पड़ रही है कि स्थिति बिगड़ सकती है। इसके लिए हमें खुद के भीतर झॉंकना होगा। हमने चीजों के मायने खो दिए हैं। चीजों को अपनी सुविधा के लिहाज से डायवर्ट कर दिया है। हमें लगा कि मस्ती बिना शराब की नहीं हो सकती। बिना हुडदंग के नहीं हो सकती। बिना जबरदस्ती किए होली का मजा फीका पड़ जाएगा। जब किसी पर्व पर इतने लांछन हो तो जाहिर सी बात है कि उसमें उमंग और उल्लास की फ्रिक्वेंसी कम और हुडदंग और चिंता की फ्रिक्वेंसी ज्यादा होगी।विराम...(श्रृंखला रंग बरसे आप झूमें )
होलिका दहन के साथ ही कलम और संगीत की जुगलबंदी की यह होली अब खत्म हुई। इस श्रृंखला में हमने हर दिन एक नई होली देखी और होली से पहले होली के उमंग का अहसास किया। हमारा प्रयास आपको कैसा लगा, इसमें कहॉं कमी रही और आगे हम कैसे बेहतर कर सकते हैं। अपने सुझावों से अवगत कराएं तो सही मायने में हमारा प्रयास अपनी परिणति की ओर पहला कदम साबित होगा। आप सभी को होली की शुभकामनाओं के साथ सरपरस्त .....

12 comments:

  1. आप लोगों के कर्म क्षेत्र के पास मैने दशकों बिताये हैं - रतलाम, नीमच, देवास, उज्जैन, सिहोर, शाजापुर, शुजालपुर, जावद, नीमच --- शायद वहां का ज्यादा हूं अवध का कम!

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  2. सही!

    भाई लोग, आप लोग तो बड़े बड़े पत्रकार हो यार, अपन ने तो कोई कोर्स ही नहीं किया है पत्रकारिता का।
    शुभकामनाएं बंधुगण

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  3. सराहनीय प्रयास के लिये बधाई।
    आप सब को पर्व की शुभकामनाएं।

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  4. होली पर्व की हार्दिक ढेरो शुभकामना

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  5. हमने ऐसा क्या कर दिया कि अब प्रशासन को इस बात की चिंता करनी पड़ रही है कि स्थिति बिगड़ सकती है। इसके लिए हमें खुद के भीतर झॉंकना होगा।
    मत झांकिए खुद में ,यहाँ इतिहास में झांको
    तुम्हारी सरपरस्ती को नजर किसने लगाई है
    नही आसान यह मसला न गर मकसद में झांके
    नही बे वजह ये बारूद बस्ती में बिछाई है

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  6. आपको , उत्साह उमंग का त्योहार होली के पावन अवसर पर हार्दिक मगल कामना , शुभकामना :):(:
    आपके ब्लोग पर पहली दफा आने का काम पडा बड़ा ही सुन्दर ब्लोग है ....
    हिंदी ब्लोग जगत की सेवा में ततपर रहे . मिलते रहे ...
    जय हिन्द........

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  7. आपको परिवार सहित होली की घणी रामराम.

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  8. होली की ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ...

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  9. होली की ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ...

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  10. सराहनीय प्रयास ! बधाई !

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  11. बहुत अच्छा लिखा है आपने,होली तो बीत गयी पर हमारे ओर से ढेर सारी शुभकामना.

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