युवा कांग्रेस लीडर राहुल गाँधी जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के केम्पस में एक पब्लिक मीटिंग करने के लिए २९ सितम्बर को पहुंचे । समय था रात १० बजे । स्टुडेंट राहुल को सुनने और देखने आए थे । यहाँ हर जगह की तरह समर्थक तो थे मगर उससे कई ज्यादा गुना विरोधी भी मौजूद थे । तो जाहिर सी बात है की राहुल बाबा के लिए चुनोती भी बढ़ ही गई थी । अपनी बात राहुल शुरू ही करने वाले थे की बीच में बेठे कुछ स्टुडेंट काले झंडे दिखने लगे मगर राहुल गाँधी ने विरोध का सम्मान करते हुए विरोधियों की बात को मंच से नीचे आकर ध्यान से सुना, तो लगा की नही कम से कम राहुल राजनीति की पाठशाला की तालीम ठीक तरह से ले रहे हैं और आने वाले समय में कुछ आशाएं हम कर सकते हैं । मगर जब सवाल यक्ष प्रश्न बन जाए तो बेचारे राहुल की भी क्या बिसात की सही जबाव दे पाते । सो उलझ गए कई बार । कई मुद्दे जेसे सेनगुप्ता आयोग की रिपोर्ट , मंहगाई , कलावती , नक्सलिस्म, कार्पोरेट्स को फंड , राजनीति में वंशवाद । जबाव घुमा फिर कर देने लगे । कभी कभी असहज भी नजर आए । मीडिया के मायावी हीरो राहुल कितने कमजोर हैं यह भी देखने को मिला । इसका यह मतलब नही की जो कमुनिस्ट स्टुडेंट सवाल कर रहे उनके पास कोई सार्थक जवाब था . लेकिन राहुल से स्टुडेंट उम्मीद कर रहे थे की वे एक अच्छी बहस तो जरूर करेंगे . लेकिन ऐसा कुछ हुआ नही, और कहीं न कहीं ये बात लोगों मन में घर कर गई की क्या राहुल प्रधानमंत्री पद के उमीदवार भी हो सकते हैं. या सिर्फ़ ये मीडिया की एक रणनीति है की राहुल के प्रमोशन में कोई भी कमी नही होना चाहिए. सवाल उठाना तो लाजमी है क्योनी बात कलावती से शुरू होकर मायावती को चुनोती तक आ गई है. हमे इस बात से तकलीफ नही की राहुल गाँधी दलित के घर रात क्यों गुजार रहे हैं. एक और कई राजनेता जहाँ कहीं और रातें रोशन कर रहे हैं वहां राहुल का ये प्रयास तो सराहनीय है . मगर सवाल ये है की उस दलित के घर वह खाना कहाँ से आता है जो राहुल गाँधी को खिलाया जाता है. क्या वो दलित इस महगाई में दो वक्त की रोटी जुटा पा रहा है...........................
राहुल गाँधी इन जे एन यू
युवा कांग्रेस लीडर राहुल गाँधी जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के केम्पस में एक पब्लिक मीटिंग करने के लिए २९ सितम्बर को पहुंचे । समय था रात १० बजे । स्टुडेंट राहुल को सुनने और देखने आए थे । यहाँ हर जगह की तरह समर्थक तो थे मगर उससे कई ज्यादा गुना विरोधी भी मौजूद थे । तो जाहिर सी बात है की राहुल बाबा के लिए चुनोती भी बढ़ ही गई थी । अपनी बात राहुल शुरू ही करने वाले थे की बीच में बेठे कुछ स्टुडेंट काले झंडे दिखने लगे मगर राहुल गाँधी ने विरोध का सम्मान करते हुए विरोधियों की बात को मंच से नीचे आकर ध्यान से सुना, तो लगा की नही कम से कम राहुल राजनीति की पाठशाला की तालीम ठीक तरह से ले रहे हैं और आने वाले समय में कुछ आशाएं हम कर सकते हैं । मगर जब सवाल यक्ष प्रश्न बन जाए तो बेचारे राहुल की भी क्या बिसात की सही जबाव दे पाते । सो उलझ गए कई बार । कई मुद्दे जेसे सेनगुप्ता आयोग की रिपोर्ट , मंहगाई , कलावती , नक्सलिस्म, कार्पोरेट्स को फंड , राजनीति में वंशवाद । जबाव घुमा फिर कर देने लगे । कभी कभी असहज भी नजर आए । मीडिया के मायावी हीरो राहुल कितने कमजोर हैं यह भी देखने को मिला । इसका यह मतलब नही की जो कमुनिस्ट स्टुडेंट सवाल कर रहे उनके पास कोई सार्थक जवाब था . लेकिन राहुल से स्टुडेंट उम्मीद कर रहे थे की वे एक अच्छी बहस तो जरूर करेंगे . लेकिन ऐसा कुछ हुआ नही, और कहीं न कहीं ये बात लोगों मन में घर कर गई की क्या राहुल प्रधानमंत्री पद के उमीदवार भी हो सकते हैं. या सिर्फ़ ये मीडिया की एक रणनीति है की राहुल के प्रमोशन में कोई भी कमी नही होना चाहिए. सवाल उठाना तो लाजमी है क्योनी बात कलावती से शुरू होकर मायावती को चुनोती तक आ गई है. हमे इस बात से तकलीफ नही की राहुल गाँधी दलित के घर रात क्यों गुजार रहे हैं. एक और कई राजनेता जहाँ कहीं और रातें रोशन कर रहे हैं वहां राहुल का ये प्रयास तो सराहनीय है . मगर सवाल ये है की उस दलित के घर वह खाना कहाँ से आता है जो राहुल गाँधी को खिलाया जाता है. क्या वो दलित इस महगाई में दो वक्त की रोटी जुटा पा रहा है...........................
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पोस्ट तो बहुत बढ़िया है लेकिन aadhi hindi men aur aadhi angreji men kyon?
ReplyDeleteअरे हम तो बहुत लगन से ढने लगे आप का लेख.... लेकिन यह फ़िरंगी भाषा मै देख कर छोड दी,
ReplyDeleteराम राम
समय आने दीजिये राहुल हर सवाल का जवाब होंगे शायद ऐसे सवालों का जवाब और किसी पार्टी के नेताओं के पास भी नहीम है ।सवाल तो हर कोई कर सकता है मगर जवाब देना ही कठिन है और आने वाले कल मे जवाब राहुल ही देंगे धन्यवाद्
ReplyDeleteराहुल अभी बाबा ही हैं , उन्हें बहुत ट्रेन होने कि ज़रुरत है , और बहुत समझ बढ़ने कि ज़रुरत है
ReplyDeleteवे कभी राजीव बन जाएँगे ये मुश्किल ही लगता है
बुद्धि तो परमात्मा की अनुपम देन है जो जन्मजात मिलती है जिसे शिक्षा, प्रशिक्षण द्वारा परिमार्जित किया जाता है. अगर राहुल में कुशल नेता एवं प्रशासक के जन्म जात गुण है तो बिना मीडिया की सहायता के भी वह देश को नेतृत्व दे देगा अन्यथा मीडिया या दुसरे समस्त धन बल के प्रयास व्यर्थ साबित होंगें.
ReplyDeleteराहुल बाबा ने कहा है - "मैं इस सिस्टम (Corrupt System) का उतना ही विरोधी हूं, जितने आप हैं लेकिन मेरी इस बात पर आप लोगों को यकीन शायद नहीं होगा…"…
ReplyDeleteकैसे होगा बबुआ, जब आपकी मम्मी, क्वात्रोची को बचाने के लिये देश की हर एजेंसी को सरेआम ठेंगा दिखा सकती हैं? आज तो बबुआ आपकी मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता कांग्रेस में, जरा बताईये ना कि पिछले एक साल में किस कांग्रेसी को आपने भ्रष्टाचार करने के लिये लताड़ लगाई है?
सबक- लफ़्फ़ाजी और नौटंकी छोड़ें कुछ ठोस करके दिखायें, अपना घर (कांग्रेस) पहले साफ़ करें… माना कि कांग्रेस मीडिया को मैनेज करने में माहिर है, हमारे देश की जनता आसानी से मूर्ख बन भी जाती है, लेकिन इससे किसी का भला होने वाला नहीं है…। कांग्रेस देश के लिये एक कैंसर है… इससे जितनी जल्दी हो, छुटकारा पाना ही देश के लिये ठीक होगा… वरना जैसे 60-62 साल बाद भी कलावती बेचारी है, अगले 60 साल में ऐसी ही कई लीलावती भी पाई जायेंगी…
राहुल बाबा यह पबलिक है सब जानती है,अब तुम्हारे यह चोंचले नही चलेगे, तुम्हे चुनाव के आसपास ही झोपडी मै सोने के दोरे क्यो पडते है,ओर जरा सुरेश जी के प्रशनो का जबाब भी तो दे.... इस देश को पहले चुना लगाया अग्रेजो ने ओर अब......
ReplyDeleteराम राम
आप ने बहुत सुंदर लेख लिखा, मजे दार.
धन्यवाद