हिंदी कविता- गीत अगीत कौन सुंदर है
ठिठुरता हुआ गणतंत्र - हरिशंकर परसाई
अमीर खुसरो- बसंत
बन बन फूल रही सरसों
अम्बवा फूटे टेसू फूले
कोयल बोले डार-डार
और गोरी करत सिंगार
मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों
सकल बन फूल रही सरसों
तरह तरह के फूल खिलाए
ले गढवा हाथन में आए
निजामुद्दीन के दरवज्जे पर
आवन कह गए आशिक़ रंग
और बीत गए बरसों
सकल बन फूल रही सरसों
फेफड़ों को ३ दिन में साफ़ करने के उपाय
स्वप्न का जीवन
तुम मेरे सपनों में साथ चलो,
मैं तुम्हारे स्वप्न संवारूँगा।
कुछ कदम जो मेरे साथ चलो,
मैं हर पल तुम्हे पुकारूँगा।
तुम बिन मैं या मुझ बिन तुम,
ये मेरे बस की बात नहीं।
इस आधे आधे जीवन को,
मैं पूरे मन से बिता दूंगा
साथ चलो
उठो और चलो
और तब तक चलते रहना
जब तक पैर दर्द न करने लगें।
फिर तब तक, जब तक पैर जकड न जाएं।
और फिर तब तक जब तक पैर टूट ही न जाएं।
तुम कितने भी रहमदिल हो
खुद के लिए बेरहम ही बने रहना।
और पीछे मुड़कर मदद मांगने का ख्याल भी मत लाना
आगे मतलबी सन्नाटा है तो पीछे चापलूस शून्य
जो पीछे तो है पर सिर्फ तब तक तुम चल पा रहे हो।
दर्द के अहसास के आगे
खूब आगे
इन सन्नाटों से दूर, बहुत दूर ,
पर तुम्हारे एकदम नज़दीक
कहीं बसती है वो मंज़िल जहाँ का सपना तुमने मेरे साथ देखा था।
आज मैं कहाँ हूँ मत पूछो
शायद कहीं पीछे छूट गया हूँ
पर अपने साथ अगर ले चलोगे तो शायद मेरी ज़िद्द और तुम्हारा जूनून, मेरी तरफदारी और तुम्हारा तराज़ू, मेरी तसल्ली और तुम्हारा तसव्वुफ़ हमारी ताकत बने और हम पहुचें उस मंज़िल तक जो हमारे ख्वाबों में बसती है ।
आया प्यारा मौसम छप छ्प छप छप कीचड का
के देखो कैसे भूरी मिटटी काली काली बन जाती है .
कैसे मेंडक ऊपर आकर, टर टर का राग सुनाते हैं .
फिर रातों को आ आ के जुगनू गीत सुनाते हैं .
मनो कहते हों प्रेम गीत, कोई मधुर युगल, कोई मधुर प्रीत,
थकते हैं कहाँ बस गाते हैं , हम सुनते हैं, वो गाते हैं .
सरकार की सारी सड़कों की, सब नालों की, सब पुलों की,
सब नई पुरानी रेलों की, हवाईजहाज और खेलों की
सारी पोलें खुल जाती हैं.
अख़बारों में फिर पांडे जी वही खबरें लिख जाते हैं.
ऐसा लगता इसबार मुझे भजिये न कहीं मिल पायेंगे.
अब दिल्ली में तो बस हम मोमोस से काम चलाएंगे
चलो सावन कोई बात नहीं , तुम तो पुराने साथी हो
हम फिर मिलेंगे भोपाल में, फिर तुम संग मौज मनाएंगे .
नए लेख ईमेल से पाएं
चिटठाजगत पर पसंद करें
टेक्नोराती पर पसंद करें
इस के मित्र ब्लॉग बनें
नहीं मैडम २४ को नहीं आ पाएंगे
अब वो २८ साल की हो गई है, और जीवन के कई पड़ाव देख चुकी है, अपने और अपने परिवार के बारे में बताते बताते उसकी आखें भीगने लगीं, और मेरा मन भी उदास होने लगा, पर वो फिर भी मुझ से बात करना चाहती थी, और बताना चाहती थी के कैसे गुज़रे थे वो दिन और क्या-क्या देखा था उसके परिवार वालों ने, कैसे वक्त पड़ने पर सरकार नहीं बल्कि उसके अपने पडौसी काम आए, और किन लोगों ने उसकी मदद करी. अपने सभी पडौसियों के नाम बताते बताते और उनको दुआएं देते वो थकती ना थी, उसने बताया कि किस तरह उनके पीछे वाले मकान वालों ने उसे और उसके परिवार को अपने घर में पनाह दी और उन को बाहर नहीं निकलने दिया और , कट्टर लोगों से उनको बचाए रखा. वो बताती है कि हम धर्म-मज़हब कुछ नहीं जानते और सब एक होकर ही रहते हैं आगे बताती है के अब हमारे परिवार ऐसे हो गए हैं, जैसे हम उनके घर का हिस्सा हैं, और वो हमारे. हमें उनके रहते कुछ नहीं हो सकता. पर फिर भी यादें तो यादें होती हैं, जिन को बदल पाना बहुत ही मुश्किल होता है, और वो भी अपनी उसी याददाश्त से लड़ने की कोशिश में लगी हुई है.
ये वाकया दरअसल भोपाल के हमीदिया अस्पताल का है, जहाँ मैं अपने एक मेडिकल कालेज के छात्र मित्र के साथ बैठ कर चाय की चुस्कियां ले रहा था, पर भोपाल की उस लड़की के आ जाने से और बात होने से ऐसा लगने लगा जैसे मानो सच में कुछ होने वाला है. आनन् फानन में मैंने भी अपने सभी स्टाफ को सूचित कर दिया के भाई देख लेना और अगर कल(२४ सितम्बर) को सब ठीक हो तो ही आना, नहीं तो छुट्टी ही कर लेना.
खैर शाम आते आते पता चला की फैसला २९ तक टल गया है, मैंने तुरंत अपने डाक्टर मित्र को फोन लगाया और उसे ये खबर सुनाई, मेरी उसको खबर सुनते ही वो समझ गया की मैं चाहता हूँ वो अपनी उस पेशंट को फोन लगाये और उसे भी इस खबर की सूचना दे दे .
सच कितना अच्छा होता है पड़ोसियों का साथ, और कितनी दुआएं मिलती हैं मदद करने से, अब समय बदल गया है, और मुझे उम्मीद है की हम सभी अछे पडौसी हैं , और अपने पडौसियों की रक्षा करना जानते हैं.
इन दंगों से और ऐसी खबरों से हमारी एकता और अखंडता को कुछ नहीं होने वाला .
नए लेख ईमेल से पाएं
चिटठाजगत पर पसंद करें
टेक्नोराती पर पसंद करें
इस के मित्र ब्लॉग बनें
हाथ जोड़कर एक अपील
हाथ जोड़कर एक अपील


खाने के अपव्यय को रोकें
अब शेष बची पोस्ट के लिए परेशान मत होओ....
कृपया खाने के अपव्यय को रोकियेअगर आगे से कभी आपके घर में पार्टी / समारोह हो और खाना बच जाये या बेकार जा रहा हो तो बिना झिझके आप 1098 (केवल भारत में )पर फ़ोन करें - यह एक मजाक नहीं है - यह चाइल्ड हेल्पलाइन है । वे आयेंगे और भोजन एकत्रित करके ले जायेंगे।कृप्या इस सन्देश को ज्यादा से ज्यादा प्रसारित करें इससे उन बच्चों का पेट भर सकता हैकृप्या इस श्रृंखला को तोड़े नहीं .....हम चुटकुले और स्पाम मेल अपने दोस्तों और अपने नेटवर्क में करते हैं, रोज़ाना ब्लॉग में आलेख लिखते हैं, सीनियर-जूनियर के चक्कर में पढ़े रहते हैं, क्यों नहीं इस बार इस अच्छे सन्देश को आगे से आगे मेल करें अथवा एक पोस्ट ही डाल दें! ताकि हम भारत को रहने के लिए दुनिया की सबसे अच्छी जगह बनाने में सहयोग कर सकें -'मदद करने वाले हाथ प्रार्थना करने वाले होंठो से अच्छे होते हैं ' - हमें अपना मददगार हाथ देंवे । तसवीरें फॉरवर्ड करने से किसी को गुड लक मिलेगा या नहीं मालूम नहीं!!! पर एक मेल अथवा पोस्ट डाल देने से अगर भूखे बच्चे तक खाना फॉरवर्ड कर सके तो यह ज्यादा बेहतर है. कृपया क्रम जारी रखें !!!
भारतीय पुरुष विवाह परिधान - traditional dresses for indian Bridegroom
शादियों का मौसम चल रहा है, और बीते दो वर्षों से विवाह के दौरान दूल्हे के परिधानों में खासा परिवर्तन देखने को मिला है। पहले जहाँ शादियों में दूल्हे शेरवानी या सूट पहनना पसंद करते थे, अब बढ़ते बाज़ार ने उन्हें और कई सारे विकल्प दे दिए हैं। खास बात तो ये है कि बहुराष्ट्रीय परिधान उत्पादक कम्पनियों में भी अब ट्रडिशनल (पारम्परिक) सेक्शन होने लगा है, और इसका बाज़ार 15 % सालाना कि दर से बढ़ भी रहा है ।
साथ ही कई नए ब्रांड एक मात्र पारंपरिक वस्त्रों के व्यापार से ही मुनाफा कमा रहे हैं , जिनमे मान्यवर, मिलेयोनर, डेनिस-पारकर , इंदौर का पोरवाल ड्रेस, परिधान आदि धूम मचा रहे हैं । साथ ही हर क्षेत्र ( प्रदेश ) में कई छोटे बड़े ब्रांड विकसित हुए हैं, जो कि बुटिक का बड़ा आकार हैं । साथ ही पीटर इंग्लैंड जैसी कंपनियों ने भी ट्रडिशनल वेयर में कदम रखा है. इनके आलावा पारंपरिक परिधान सिलने वाले दरजी भी इन दिनों बड़ी मांग में हैं, और हाँ आजकल दर्ज़ी खुद को दर्जी नहीं "ड्रेस स्टायलीस्ट" कहलाना ज्यादा पसंद करते हैं।
और इन ड्रेस स्टायलीस्टस ( दर्जी ) के कारण ही कपडा बनाने वालों कि भी फेक्ट्रियां कपडा तेज़ी से कपडा बना रही हैं और रेमंड और OCM जैसी जैसी कम्पनियों का कारोबार भी तेज़ी से बढ़ रहा है।
अब हम आते हैं कि अभी क्या क्या फैशन में चल रहा है
शेरवानी
जोधपुरी शेरवानी
सूट और ब्लेज़र
शेरवानी - शेरवानी भारतीय पारंपरिक परिधानों में ही आती हैं , और इसका जुडाव मुग़ल संस्कृति से मालूम होता हैं , इसके अलावा शेरवानियों के कई देसी संस्करण भी मौजूद हैं । विशुद्ध शेरवानी में एक कुरता पायजामा होता है, जिसके ऊपर से एक जैकेट नुमा शानदार जरीदार वस्त्र होता है । शेरवानी को बनाने के लिए कई प्रकार के कपड़ों का इस्तेमाल होता है, जिसमे पोलीनोसिक, रेशम ( silk ), पोलिविस्कास, जैसी जैसी हैं । इसकी खासियत ज़री के हाथ के काम से होती है। साथ ही शेरवानी में एक दुपट्टा भी होता है, और उस पर भी वर्क कार्य किया जाता है। इसमें कई रंगों का प्रयोग होता है, और पारंपरिक रूप से हलके रंगों की ही होती है । इसके कीमत २००० से ५०००० तक हो सकती है, और ज्यादा भी ।
जोधपुरी शेरवानी - जोधपुरी शेरवानी भी इन दिनों काफी फैशन में है, जोधपुरी शेरवानी, उत्तर भारतीय शेरवानी से कुछ अलग होती है , और इसमें कुर्ते की जगह एक वैस्ट कोटे नुमा जैकेट होती है , जिसके ऊपर से शेरवानी पहनी जाती है, ये शेरवानी सामने से खुली होती है और इस पर ज़रीदार बुन्द्के या बटन कलगी होती है, आज कल कुछ जगहों पर बटनों की जगह चैन का उपयोग भी देखा जा रहा है । इस शेरवानी की एक खास बात इसकी बनावट की विविधता होती हैं, इसमें बंद गला, गोल गला, और भी कई तरीकों से गला बनाया जाता है । बाकी इसमें भी हाथ से ज़री की कारीगरी विशेष महत्व रखती है । साधारण शेरवानी से भिन्न इसके साथ दुपट्टे का चलन नहीं है । इसके आकार के कारण इसे Indo-Western परिधानों की श्रेणी में भी रखते हैं , क्योंकि इसमें भी पश्चिमी कोट पेंट की तरह ही पहनावा है । लेकिन अब इसने पूरी तरह से भारतीय रूप धार लिया है ।
सूट और ब्लेज़र - पश्चिमी परिधान होने के बावजूद भी आज भी सबसे ज्यादा भारतीय शादियों में , भारतीय दूल्हे सूट पहनना ही पसंद करते हैं । इसका कारण आसानी से मिल जाना औरविवाहउपरान्तभी उपयोग में लाए जा सकने की इसकी तासीर है । सुइट में मुख्यतः दो प्रकार (पैटर्न) हैं - एकहैतो दूसरा Three Peice . Two-Peiceमें जहाँ सिर्फ कोट पैंट ही होते हैं , वहीँ Three Peice में वैस्ट कोटे भी शामिल होता है। इसमें फिर आगे दो बटन, तीन बटन, पांच बटन, बेक ओपन ( पीछे सेकटा हुआ) जैसी डिजायन और slim fit, gianni fit और straight fit आदि प्रचलित हैं । इसके साथ हमेशा टाई, क्रेवेत,रुमाल जैसी चीजों का उपयोग किया जाता है ।
इसके अलावा भी कुर्ते पायजामे का फैशन है । कुर्ते पायजामे में भी कई तरह की अलग अलग तरह की डिजायन कलर मौजूद होता है, और बाकियों के मुकाबले ये पहनने में हल्का होता है , इसमें ज्यादा ताम झाम नहीं होता और साधारण ही होता है। विवाह में इसकी कीमत१००० से १०००० के बीच हो सकती है ।
आज विवाह परिधान फिल्मों से भी प्रेरित हैं, और एक फिल्म में किसी बड़े सितारे के द्वारा पहनी गई फैशन स्टेटमेंट बन जाती है, और बाजार में उसकी डिमांड बढ़ जाती है।
आप लोग इस पोस्ट का आनंद लें, और मेरे द्वारा छोड़ी गई चीजों को रेखांकित करें, मुझे इसमें जोड़ने और बढ़ाने में खुशी होगी ।
नए लेख ईमेल से पाएं
चिटठाजगत पर पसंद करें
टेक्नोराती पर पसंद करें
इस ब्लॉग के मित्र बनें
edited on http://ckeditor.com/
