दिल तो क्या चीज़ है जान से जाएँगे- नुसरत

ऐसा बनना सवारना मुबारक तुम्हें, कम से कम इतना कहना हमारा करो,
चाँद शरमाएगा चांदनी रात में, यूँ न जुल्फों को अपनी संवारा करो ।

यह तबस्सुम यह आरिज़ यह रोशन जबीं, यह अदा यह निगाहें यह जुल्फें हसीं ,
आइने की नज़र लग न जाए कहीं, जान-ऐ-जान अपना सदका उतरा करो ।

दिल तो क्या चीज़ है जान से जाएँगे , मौत आने से पहले ही मर जाएँगे ,
यह अदा देखने वाले लुट जाएँगे, यूँ न हंस हंस के दिलबर इशारा करो ।

फ़िक्र-ऐ-उक़बा की मस्ती उतर जायेगी तौबा टूटी तो किस्मत संवर जायेगी ,
तुम को दुन्या में जन्नत नज़र आ'आय गी शैख़ जी मई-कड़े का नज़ारा करो ।

काम आए न मुश्किल में कोई यहाँ, मतलबी दोस्त हैं मतलबी यार हैं,
इस जहाँ में नही कोई एहल-ऐ-वफ़ा, ऐ फ़ना इस जहाँ से किनारा करो ।

ऐसा बनना संवारना मुबारक तुम्हें, कम से कम इतना कहना हमारा करो...

नुसरत फ़तेह अली खान साहब की कई शानदार कव्वालियों में से एक

सच मच अगर मेरे जीवन में नुसरत साहब की आवाज़ न हो तो दिल तो क्या चीज़ है जान से जाएँगे , मौत आने से पहले ही मर जाएँगे
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5 comments:

  1. बढि़या प्रस्तुति।आभार।

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  2. बहुत सुंदर धन्यवाद

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  3. बहुत आभार,
    आगे भी ऐसे ही बेशकीमती नग्में पेश करते रहें।

    नीरज रोहिल्ला

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  4. बहुत खूब !
    अच्छा लगा बाँच कर
    ___धन्यवाद !

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  5. बहुत सुन्दर.
    आभार

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