वरूण को हटाना भाजपा की नैतिक जिम्मेदारी

लंबी जांच प्रक्रिया के बाद आखिरकार चुनाव आयोग ने भड़काउ भाषण देने के लिए वरूण गांधी को दोषी ठहरा हीदिया है। साथ ही भाजपा को यह सलाह भी दे डाली कि वह पीलीभीत से वरूण गांधी को उम्मीदवार न बनाए। इससलाह के बाद एक राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते भाजपा की यह नैतिक जिम्मेदारी बन जाती है कि वह पीलीभीत सेअपना उम्मीदवार बदल दे। सभी राजनैतिक दल भी अपने-अपने बयान जारी कर भाजपा पर यह दवाब बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
वरूण गांधी पर मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप है और वरूण गांधी ने यह कहते हुए इनआरोपों को बेबुनियाद बताया था कि उनके वीडियो के साथ छेड़छाड़ की गई है। लेकिन जब चुनाव आयोग ने वरूणको यह साबित करने को कहा तो वे इसमें नाकाम रहे। मुख्य चुनाव आयुक्त एन. गोपालस्वामी भी कह चुके हैं किवीडियो के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। भारत के चुनावी इतिहास में संभवतः यह पहला मौका है जब आयोगने किसी पार्टी को ऐसी सलाह दी हो।
चुनाव के दौरान मतदाताओं को इमोशनली ब्लैकमेल करने के लिए राजनेता इस तरह के हथकंडे अपनाते रहे हैं।कईयों को तो दोषी भी करार दिया गया और कुछ किसी तरह गोलमोल कर बच निकलने में सफल हो गए। लेकिनमामला यहां तक नहीं पहुंचा था।
भारतीय राजनीति के लगातार गिरते स्तर का यह एक अच्छा खासा उदाहरण है। इस घटनाक्रम के बाद भाजपा केपार्टी विद डिफरेंस की छवि एक बार फिर उजागर हुई है लेकिन इस बार भी किसी तरह की आड़ी-तिरछीबयानबाजी कर वह अपना पलड़ा झाड़कर इस प्रकरण से मुक्त होने की कोशिश करेगी।
यदि आपने ये वीडियो पहले नही देखा हो तो अब देख लें । एडिटेड है ,
भगवान बचाए ऐसे नेताओं से

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