चुनाव तक हमऊ दलित बना दई

पिछले कई दिनों से कांग्रेस महासचिव राहुल गाँधी अपने दलित प्रेम को लेकर चर्चा में रहे हैं, उनके इस अंदाज़ से हर कोई प्रभावित हो रहा है। वे दलितों के घर जाकर खाना खाते हैं और बाकायदा रात भी गुजारते हैं। उनके साथ पिछले दिनों भारत आए ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड मिलिबंद भी एक दलित के घर यात्रा पर गाँव पहुंचे और वहां खाना खाया। दलित के घर का खाना विशुद्ध उसी परिवेश का था या नहीं अभी इस तथ्य का खुलासा नही हुआ है। बहरहाल हमारे मध्य प्रदेश में भी उन्ही के साथी ज्योतिरादित्य सिंधिया 'महाराज' भी पिछले दिनों गुना के एक गाँव में दलित के यहाँ पहुँच गए, फिर क्या था अपने महाराज को देख प्रजा हर्षित हुई, मन प्रफुल्लित हुआ। सिंधिया ने उनके घर भोजन ग्रहण किया। अब इस घटना के बाद हमारे गाँव के किसान राम जीवन जो हालत से दलित है और जाती से सवर्ण। कहने लगा कि कोई सरकारी योजना नही है जो हमें चुनाव तक दलित बना सके। कम से कम गाँधी और सिंधिया नही तो हमारे विधायक भइया जी या सरपंच साहब हमारे घर पधार जायें और थोडी मदद कर दें, तवे पर रोटी डालने में। क्योंकि हमारे पास तो अपने दो बच्चों को भर पेट देने के लिए भोजन ही नही है हम दूसरो को क्या खिलाएंगे इसलिए हम कह रहे हैं चुनाव तक हम भी दलित हैं, हमारी भी मदद करो।

गूगल कनेक्ट का सोशल बार लगायें

पिछले दिनों गूगल ने ब्लॉगर में एक अहम् परिवर्तन करते हुए फालोवर्स को हटा कर उसकी जगह गूगल फ्रेंड कनेक्ट को स्थान दिया है । गूगल ने फालोवर्स को ब्लॉगर में अगस्त 2008 में स्थान दिया था जिसके बाद कई बल्कि सभी ब्लॉगों ने इसका भरपूर इस्तेमाल किया अपनी धाक ज़माने को .अब जब गूगल ने 4 दिसम्बर को गूगल ने गूगल फ्रेंड कनेक्ट का बीटा वर्जन लॉन्च किया तो ब्लागरों को दोनों फ्रेंड कनेक्ट और फालोवर्स का उपयाग करने के लिए खोल दिया ।
27 फरवरी 2009 को गूगल ने फालोवेर्स को हटा कर उसकी जगह पूरी तरह से गूगल फ्रेंड कनेक्ट को जगह दी है ।
गूगल फ्रेंड कनेक्ट कुछ ज्यादा तकनिकी समर्थ है और कई ऐसी भ्रांतियों के बाद के ये जावास्क्रिप्ट है और लोड होने में टाइम लेता है ,फालोवर्स से अधिक उपयोगी है । इसमे आप कुछ रिपोर्ट्स का भी अध्यन कर अपने ब्लॉग या साईट को ज्यादा बेहतर बना सकते हैं .

इसका पूरा उपयोग करने के लिए आपको कुछ टिप्स दे रहा हूँ और साथ ही गूगल सोशल बार कैसे लगायें देखें

फ्रेंड कनेक्ट में रजिस्टर करें
सबसे पहले यहाँ क्लिक कर गूगल फ्रेंड कनेक्ट साईट पर जायें और अपनी साईट को रजिस्टर कराएं
यदि ऊपर की लिंक काम न करे तो http://www.google.com/friendconnect/home/intro ये लिंक है इसे कॉपी कर अपने ब्राउजर के एड्रेस बार में पेस्ट करें ।

http://mayurdubey2003.anycanvas.net/1


मेंबर गेजेट लगायें
अब निचे दिए मेंबर गजेट पर क्लिक करें

http://mayurdubey2003.anycanvas.net/2

अपने ब्लॉग के लेआउट के हिसाब से लम्बाई चौडाई और रंग सेलेक्ट कर लें और निचे जनरेट कोड पर क्लिक करें और निचे आए कोड को कॉपी कर लें .
http://www.google.com/friendconnect/admin/site/membersgadget?id=04123606426722734527

कॉपी करने के बाद अपने ब्लॉग पर जा कर लेआउट में नया गजेट जोडें और कॉपी किये हुए कोड को पेस्ट कर दें । इसी प्रकार सोशल गेजेट्स में से भी अपनी पसंद अनुसार दिए गए आप्शंस में से चुन कर सकते हैं .

http://mayurdubey2003.anycanvas.net/3

सोशल बार कैसे पाएं
इसके अलावा सबसे प्रमुख है फ्रेंड कनेक्ट का सोशल बार । इसे पाने के लिए साइड में दिए गए ऑप्शन्स में से SOCIAL BAR को सेलेक्ट करें .

http://mayurdubey2003.anycanvas.net/4

इसे अपने हिसाब से पर्सनालिज़ कर दोबारा Genetate Code पर क्लिक करें और उसे कॉपी करें
ब्लॉगर खोलें और edit HTML पर आयें .
http://www.blogger.com/html?blogID=1003205703605241903

यहाँ CTRL+F की सहायता से <body> को ढूँढें और उसके ठीक निचे कॉपी किया हुआ कोड पेस्ट कर दें ।

पहले Preview देखें और अगर सब कुछ ठीक है तो Save सेव कर लें .
अब आपकी बारी-
हमारा यह प्रयास कैसा लगा बताएं और कुछ समस्या हो तो बताएं ,और कुछ ज़रूरत हो तो कमेन्ट कर पूछें .यदि अच्छा लगे तो ज़रूर बताएं

होली पर बढ़ती हुडदंग और चिंता की फ्रिक्वेंसी


हिन्दुस्तान के कुछेक इलाकों की होली के बारे में जानकर कम से कम इतना कहने की स्थिति में तो हैं कि होली एक विशिष्ट पर्व है, रागद्वेष से मुक्त होकर उल्लास और उमंग में डूब जाने का। लेकिन जब हम खुद के भीतर झॉंकते हैं तो पाते हैं कि बदलते दौर के साथ हमने वो सब खो दिया है जिसके मायने हम खोजते रहते हैं। सब कुछ बदल गया है। इतना बदल गया है कि थोड़ी बहुत कोशिश से हम उस स्थिति को फिर वापस नहीं पा सकते। अब तो होली आई तो चंदे के नाम पर हत्या, शराब के नशे में दुर्घटना और ऐसी ही दर्ज़नों खबरों से अखबार रंगे रहते हैं। क्या वाकई मस्ती के इस पर्व में हमें इतना मस्त होने की जरुरत है कि अपनी सुधबुध ही खो जाएं। अभी बीते चार दिनों से भोपाल में होली की तैयारियों को समझने की कोशिश कर रहा हूँ । होली क्या आई। पुलिस के लिए तो जैसे आफत आ गई। पुलिस महकमा हर दिन बैठकें कर होली पर सांप्रदायिक सदभाव बिगड़ने से रोकने की कोशिशों में जुटा हुआ है। ईदमिलादुन्नबी का जुलूस क्या निकला राजधानी की सड़कें छावनी में तब्दील हो गई। पुलिस का भय है कि इसी दिन रात में होलिका दहन है। स्थिति बिगड़ सकती है। दरअसल ऊपर लिखी पूरी बात को मैं यहॉं सम्बद्ध करना चाहता हूँ कि दो धर्मों के परस्पर त्यौहार किसी स्थिति बिगड़ने का प्रतीक कैसे बने। हमने ऐसा क्या कर दिया कि अब प्रशासन को इस बात की चिंता करनी पड़ रही है कि स्थिति बिगड़ सकती है। इसके लिए हमें खुद के भीतर झॉंकना होगा। हमने चीजों के मायने खो दिए हैं। चीजों को अपनी सुविधा के लिहाज से डायवर्ट कर दिया है। हमें लगा कि मस्ती बिना शराब की नहीं हो सकती। बिना हुडदंग के नहीं हो सकती। बिना जबरदस्ती किए होली का मजा फीका पड़ जाएगा। जब किसी पर्व पर इतने लांछन हो तो जाहिर सी बात है कि उसमें उमंग और उल्लास की फ्रिक्वेंसी कम और हुडदंग और चिंता की फ्रिक्वेंसी ज्यादा होगी।विराम...(श्रृंखला रंग बरसे आप झूमें )
होलिका दहन के साथ ही कलम और संगीत की जुगलबंदी की यह होली अब खत्म हुई। इस श्रृंखला में हमने हर दिन एक नई होली देखी और होली से पहले होली के उमंग का अहसास किया। हमारा प्रयास आपको कैसा लगा, इसमें कहॉं कमी रही और आगे हम कैसे बेहतर कर सकते हैं। अपने सुझावों से अवगत कराएं तो सही मायने में हमारा प्रयास अपनी परिणति की ओर पहला कदम साबित होगा। आप सभी को होली की शुभकामनाओं के साथ सरपरस्त .....

नवाबों की होली सोने की पिचकारी से

प्रस्तुति -फैजान सिद्दीकी

भोपाल गंगा जमुनी तहजीब का शहर है, यहाँ सभी धर्मों के त्यौहार मिलजुल कर मनाने की रिवायत रही है। इस परम्परा की शुरूआत नवाबी दौर से हुई। रंगों और उल्लास के पर्व होली को मनाने का इतिहास भी शहर में अनौखा रहा है। नवाब शाहजहां बेगम के शासन काल में ताजमहल में बने सावन-भादों में जाफरानी रंगों से होली खेली जाती थी। होली पर बड़े औहदेदारों को रियासत की ओर से सोने की पिचकारियां होली खेलने के लिए भेंट की जाती थीं।taj mahal bhopal
नवाब शाहजहाँ बेगम का निवास ताजमहल में हुआ करता था। महल में हर वर्ष हुलियारों की महफिल जमती थी। रियासत के औहदेदार और आम लोग ताजमहल के प्रांगढ़ में बने खूबसूरत चौकोर फव्वारों जिन्हें सांवन-भादों कहा जाता है, में जमा होते थे। यहाँ चांदी के कटोरों में जाफरान (कैसर) व केवड़े के मिश्रण से बने रंग से होली खेली जाती थी। शाहजहां बेगम खुद इस जश्न में शामिल होती थी। उनके द्वारा रियासत के खास लोगों को सोने से बनी पिचकारियां होली खेलने के लिए दी जाती थीं।
बाद में भी रहा यह सिलसिला जारी
नवाब शाहजहां बेगम के बाद होली मनाये जाने का सिलसिला बाद के नवाबों दौर में भी जारी रहा। इतिहासकारों के मुताबिक नवाब हमीदुल्ला खान के कोहेफिजा स्थित महल कस्र-ए-सुल्तानी में होली के दूसरे दिन होली मनाने का कार्यक्रम आयोजित किया जाता था।
इसमें भोपाल रियासत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अवद नारायण बिसारिया, नवाबी खानदान के फेमिली ज्वेलर्स मदनलाल अग्रवाल व घड़ी साज(घड़ियां सुधाने वाले) गुलास राय सहित शाही परिवार से जुड़ी शहर की विभिन्न हस्तियाँ शामिल होती थीं। नवाब हमीदुल्ला खान इनके साथ होली मनाने के बाद सीहोर होली मनाने जाया करते थे। जो उस वक्त रियासत का एक हिस्सा हुआ करता था,सीहोर के कई हिस्सों में यहाँ से शुरू हुई परम्परा को आज भी पूरा किया जाता है और दूसरे दिन भी होली मनाई जाती है।


रियासतकाल में होली मनाने की अनोखी परम्परा थी। पहले ताजमहल में और बाद में अहमदाबाद पैलेस में होली मनाई जाती थी। इसमें धर्मो के लोग धार्मिक भेदभाव से ऊपर उठकर होली खेला करते थे। सोने की पिचकारियों से होली खेलने की परम्परा भोपाल के अलावा ओर कहीं नहीं मिलती।

एसएम हुसैन आर्किटेक्ट और नवाबी परिवार से संबंधित
ताजमहल के सावन-भादों में होली मनाई जाती थी। सावन-भादों के अंदर तांबे की नलकियों से पानी इस तरह बहता था जैसे सावन की झड़ी लगी है। इस माहौल में होली खेलने का अपना अलग ही महत्व होता था।
सैयद अख्तर हुसैन, द रायल जनी आफ भोपाल के लेखक

ब्लॉग में पेज नम्बर ,वाह क्या बात है !

क्या आपको अपने ब्लॉग के पहले पेज पर ज्यादा पोस्ट रखना पसंद नही ,और चाहते हैं की हर कोई ब्लॉग की और पोस्ट भी पढ़े , तो एक तरीका है की ब्लॉग पर पेज नम्बर लगायें .तरीका हम बताते हैं। ब्लॉगर एक पब्लिशिंग का मध्यम है पर इस मैं इस प्रकार के पेज नैविगेशन का थोड़ा कम ही ख्याल रखा गया है ,जबकि वर्डप्रेस मैं ऐसा नही है ,वहां ज्यादा आज़ादी है ।

फ़िर भी उदास हुए बिना हम कुछ जुगत भिडा कर अपने ब्लॉग पेज पर पेज नम्बर लगा सकते हैं ,इसमे मोहम्मद रिआस ने एक कोड लिखा है जिसका हम इस्तेमाल कर सकते हैं

http://sarparast.blogspot.com/search?updated-max=2009-03-08T00%3A00%3A00%2B08%3A00&max-results=5
कुछ ऐसा दिखेगा

इस कोड मैं कुछ जावा स्क्रिप्ट और जे एस एन तकनीकों का इस्तेमाल किया है

अब करना कैसे है
.ब्लॉगर खोलें
.लेआउट पर क्लिक करें
.add a gadget पर क्लिक करें
.html/javascript को सेलेक्ट करें
.अब निचे दिए गए कोड को कॉपी कर उसमे पेस्ट कर दें





६.इसे सेव कर लें और अपने पोस्ट एलेमेन्ट के ठीक निचे ले आयें

http://www.blogger.com/rearrange?blogID=1003205703605241903

ब्लॉग पोस्ट के ठीक निचे

७. Preview देखें और सेव करलें .

अब आपकी ब्लॉग में पेज नम्बर डिसप्ले होने लगेंगे

अब बारी आपकी

:-इस सन्दर्भ में कोई समस्या हो तो हमें बताएं ,यदि ये पोस्ट पसंद आई हो तो भी बताएं और कुछ नया चाहते हों तो पूछें। हमारा कमेन्ट बॉक्स आपके इंतज़ार में है ।