गूगल बज़ - ये मुनाफे कि बात है बाबू

गूगल बज़ पर एक चर्चा लगातार बज़ में है के गूगल बाबा बड़े कमाल कि चीज़ है जो मांगो वो दे देता हैअब देखो ना किसी ने कहा के कहाँ ऑरकुट पर स्टेटस अपडेटे करें ,और कहाँ फसबूक पर पोस्ट करेंसब एक जगह ही हो तो अच्छा है। गूगल ने अपने सबसे प्रचलित और विश्वसनीय उत्पाद में ही इनसब कि सुविधा दे डाली , जी हाँ जीमेल में , अब आप अपने ट्विट्टर पर दिए जाने वाले सन्देश यहाँभी दे सकते हैं , और कोई आपको फोलो करता हो या ना हो , आप अगर उसकी कांटेक्ट लिस्ट में हैं तोउस को आपका बज़ दिख जायेगा , ,
जी हाँ और यहाँ भी फलोवर बढ़ने का खेल शुरू होने वाला है



हमें तो भाई बस एक शिकायत है के वहां सीधे हिंदी नहीं लिख सकते हालाँकि मैने गूगल का इंडिक सपोर्टसोफ्टवेयर डाउनलोड कर लिया है , तो मुझे तो कोई दिक्कत नहीं पर ये दिक्कत है , पर दिक्कत तो बनी हीहै बाबा , किसी के ब्लॉग पर कमेन्ट करना हो, ट्विटर पर लिखना हो या के फसबूक पर

अरे हाँ और आपको बता दूं कि मार्केट में गूगल बज़ कि रिपोर्ट कोई खास अच्छी नहीं है, लोग मोर्चे भी खोले बैठे हैंये देखिए-Buzz off: Disabling Google Buzz

और एक ख़ास बात सुनते जाइये - अर्थशास्त्र के विद्यार्थी होने के नाते इसके अर्थशास्त्र है के गूगलबज़ के जाने से गूगल का आर्थिक मुनाफा भी बढ़ने वाला है , अब धीरे से गूगल यहीं पर गूगल फ्रेंड कनेक्ट डाल देगा और फ़िर इसमें और फसबूक में कोई ख़ास अंतर नहीं रहने वाला है।
ऐसा होते ही फसबूक पर विसिट्स धीरे धीरे कम होने लगेंगे और गूगल अपने विज्ञापन विभाग यानेगूगल एडसेंस से जीमेल पर दिखाए जाने वाले विज्ञापनों का रेट बढ़ा देगा , मार्केट पर उसका कब्ज़ाभी बढ़ जायेगा और मुनाफा भी खैर फिलहाल तो वाहन से विज्ञापन नदारद हैं ।इसपर नज़र रखीकुछ खास होने वाला है


मुझसे भी कभी गूगल बज़ पर मिलिए मेरा पता है
mayurdubey2003 at gmail dot com ईमेल एड्रेसआप ही समझ लीजिएगा , और कीजिए अगली पोस्ट का इन्तेज़ार

जाते जाते गूगल बज़ पर हिंदी में कुछ अन्य पोस्ट-
"गूगल बज़" शुरू करें या कहें "गूगल अब बस" कर!
गूगल बज़ से परेशान? दो आसान उपाय रोकथाम के
गूगल बज़ - Facebook हत्यारा?

तो इन्तेज़ार किस बात का

जानलेवा खेल

रा एक बजे
जाने किस मूड में भेजे गए उस इमेल को
सुबह संभलने के बाद उसने ख़ारिज कर दिया है


ये जिन्दगी है
लव आज कल नहीं
वह कहती है
मैं कहना चाहता हूँ की जिन्दगी
राजश्री बैनर का सिनेमा भी तो नहीं


प्यार चाहे मुख़्तसर सा हो या लम्बा
उससे अपरिचित हो पाना बस का नहीं
चाहे वो शाहिद करीना हों या मैं और वो


तुम शादी कर लो
उसने प्रक्टिकल सलाह दी थी
उंहू...
पहले तुम मैंने कहा था


हमारा क्या होगा
ये सवाल हमारे प्यार करने की ताकत छीन रहा था
हमने अपनी आंखों में आशंकाओं के कांटे उगा लिए थे
आकाश में उड़ती चील की तरह कोई हम पर निगाहें गडाए था
मेरे लिए अब उसे प्यार करने से ज्यादा जरूरी
उस चील के पंख नोच देना हो गया था
लेकिन मैं कुछ भी साबित नहीं करना चाहता था
न अपने लिए न उसके लिए


मुझे अब इंतज़ार था
शायद किसी दिन वो वह सब कह देगी
मैं शीशे के सामने खड़ा होकर अभिनय करता
की कैसे चौकना होगा उस क्षण
ताकि उसे ये न लगे की
अप्रत्याशित नहीं ये सब मेरे लिए


हर रोज जब वो मुझसे मिलती
मेरी आँखों में एक उम्मीद होती
लेकिन वह चुप रही
जैसे की उसे पता चल गया था सारा खेल


ये जानलेवा खेल
बर्दाश्त के बाहर हो रहा है
उम्मीद भी अँधा कर सकती है
ये जान लेने के बाद मेरी घबराहट बढ़ गयी है...
(अधूरी...)








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अधिनायक



इस गणतंत्र दिवस पर मेरे प्रिय कवि रघुवीर सहाय की कविता अधिनायक आप लोगों के लिए
राष्ट्रगीत में भला कौन
वह भारत-भाग्य-विधाता है
फटा सुथन्ना पहने जिसका
गुन हरचरना गाता है।
मखमल टमटम बल्लम तुरही
पगड़ी छत्र चंवर के साथ
तोप छुड़ाकर ढोल बजाकर
जय-जय कौन कराता है।
पूरब-पश्चिम से आते
हैं नंगे-बूचे नरकंकाल
सिंहासन पर बैठा,
उनकेतमगे कौन लगाता है।
कौन-कौन है वह जन-गण-मन
अधिनायक वह महाबली
डरा हुआ मन बेमन जिसका
बाजा रोज बजाता है






तीस मिनट का वजन कितना होता है...


यह जानकारी क्या रूह को कंपा देने के लिए काफी नहीं है कि देश में औसतन हर तीस मिनट पर एक किसान आत्महत्या कर रहा है। तीस मिनट कितना समय होता है? लगभग उतना, जितना मैं शायद अक्सर अपने दोस्त से मोबाइल पर बात करने में बिता देता हूं या फिर आफिस की कैंटीन में चाय पीते हुए... वो तीस मिनट जिसमें एक किसान आत्महत्या कर लेता है या फिर उसके आसपास के कुछ और मिनट, कितने भारी होते होंगे उस एक शख्स के लिए। क्या उस समय उसके दिमाग पर पड़ रहे बोझ के वजन को मापने के लिए कोई पैमाना है?
मौत के बारे में आंकड़ों में बात करना चीजों को थोड़ा आसान कर देता है। जैसे हैती में भूकंप से लाखों मरे, मुंबई हमले में 218 या फिर देश में 2008 में 16196 किसानों ने आत्महत्या की। ऐसा लगता है यह किसी प्लाज्मा टीवी के निहायत किफायती माडल की कीमत है 16196 रुपये मात्र। दरअसल यह अश्लील आंकड़ा भी अखबार के उसी पन्ने पर छपा है जिसमें गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर सोनी के लैपटाप पर 12000 रुपये की छूट का विज्ञापन है। ये अखबार वालों को क्या होता जा रहा है?
किसी को ऐसा भी लग सकता है कि चलो देश की आबादी तो डेढ़ अरब पहुंच रही है 16000 मर भी गए तो क्या फर्क पड़ता है। छुट्टी करो यार.
आंकड़ों से थोड़ा और खेला जाए, हूं... लीजिए जनाब 1997 से अब तक देश में तकरीबन 2 लाख किसान आत्महत्या कर चुके। बिलकुल ठीक ठीक गिनें तो 199,132 । 2 लाख यह संख्या किस जुबानी मुहावरे के करीब है???? हां याद आया 2 लाख यानी टाटा की दो लखटकिया कारें। अकेले महाराष्ट्र में बीते 12 सालों में सर्वाधिक 41,404 किसानों ने आत्महत्या की है यह तो संख्या तो एक हीरोहोंडा स्प्लेंडर मोटरसाइकिल की कीमत से भी कम है। क्या यार ??? इन किसानों को हुआ क्या है कोई समझाओ भाई!
(आंकड़े नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो और हिन्दू में प्रकाशित पी साईनाथ के लेख से)T





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जोर्ज फोर्म्बी (George Formby)

जोर्ज फोर्म्बी (George Formby)(26 May 1904 – 6 March 1961) को देखना और सुनना एक सुखद अनुभूति और बेहतरीन अनुभव है, और उनके बारे में जानना और भी अच्छा है, इंग्लॅण्ड में पैदा हुए है इस कलाकार को अक्सर बेन्जोलेले ,बेन्जोनुमा यंत्र बजाते, हलके फुल्के मजाकिया गाने गाते , लोगों को हंसते सुनाने वाले के रूप में याद किया जाता है 1920-30 के दशक में उनका संगीत अपने चरम पर था। और बाकी आज जिन लोगों ने उन्हें नहीं सुना है, उनके लिए मौका है यू-ट्यूब पर
ये संगीत दरअसल मुझे बुर्ज दुबई के एक विडियो से देखने को मिला, जिज्ञासा जगी तो जोर्ज फोर्म्बी साहब के बारे में कुछ जानने कि इक्षा हुई,और सही बता रहा हूँ अभी तो दिल बस खिड़कियाँ ही साफ़ कर रहा है.और कुछ करने को कर ही नहीं रहा है, तो यहाँ में आपको छोड़े जा रहा हूँ, उन्ही के कुछ चल चित्रों के सहारे , ज़रूर देखिए। मै क्या करूँगा, जी आज ही सारे के सारे उपलब्ध चल चित्र देख डालूँगा
George Formby - When i'm cleaning windows


George Formby plays his ukulele banjo.



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