उठो और उठ के निज़ामे जहाँ बदल डालो ,
ये आसमान ये ज़मीन ये मकां बदल डालो ।
ये बिजलियाँ हैं पुरानी ये बिजलियाँ फूंको ,
ये आशियाँ है कदिम आशियाँ बदल डालो ।
गुलों के रंग मैं आग पंखुड़ी में शराब ,
कुछ इस तरह रविशे गुलसिताँ बदल डालो ।
मिज़ाज़-ए-काफिला बदला तो क्या कमाल किया ,
मिज़ाज़-ए-रहबारे कारवाँ बदल डालो ।
'हयात' कोई कहानी नही हक़ीकत है,
इस एक लफ्ज़ से कुल दास्ताँ बदल डालो ।
चाँदी के वरक में लपटा भारत
शर्म आने लगी है ऐसे भेड़ियों को चुनने में
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लोकलज्जा भंग होने का प्रतीक है जरनैल का जूता
थोड़ा सा और गहरे में जाएं तो क्या ये भी सही नहीं है कि 60 साल के लोकतंत्र की हालत अब भी इस कदर कमजोर है कि एक पत्रकार का जूता इसमें हिलोरें पैदा कर सकता है। सवाल जरनैल के जूते से सज्जन और टाइटलर के टिकट काटकर जन भावनाओं के सम्मान का नहीं है (जैसा कांग्रेस कह रही है) यदि हिंदुस्तान के राजनीतिक दलों को जनभावनाओं की इतनी ही कदर है तो फिर दोषी ठहराए जाने के बावजूद सज्जन और टाइटलर आज इस मुकाम पर कैसे पहुंचे । यहाँ तो राजनीतिक पार्टियों का ये एक सूत्रीय ऐजेंडा है सत्ता सुख का भोग। चाहे उसके लिए उन्हें कुछ करना पड़े। इस आम चुनाव में कौनसा ऐसा मुद्दा है जो आम आदमी से सीधा जुड़ा है। यदि सिक्ख दंगों के लिए दोषी ठहराए जाने के बावजूद सज्जन और टाइटलर को टिकट मिल रही थी तो शर्म आना चाहिए हमारे लोकतंत्र के पुराधाओं को , हम बहस इस विषय पर कर रहे हैं कि जरनैल का चिंदबरम पर जूता उछालना कितना जायज है। हम ये नहीं जानना चाहते कि भारतीय राजनीति में ऐसे न जाने कितने टाइटलर और सज्जन हैं जिन्होंने अपनी पार्टी के फायदे के लिए क्या-क्या नहीं किया। इसीलिए तो अब लोकतंत्र में लोकलज्जा भंग हो रही है।
जरनैल का एक पत्रकार होते हुए चिदंबरम पर जूता उछालना इसी बात का प्रमाण है। चाहे कोई किसी पेशे में हो लेकिन सबसे पहले वह एक इंसान है। इंसान के भीतर उसके अपनी संवेदनाएं है। यदि जरनैल का मामला प्लांटेड नहीं हुआ तब तो ये पूरी राजनीतिक बिरादरी पर फेंका गया एक जुता है। यदि इस जूते ने कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी के निर्णय को प्रभावित किया है तब तो निश्चित रुप से जरनैल का कृत्य काबिले तारीफ है। इराक में जार्ज़बुश पर फेंके गए जैदी के जूते की इसीलिए वहॉं जय-जयकार हुई थी। दरअसल ये जूता नहीं जनभावनाओं का प्रतीक है।
अब आपके लिए भी ये एक जूता छोडे जा रहे हैं , मन चाहे पत्रकारों पर मारें, मन चाहे हमारी राजनीती पर मारें , या चाहें तो उस पर क्लिक करें और हमें गरिया दें या कमेन्ट दे दें
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वरूण को हटाना भाजपा की नैतिक जिम्मेदारी
वरूण गांधी पर मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप है और वरूण गांधी ने यह कहते हुए इनआरोपों को बेबुनियाद बताया था कि उनके वीडियो के साथ छेड़छाड़ की गई है। लेकिन जब चुनाव आयोग ने वरूणको यह साबित करने को कहा तो वे इसमें नाकाम रहे। मुख्य चुनाव आयुक्त एन. गोपालस्वामी भी कह चुके हैं किवीडियो के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। भारत के चुनावी इतिहास में संभवतः यह पहला मौका है जब आयोगने किसी पार्टी को ऐसी सलाह दी हो।
चुनाव के दौरान मतदाताओं को इमोशनली ब्लैकमेल करने के लिए राजनेता इस तरह के हथकंडे अपनाते रहे हैं।कईयों को तो दोषी भी करार दिया गया और कुछ किसी तरह गोलमोल कर बच निकलने में सफल हो गए। लेकिनमामला यहां तक नहीं पहुंचा था।
भारतीय राजनीति के लगातार गिरते स्तर का यह एक अच्छा खासा उदाहरण है। इस घटनाक्रम के बाद भाजपा केपार्टी विद डिफरेंस की छवि एक बार फिर उजागर हुई है लेकिन इस बार भी किसी तरह की आड़ी-तिरछीबयानबाजी कर वह अपना पलड़ा झाड़कर इस प्रकरण से मुक्त होने की कोशिश करेगी।
यदि आपने ये वीडियो पहले नही देखा हो तो अब देख लें । एडिटेड है ,
भगवान बचाए ऐसे नेताओं से
आप इसे क्या कहेंगे ज़रूर बताएं ।
पोस्ट अच्छी लगे तो ईमेल से भी पढें कहीं कुछ छूट नही जाए
लोकमंगल का महायज्ञ : आम चुनाव 2009
योगेश पाण्डे आम चुनावों की घोषणा के साथ ही लोकतंत्र के महायज्ञ की तैयारियॉं शुरु हो गई है। उम्मीद की जानी चाहिए कि 60 सालों के इस लोकतंत्र को दिशा देने में इस बार के चुनाव बेहद महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे। गठबंधन की राजनीति का भविष्य तय होगा। ये भी तय होगा कि राजनीति में सिद्धांतों की पैठ किस स्तर तक है। मतदाताओं को राजनीतिक दलों के सिद्धांत किस हद तक प्रभावित करते हैं। दरअसल इस उम्मीद की किरण झारखंड में सिबु सोरेन की हार से उपजी है। सजायाफ़्ता को चुनाव लड़ने के अयोग्य ठहराने का भी असर इस बार के चुनाव परिणामों को थोड़ा उजला करेगा। ये एक अलग बात है कि ऐसे बाहुबली अपने किसी निकटस्थ को चुनावी मैदान में उतारकर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को उड़ान दें।![]()
विश्व राजनीति में ओबामा के उदय का असर भी भारतीय राजनीति में अपना असर दिखा सकता है। खासतौर पर तब, जब इस दफा तीन चौथाई युवा मतदाता आमचुनाव में पहली बार मतदान करेगा। इनका दृष्टिकोण चुनाव परिणामों को बहुत हद तक प्रभावित करेगा।
उदारीकरण की चोट से घायल मतदाता भी महत्वपूर्ण भूमिका में होगा। ये भी पता चलेगा कि भारत का मतदाता एक पूंजीवादी लोकतंत्र का समर्थक है या उसे समाजवादी लोकतंत्र की महक ज्यादा सुहाएगी। लेकिन इन सबके लिए जरुरी है कि मतदाता राजनीतिक दलों के आडंबरों को समय रहते समझे। राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों की देश और समाज के प्रति प्रतिब°ता को समझे। अपने तुच्छ स्वार्थों से ऊपर देशहित की भावना को दृष्टिगत रखना होगा। तभी इस महायज्ञ की पूर्णाहुति के बाद लोकमंगल की कामना सिद्ध हो सकेगी। आम चुनाव की इस श्रृंखला में कुछ ऐसे ही पक्षों पर विमर्श की ये प्रक्रिया सतत जारी रहेगी।
एक वोटर के लिए पोलिंग बूथ
चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू हो गई है। लोकतंत्र का यह उत्सव लगभग डेढ़ महीने चलेगा। मतदान पांच चरणो में संपन्न होगा। पहले चरण में 124 सीट, दूसरे में 141 सीट, तीसरे में 107 सीट, चौथे में 85 सीट, पांचवे में 86 सीट पर मतदान होगा। उत्तर प्रदेश और जम्मू कश्मीर में पांच चरणों में चुनाव होंगे जबकि बिहार में चार, महाराष्ट्र और पिश्चम बंगाल में तीन, आंध्रप्रदेश, असम, झारखंड, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, मणिपुर, उड़ीसा और पंजाब में दो चरणों में मतदान होगा। शेष राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में एक चरण में मतदान होगा। आंध्रप्रदेश, सिक्किम और उड़ीसा के विधानसभा चुनाव भी लोकसभा चुनाव के साथ-साथ संपन्न होंगे। मतदान 16 अप्रैल, 23 अप्रैल, 30 अप्रैल, 7 मई और 13 मई को होगा। सभी सीटों की मतगणना 16मई को होगी। 1 जून को 14वीं लोकसभा चुनाव का कार्यकाल खत्म हो रहा है, 2 जून को नई लोकसभा का गठन किया जाना है। 499 सीटों पर नए परिसीमन के तहत चुनाव होंगे। मतदान के लिए लगभग 8 लाख 28 हजार बूथ बनाए जाएंगे।
पंद्रहवी लोकसभा के लिए लगभग 71 करोड़ मतदाता अपने मतदान अधिकार का सामना कर सकेंगे, इनकी संख्या पिछले आम चुनाव से चार करोड़ तीस लाख अधिक है। आयोग पहली बार 522 सीटों पर फोटो परिचय पत्र के साथ फोटो मतदाता सूची का इस्तेमाल करेगा। सभी मतदाता मतदान कर सकें इसके लिए आयोग अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। उसने गुजरात के गिर के जंगलों में एक वोटर के लिए भी पोलिंग बूथ बनाया है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले, झारखण्ड के कुछ जिले और अरूणाचल प्रदेश में कई पोलिंग बूथ केवल तीन-तीन मतदाता के लिए बनाए गए हैं। चुनाव के लिए लगभग 40 लाख कर्मचारियों की जरूरत होगी तो चुनाव को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने की जिम्मेदारी लगभग 21 लाख जवान संभालेंगे।
पहले चरण के नामांकन के लिए अधिसूचना 23 मार्च को जारी हो जाएगी जबकि दूसरे चरण की 28 मार्च, तीसरे चरण की 2 अप्रैल, चौथे चरण की 11 अप्रैल और पांचवे चरण के लिए 17 अप्रैल को अधिसूचना जारी होगी।
कब, कहां पड़ेंगे वोट -
प्रथम चरण - 16 अप्रैल
छत्तीसगढ़, केरल, अरूणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, अंडमान निकोबार, नागालैंड, लक्षद्वीप, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, असम, झारखण्ड, उत्तरप्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, महाराष्ट्र, बिहार, मणिपुर
द्वितीय चरण - 23 अप्रैल
गोवा, त्रिपुरा, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, असम, झारखण्ड, उत्तरप्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, महाराष्ट, बिहार, मणिपुर, मध्यप्रदेश
तृतीय चरण - 30 अप्रैल
गुजरात, मध्यप्रदेश, सििक्कम, दमन एवं द्वीप, दादर नगर हवेली, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, महाराष्ट, पिश्चम बंगाल, बिहार
चतुर्थ चरण - 7 मई
दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, उत्तरप्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, पिश्चम बंगाल, बिहार
पांचवा चरण - 13 मई
हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तराखण्ड, चंडीगढ़, पुडुचेरी, पंजाब, जम्मू एवं कश्मीर, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल
कहां कितनी सीटें -
राज्य | सीट |
दिल्ली | 7 |
छत्तीसगढ़ | 11 |
गुजरात | 26 |
हरियाणा | 10 |
केरल | 20 |
अरूणाचल प्रदेश | 2 |
गोवा | 2 |
हिमाचल प्रदेश | 4 |
मेघालय | 2 |
मिजोरम | 1 |
नागालैंड | 1 |
राजस्थान | 25 |
सिक्किम | 1 |
तमिलनाडु | 39 |
त्रिपुरा | 2 |
उत्तराखंड | 5 |
चंडीगढ़ | 1 |
अंडमान निकोबार | 1 |
दमन द्वीव | 1 |
लक्षद्वीप | 1 |
पुडुचेरी | 1 |
दादर नगर हवेली | 1 |
कर्नाटक | 28 |
पंजाब | 13 |
आंध्रप्रदेश | 42 |
उड़ीसा | 21 |
असम | 14 |
झारखण्ड | 14 |
उत्तरप्रदेश | 80 |
जम्मू एवं कश्मीर | 6 |
महाराष्ट | 48 |
पश्चिम बंगाल | 42 |
बिहार | 40 |
मणिपुर | 2 |
मध्यप्रदेश | 29 |
कुल | 543 |
मध्यप्रदेश में दो चरणों में पड़ेंगे वोट
मध्यप्रदेश में दो चरणों में 23 और 30 अप्रैल को मतदान होगा। पहले चरण के लिए 13 सीटों पर मतदान होगा और द्वितीय चरण में 16 सीटों पर वोट डाले जाएंगे।
23 अप्रैल - खजुराहो, सतना, रीवा, सीधी, शहडोल, जबलपुर, मंडला, बालाघाट, छिंदवाड़ा, होशंगाबाद, विदिशा, भोपाल, बैतूल
30 अप्रैल - मुरैना, भिण्ड, ग्वालियर, गुना, सागर, टीकमगढ़, दमोह, राजगढ़, देवास, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, धार, इंदौर, खरगौन, खण्डवा