स्वप्न का जीवन

तुम मेरे सपनों में साथ चलो,
मैं तुम्हारे स्वप्न संवारूँगा।
कुछ कदम जो मेरे साथ चलो,
मैं हर पल तुम्हे पुकारूँगा।

तुम बिन मैं या मुझ बिन तुम,
ये मेरे बस की बात नहीं।
इस आधे आधे जीवन को,
मैं पूरे मन से बिता दूंगा

साथ चलो

उठो और चलो
और तब तक चलते रहना
जब तक पैर दर्द न करने लगें।
फिर तब तक, जब तक पैर जकड न जाएं।
और फिर तब तक जब तक पैर टूट ही न जाएं।
तुम कितने भी रहमदिल हो
खुद के लिए बेरहम ही बने रहना।

और पीछे मुड़कर मदद मांगने का ख्याल भी मत लाना
आगे मतलबी सन्नाटा है तो पीछे चापलूस शून्य
जो पीछे तो है पर सिर्फ तब तक तुम चल पा रहे हो।

दर्द के अहसास के आगे
खूब आगे
इन सन्नाटों से दूर, बहुत दूर ,
पर तुम्हारे एकदम नज़दीक
कहीं बसती है वो मंज़िल जहाँ का सपना तुमने मेरे साथ देखा था।

आज मैं कहाँ हूँ मत पूछो
शायद कहीं पीछे छूट गया हूँ
पर अपने साथ अगर ले चलोगे तो शायद मेरी ज़िद्द और तुम्हारा जूनून, मेरी तरफदारी और तुम्हारा तराज़ू, मेरी तसल्ली और तुम्हारा तसव्वुफ़ हमारी ताकत बने और हम पहुचें उस मंज़िल तक जो हमारे ख्वाबों में बसती है ।