ऑनलाइन मिली माँ दुर्गा

दिल्ली जेसे शहर में रहना कई मायनों में बहुत अलग हो जाता है । रोज की उथल पुथल में पुरा दिन कब बीत जाता है पता ही नही चलता । अभी कुछ दिन पहले गणेश उत्सव इसे ही चला ही गया कहीं कोई गणपति जी की प्रतिमा नही , न ही कोई भजन , न कोई उत्सव । फ़िर पुरखों के दिन भी यूँ ही निकल गए । १ दिन भी नही मिला की याद कर लें उन लोगों को जिनकी वजह से आज हम हैं लेकिन ये दुनिया इसी ही है यारों । अब जब की नवरात्र के ५ दिन निकल गए हैं कहीं कोई हलचल नही सुनाई दी । इन्टरनेट पर बेठे बेठे लगा की अचानक यौतुबे पे माँ दुर्गा के भजन सुनने लगे और पुराने दिन की याद तजा हो गई । दोस्तों से चेट करते करते लगा की माँ दुर्गा ऑनलाइन आ गई हैं और कह रही हैं की बेटे मै तो तुम्हारे पास ही हूँ बस तुम आपने से दूर चले गए हो । लेकिन तुम परेशां मत हो ये तकनीक भी मैंने ही बनाई इसलिए आज मुझे ऑनलाइन आना पड़ा क्योंकि तुम ऑफ़ लाइन थे । जय माता की ।

3 comments:

  1. भई हम तो इस छोटे शहर मे भी लगातार सुनाई आते भजनो और गीतों से परेशान रहते है लगता है कब यह 10 दिन बीते । खैर इसका भी आननद है ।

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  2. भारत विविधताओं का देश है.. कोई भजनों के लिए तड़प रहा है तो कोई इनसे तंग है... वाह!

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  3. मां ने भी सुधि ली ।
    आभार ।

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