अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर जगह- जगह संगोष्ठियॉं हो रही है। अखबारों में अग्रलेख छप रहे हैं, पुलआऊट महिला केंद्रित दिख रहे हैं। इन सबमें महिलाओं को समाज के एक उपेक्षित हिस्से के रुप में रेखांकित किया गया है। लेकिन ऐसा करके क्या वाकई हम महिला दिवस की प्रासंगिकता को साकार कर रहे हैं या सिर्फ ....
जो खास सवाल है वो हमें खुद से पूछना होगा। क्या महिला का अस्तित्व एक समाज और व्यक्ति से परे है? ठीक है समाज के कुछ हिस्सों में उसे अन्य हिस्सों की तरह स्वतंत्रता और स्वच्छंदता नहीं है।