शादियों का मौसम चल रहा है, और बीते दो वर्षों से विवाह के दौरान दूल्हे के परिधानों में खासा परिवर्तन देखने को मिला है। पहले जहाँ शादियों में दूल्हे शेरवानी या सूट पहनना पसंद करते थे, अब बढ़ते बाज़ार ने उन्हें और कई सारे विकल्प दे दिए हैं। खास बात तो ये है कि बहुराष्ट्रीय परिधान उत्पादक कम्पनियों में भी अब ट्रडिशनल (पारम्परिक) सेक्शन होने लगा है, और इसका बाज़ार 15 % सालाना कि दर से बढ़ भी रहा है ।
साथ ही कई नए ब्रांड एक मात्र पारंपरिक वस्त्रों के व्यापार से ही मुनाफा कमा रहे हैं , जिनमे मान्यवर, मिलेयोनर, डेनिस-पारकर , इंदौर का पोरवाल ड्रेस, परिधान आदि धूम मचा रहे हैं । साथ ही हर क्षेत्र ( प्रदेश ) में कई छोटे बड़े ब्रांड विकसित हुए हैं, जो कि बुटिक का बड़ा आकार हैं । साथ ही पीटर इंग्लैंड जैसी कंपनियों ने भी ट्रडिशनल वेयर में कदम रखा है. इनके आलावा पारंपरिक परिधान सिलने वाले दरजी भी इन दिनों बड़ी मांग में हैं, और हाँ आजकल दर्ज़ी खुद को दर्जी नहीं "ड्रेस स्टायलीस्ट" कहलाना ज्यादा पसंद करते हैं।
और इन ड्रेस स्टायलीस्टस ( दर्जी ) के कारण ही कपडा बनाने वालों कि भी फेक्ट्रियां कपडा तेज़ी से कपडा बना रही हैं और रेमंड और OCM जैसी जैसी कम्पनियों का कारोबार भी तेज़ी से बढ़ रहा है।
अब हम आते हैं कि अभी क्या क्या फैशन में चल रहा है
शेरवानी
जोधपुरी शेरवानी
सूट और ब्लेज़र
शेरवानी - शेरवानी भारतीय पारंपरिक परिधानों में ही आती हैं , और इसका जुडाव मुग़ल संस्कृति से मालूम होता हैं , इसके अलावा शेरवानियों के कई देसी संस्करण भी मौजूद हैं । विशुद्ध शेरवानी में एक कुरता पायजामा होता है, जिसके ऊपर से एक जैकेट नुमा शानदार जरीदार वस्त्र होता है । शेरवानी को बनाने के लिए कई प्रकार के कपड़ों का इस्तेमाल होता है, जिसमे पोलीनोसिक, रेशम ( silk ), पोलिविस्कास, जैसी जैसी हैं । इसकी खासियत ज़री के हाथ के काम से होती है। साथ ही शेरवानी में एक दुपट्टा भी होता है, और उस पर भी वर्क कार्य किया जाता है। इसमें कई रंगों का प्रयोग होता है, और पारंपरिक रूप से हलके रंगों की ही होती है । इसके कीमत २००० से ५०००० तक हो सकती है, और ज्यादा भी ।
जोधपुरी शेरवानी - जोधपुरी शेरवानी भी इन दिनों काफी फैशन में है, जोधपुरी शेरवानी, उत्तर भारतीय शेरवानी से कुछ अलग होती है , और इसमें कुर्ते की जगह एक वैस्ट कोटे नुमा जैकेट होती है , जिसके ऊपर से शेरवानी पहनी जाती है, ये शेरवानी सामने से खुली होती है और इस पर ज़रीदार बुन्द्के या बटन कलगी होती है, आज कल कुछ जगहों पर बटनों की जगह चैन का उपयोग भी देखा जा रहा है । इस शेरवानी की एक खास बात इसकी बनावट की विविधता होती हैं, इसमें बंद गला, गोल गला, और भी कई तरीकों से गला बनाया जाता है । बाकी इसमें भी हाथ से ज़री की कारीगरी विशेष महत्व रखती है । साधारण शेरवानी से भिन्न इसके साथ दुपट्टे का चलन नहीं है । इसके आकार के कारण इसे Indo-Western परिधानों की श्रेणी में भी रखते हैं , क्योंकि इसमें भी पश्चिमी कोट पेंट की तरह ही पहनावा है । लेकिन अब इसने पूरी तरह से भारतीय रूप धार लिया है ।
सूट और ब्लेज़र - पश्चिमी परिधान होने के बावजूद भी आज भी सबसे ज्यादा भारतीय शादियों में , भारतीय दूल्हे सूट पहनना ही पसंद करते हैं । इसका कारण आसानी से मिल जाना औरविवाहउपरान्तभी उपयोग में लाए जा सकने की इसकी तासीर है । सुइट में मुख्यतः दो प्रकार (पैटर्न) हैं - एकहैतो दूसरा Three Peice . Two-Peiceमें जहाँ सिर्फ कोट पैंट ही होते हैं , वहीँ Three Peice में वैस्ट कोटे भी शामिल होता है। इसमें फिर आगे दो बटन, तीन बटन, पांच बटन, बेक ओपन ( पीछे सेकटा हुआ) जैसी डिजायन और slim fit, gianni fit और straight fit आदि प्रचलित हैं । इसके साथ हमेशा टाई, क्रेवेत,रुमाल जैसी चीजों का उपयोग किया जाता है ।
इसके अलावा भी कुर्ते पायजामे का फैशन है । कुर्ते पायजामे में भी कई तरह की अलग अलग तरह की डिजायन कलर मौजूद होता है, और बाकियों के मुकाबले ये पहनने में हल्का होता है , इसमें ज्यादा ताम झाम नहीं होता और साधारण ही होता है। विवाह में इसकी कीमत१००० से १०००० के बीच हो सकती है ।
आज विवाह परिधान फिल्मों से भी प्रेरित हैं, और एक फिल्म में किसी बड़े सितारे के द्वारा पहनी गई फैशन स्टेटमेंट बन जाती है, और बाजार में उसकी डिमांड बढ़ जाती है।
आप लोग इस पोस्ट का आनंद लें, और मेरे द्वारा छोड़ी गई चीजों को रेखांकित करें, मुझे इसमें जोड़ने और बढ़ाने में खुशी होगी ।
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