की तरह ही विशाल और उनके दांतों की तरह सफ़ेद बरफ , ऊंचाई भी अब तक की सबसे ज्यादा होगी पूरे चौदाह हज़ार पॉँच सौ फीट ऊपर, यहाँ श्वास वायु का भी स्तर कम हो जाता है इसलिए किसी भी साथ चलने वाले से कहना के आराम से चलो ज्यादा उर्जा खत्म मत करो आगे बहुत यात्रा बाकि है । इस पर्वत का पार करते यात्रा का सुखद अनुभव अपने चरम पर होगा , यहाँ बरफ में अटखेलियाँ करने का भी अपना की आनंद है । अगला पड़ाव होगा पंचतरनी ।पंच तरनी अगर दोपहर १२ बजे तक पहुँच जाओ तो ठीक है आगे बढ जाना नही तो यात्रा यही विराम दे देना , इस यात्रा का एक महत्त्व सुदूर वादियों में निकल रही इन पॉँच जल धाराओं में स्नान करना भी है । पॉँच पर्वत और पॉँच धाराएं ही बनती है इस पंचतरनी नदी को । निर्मल स्वच्छ जल में स्नान का अपना ही आनंद है, फ़िर यात्रा भी हमारी याने बाबा बर्फानी की है ।अब ये अन्तिम पड़ाव होगा तुम्हारी यात्रा का जहाँ कुछ ३ किलोमीटर पैदल चल कर संगम पहुंचोगे जहाँ से बालताल से आने वाले भक्तों का जत्था भी तुम्हारे साथ हो लेगा । एक लम्बी कतार में बम बम भोले के नाम के जयकारे लगते हुए आ जाना मेरे पास , मेरी गुफा में , बस बाकि तो निरंतर चलता ही रहेगा । तुम्हे ये मेरा बुलावा है "की आना प्यारों संग भक्तार "

