tag:blogger.com,1999:blog-1003205703605241903.post1378331649335015572..comments2023-05-09T18:58:07.141+05:30Comments on अपनी अपनी डगर: टाइम मशीन और यादों की जुगालीMAYURhttp://www.blogger.com/profile/07342867687077320304noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-1003205703605241903.post-57079126489946776222009-09-28T14:56:55.750+05:302009-09-28T14:56:55.750+05:30बहुत सुन्दर गीत है आपको दशहरे की बहुत बहुत बधाईबहुत सुन्दर गीत है आपको दशहरे की बहुत बहुत बधाईनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1003205703605241903.post-71072091910527437672009-09-27T21:54:36.357+05:302009-09-27T21:54:36.357+05:30यादों को उन्हीं एहसास के साथ जीने की कोई मशीन तो ...यादों को उन्हीं एहसास के साथ जीने की कोई मशीन तो नही बनी परीक्षित ,पर आज का इंसान मशीनों में ही अपनी यादें क़ैद करना सीख चुका है,क्योंकि रिश्तों को हमने "समय" रुपी "खाद" देना जो बंद कर दिया है| अच्छा है कि अब तक हम अपने "एहसास" को क़ैद कर पाने की मशीन नहीं दूंढ़ पाए, नहीं तो "हम" में और मशीनों में कोई फर्क नहीं बच पायेगा |vikashttps://www.blogger.com/profile/03116125151844478089noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1003205703605241903.post-5824995419752737422009-09-27T21:38:26.113+05:302009-09-27T21:38:26.113+05:30बस, गीत सुन रहे हैं!!बस, गीत सुन रहे हैं!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com