tag:blogger.com,1999:blog-1003205703605241903.post623639366139107425..comments2023-05-09T18:58:07.141+05:30Comments on अपनी अपनी डगर: ऑनलाइन मिली माँ दुर्गाMAYURhttp://www.blogger.com/profile/07342867687077320304noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-1003205703605241903.post-25807813399147571602009-09-25T13:26:36.964+05:302009-09-25T13:26:36.964+05:30यार कुछ ले दे कर हमे भी दर्शन करवा दो ना, अकेले अक...यार कुछ ले दे कर हमे भी दर्शन करवा दो ना, अकेले अकेले ही मां को मिल लिये ?? केसे ब्लांगर हो भाई ? चलो हम सब को उन का लिंक ही दे दो, यहां तो आप ने दर्शन करवाये नही.<br />जय माता दीराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1003205703605241903.post-52250278794080970822009-09-25T11:43:52.719+05:302009-09-25T11:43:52.719+05:30भौतिकवाद ने इन्सान को ऐसा जकड़ रखा है कि हर कोई स्...भौतिकवाद ने इन्सान को ऐसा जकड़ रखा है कि हर कोई स्वयंभू ईश्वर हो गया है. फिर उसे किसी देवी-देवता को याद करने की आवश्यकता क्यों हो. आपने लेख बहुत अच्छे तरीके से लिखा है, शालीन व्यंग्य की धार ने इसे मार्मिक भी बना दिया लेकिन केवल सम्वेदनशील लोगों के लिए. मां का ऑनलाइन मिलना भी आपने एक अस्त्र के रूप में परोस दिया है जिससे आज के इन्सान को और भी सुविधा मिल जायेगी. अभी तक तो लोक लाज के डर से लोग मन्दिर चले भी जाते थे, अब तो यह बता देंगे कि वे ऑनलाइन दर्शन कर लेते हैं.सर्वत एम०https://www.blogger.com/profile/15168187397740783566noreply@blogger.com