लाहौर में श्रीलंकाई टीम पर हमला होने के बाद अब शायद ही कोई टीम कभी पाकिस्तान का दौरा करेगी। कम से कम अगले 5 सालों तक तो नहीं। श्रीलंका को दौरे से पहले आतंकवादियों ने धमकी भी दी थी लेकिन इन धमकियों को शायद इसलिए गंभीरता से नहीं लिया गया कि ऐसी धमकियां आए दिन हर टीम के खिलाड़ियों को मिलती रहती है। श्रीलंका टीम पर हमले से साफ जाहिर होता है कि पाकिस्तान कां प्रशासन इन दहशतगर्दों के आगे बौना साबित हो रहा है। इस घटना से एक बात और सामने आती है कि पाकिस्तान में मेहमानों की भी कोई कद्र नहीं है। ऐसे में कोई भी देश अब अपनी टीम को वहां भेजकर किसी भी तरह का खतरा मोल नहीं लेना चाहेगा। पाकिस्तान की हालत को देखते हुए आईसीसी और सभी देश के क्रिकेट बोर्ड को कुछ कड़े कदम उठाने होंगे। आईसीसी को चाहिए कि वह पाकिस्तान की मान्यता रद्द कर दे और उसके किसी भी खिलाड़ी को कहीं भी खेलने की अनुमति न दे। बीसीसीआई को भी इस मसले पर अन्य देशों के साथ मिलकर आईसीसी पर दवाब बनाना चाहिए।
आईपीएल, आईसीएल, इंग्लिश काउंटी क्रिकेट और ऑस्ट्रेलिया में खेल रहे पाकिस्तानी खिलाड़ियों को टीम से हटा दिया जाए ताकि पाकिस्तान सरकार पर कुछ दवाब बने और वहां के हालात पर काबू पाने के लिए कोई कदम उठाने को मजबूर हो। अमरीका से इस मामले में घटना की निंदा करने के अलावा कोई उम्मीद मुझे इसलिए नहीं है क्योंकि इससे अमरीका का कोई नुकसान नहीं हुआ है।
पाकिस्तान क्रिकेट का भी विवादों से गहरा नाता रहा है, पिछले विश्व कप के दौरान तत्कालीन पाकिस्तानी कोच बॉब वूल्मर की मौत का मामला अभी तक नहीं सुलझ सका है। उस घटना से भी पाकिस्तान क्रिकेट अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शर्मशार हुआ था। दरअसल अब वक्त आ गया है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा पाकिस्तान में चल रहे आंतकवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए कोई सार्थक कदम उठाए जाएं। हमले के बाद उसकी निंदा करने की औपचारिकता करने मात्र से ही काम नहीं चलेगा।शायद फिर ही पाकिस्तान बाज़ आये !
जब घोषित आतंकवादी को पाकिस्तान क्रिकेट का एक सितारा अपना समधी बना ले तो यह तो जग जाहिर है कि वहाँ की क्रिकेट आतंकवाद से अछूती नहीं रह सकती। लेकिन पाकिस्तान में भी आतंकवाद विरोधी ताकतें हैं। संभवतः वे भी नई परिस्थितियों में एक जुट होना शुरु करें। वही पाकिस्तान के लिए एक आशा की किरण हो सकती हैं। वरना पाकिस्तान तो अब जीवित शव नजर आने लगा है।
ReplyDeleteक्रिकेट ही-हर जगह मान्यता खत्म हो जानी चाहिये.
ReplyDeleteसिर्फ मान्यता ही नहीं उससे तो हर शांति प्रिय देश को नाता तोड़ लेना चाहिए
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